आकार पटेल का लेख: पाकिस्तान पर जरूरत से ज्यादा फोकस से लगता है हमारी महानता को बट्टा

हमारा एकमात्र लक्ष्य तो सिर्फ पाकिस्तान से बेहतर होना रह गया है, जो कि भारत जैसे महान देश को छोटा बनाता है। हमारा कद तो इससे कहीं बड़ा है और हम कहीं ज्यादा अर्थपूर्ण और अहम रूप से विश्व को बेहतर बनाने में योगदान कर सकते हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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आकार पटेल

मैं उन कुछ भारतीयों में से एक हूं जो बीते सप्ताह हुई घटनाओं के लेकर कतई उत्साहित नहीं हैं। मेरा अर्थ पाकिस्तान पर हमले, और फिर अगले दिन जवाबी कार्रवाई, फिर वायुसेना पायलट को लेकर दो दिन तक चले पूरे ड्रामा और फिर आखिरकार शुक्रवार रात को हुए इसके पटाक्षेप से है।

मेरे ऐसा कहने के कई कारण हैं और आप इनसे असहमत हो सकते हैं।

सबसे पहले, मैं बता दूं कि मैं पाकिस्तान से नफरत नहीं करता हूं। मैं कई बार पाकिस्तान जा चुका हूं और वहां कई लोगों को जानता हूं। मेरा मानना है कि पाकिस्तान सरकार ने कुछ बेहद घटिया हरकतें की हैं, लेकिन मैं इसके लिए पाकिस्तान के लोगों को दोष नहीं देता। अगर हम अपना घर, खासतौर से कश्मीर को दुरुस्त रख पाते, तो पाकिस्तान सरकार कुछ भी करती रहे इससे हमारे देश पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

इसी बात से मेरा दूसरा कारण सामने आता है। कश्मीर में नरेंद्र मोदी शासन के कठोर रवैये के कारण वहां होने वाली मौतों की संख्या 2014 के 189 से बढ़कर 2016 में 267, 2017 में 357 और पिछले साल 451 हो गई।

कश्मीर में शहीद होने वाले हमारे जवानों की संख्या 47 से 91 हो गई। बिना किसी खास वजह के हमारे इसतने जवानों का बलिदान देना क्या कोई अच्छा रिकॉर्ड कहा जाएगा? मेरा जवाब तो न है, और मैं अगर सरकार की नीतियों और प्रदर्शन की बात करूं तो मैं इन आंकड़ों को नजरंदाज़ नहीं कर सकता। हम लगातार कश्मीर में नाकाम हो रहे हैं और नाटकीयता का जामा पहनाकर छाती पीट रहे हैं।

तीसरी वजह है कि मुझे पाकिस्तान पर भारतीय एयर स्ट्राइक का कोई कारण नज़र नहीं आता। मैं मोदी की मजबूरी समझ सकता हूं, लेकिन मैं इसे गलत मानता हूं। बीते सप्ताह भारत की कार्रवाई को लेकर जो तर्क दिए गए वह कुछ इस तरह हैं:

पाकिस्तान हमें नुकसान पहुंचाता है, इसलिए हमें भी उसे सबक सिखाना चाहिए

अगर हम उन पर करारा हमला दें तो वह दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचेंगे

ऐसे हमलों से पाकिस्तान पर आतंकी गुटों को ठप करने का दबाव बनेगा

इन सभी बिंदुओं को लेकर मुझे कोई खास आपत्ति नहीं है। मुझे बस इतना लगता है कि इन सबका कोई असर नहीं पड़ने वाला, बल्कि इसके खराब नतीजे जरूर होंगे और ज्यादा से ज्यादा भारतीयों की जान खतरे में पड़ेगी।

चौथी वजह यह है कि, ऐसी कार्रवाइयों से यह तर्क और मजबूत होता है कि हमें अपनी सेना और लड़ाकू विमानों जैसे सैन्य उपकरणों पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करना चाहिए। इस समय हमारा कुल रक्षा बजट करीब 4 लाख करोड़ का है। यह वह पैसा है जो स्वास्थ्य और शिक्षा के मद से निकालकर खर्च किया जाता है, वह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक में। राजनीतिज्ञों में भी सैन्य खर्च बढ़ाने का विरोध करना मुश्किल है क्योंकि अब तो सारा ध्यान ही सेना पर है।

पांचवी वजह यह है कि सरकार ने यह सब लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया है। बीते सप्ताह ही खबर आई कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो गई है और विकास दर गिरी है। बेरोजगारी दर 40 साल के निचले स्तर पर पहुंचकर 7 फीसदी हो गई है। लेकिन इस सब पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा, क्योंकि ध्यान तो कुछ और चीज़ों पर ही लगा हुआ है।

छठी वजह मेरे अपने पेशे पत्रकारिता को लेकर मेरा गुस्सा है। जिस तरह से हमने युद्धोन्माद फैलाने की कोशिश की वह बेहद घटिया था। पाठकों और दर्शकों को तो मालूम भी नहीं कि हम जो भी रवैया अपनाते हैं उसके पीछे सिर्फ पैसा होता है। और, पैसे के लिए देश की छवि को खराब करना राष्ट्रद्रोह है और उसे इसी नाम से पुकारा भी जाना चाहिए।

सातवीं और आखिरी वजह सबसे महत्वपूर्ण है। मैं भारत को एक राष्ट्र और ऐसी संस्कृति के रूप में देखता हूं जो मानव जाति और इस पूरे ग्रह के भले के लिए हो। लेकिन हमने खुद को और अपने देश को दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे देशों के दुश्मन के तौर पर स्थापित कर लिया है। अगर हम किसी तरह पाकिस्तान को संभाल लें तो भी ठीक था। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए, खैर छोड़िए यह अलग ही मुद्दा है।

हमारी आकांक्षा और नजरिया बहुत संकीर्ण हो गया है। हम अमेरिका, पश्चिमी यूरोप या चीन से प्रतिस्पर्धा के लिए कुछ नहीं कर रहे। हमें तो उनसे कोई दुश्मनी भी नहीं है। हमारा एकमात्र लक्ष्य तो सिर्फ पाकिस्तान से बेहतर होना रह गया है, जो कि भारत जैसे महान देश को छोटा बनाता है। हमारा कद तो इससे कहीं बड़ा है और हम कहीं ज्यादा अर्थपूर्ण और अहम रूप से विश्व को बेहतर बनाने में योगदान कर सकते हैं।

जिस शिद्दत के साथ हमने पाकिस्तान पर नज़रें गड़ा रखी हैं, खासतौर से हमारी सरकार और मीडिया ने, उससे आखिरकार हमें ही नुकसान होना है और हमारी महानता को बट्टा लगता है।

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