विष्णु नागर का व्यंग्यः लैपटॉप-मोबाइल के बाद टाइपराइटर से सत्ता में खौफ, छुपाकर विरोध में लिखने का शक!

इस टाइपराइटर को तो हम अभी तेरी आंखों के सामने फेंक सकते हैं, पर सरकार का कहना है कि सामने वाले को पहले मौका दो। वह नहीं माने तब फेंको। और फेंकने के काम में यानी सरकारी काम में वह बाधा डाले तो उसे अंदर कर दो।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

-वाह भाई, तेरे घर में तो लैपटॉप भी है, मोबाइल भी और टाइपराइटर भी? बड़े ठाठ हैं तेरे। वैसे इस खटारा टाइपराइटर को घर में रख क्यों रखा है? फेंक इसे। कबाड़ जमा करने का ज्यादा शौक है क्या बुढ़ऊ?

-पुराना है। मैंने इसे अपनी मेहनत की खरी कमाई से खरीदा और कोई बीस-बाइस साल तक इस पर काम किया। मुझे इससे लगाव है। मेरे जीते जी यह इसी घर में रहेगा। कोई ताकत इसे बाहर नहीं फेंक सकती।

-अच्छा कोई ताकत इसे बाहर नहीं फेंक सकती? तू बुड्ढा है वरना ऐसा बोलने वाले को हम खिड़की से बाहर फेंक देते। इस टाइपराइटर को तो हम अभी तेरी आंखों के सामने फेंक सकते हैं, पर सरकार का कहना है कि सामने वाले को पहले मौका दो। वह नहीं माने तब फेंको। और फेंकने के काम में यानी सरकारी काम में वह बाधा डाले तो उसे अंदर कर दो। वैसे बुढ़ऊ, तू ये बता कि इस खटारा मशीन से तुझे इतना प्रेम क्यों है कि तू इसके लिए खतरा उठाने को तैयार है? तेरे ससुराल से मिला था क्या ये दहेज़ में? वैसे कितने साल से यह इसी तरह यहां बेकार पड़ा है?

-दस-पंद्रह साल हो गए होंगे। वैसे कभी-कभी मन करता है, तो इस पर कुछ लिख लेता हूं।

-अब बताई तूने राज की बात! मतलब यह ऐसे ही यहां नहीं पड़ा है। किस तरह के काम करता है तू इससे?

-कुछ खास नहीं। बस ऐसे ही, कभी-कभी पुराने दिनों को याद करने का मन करता है तो इसे लेकर बैठ जाता हूं।

-देख हमारे सामने बहानेबाजी नहीं चलेगी। सच-सच बता। तू सरकार से कुछ छुपाने के लिए इस पर टाइप करता है न! तू जानता है कि लैपटॉप-मोबाइल पर कुछ लिखेगा तो सरकार की पकड़ में आ सकता है। सच बोल वरना हमसे बुरा कोई न होगा।

-जो बताया है, वही सच है।

-देख,फिर कहता हूं, सच-सच बता कि इस पर तू किसके लिए और क्या काम करता है? सफेद झूठ मत बोल। हमें सच उगलवाना आता है। सरकार को अंधेरे में रखेगा, साले? उसके खिलाफ काम करता है और ऊपर से झूठ बोलता है नमकहराम? सरकार का दिया खाता है और सरकार से ही झूठ बोलता है। सोच ले, झूठ बोलने का अंजाम क्या होता है?


-झूठ बोलने का अंजाम बुरा नहीं, अच्छा होता है आजकल। ऊपर से नीचे तक देख लो। सच बोलने का बुरा होता है और मैं सच बोल रहा हूं। दूसरी बात, मैं कुछ भी किस पर लिखूं या न लिखूं, सरकार कौन होती है मुझसे पूछने वाली? मेरा लैपटॉप, मेरा मोबाइल, मेरा टाइपराइटर, मेरी कलम। जो मन करेगा, जिस पर, जब करेगा, लिखूंगा और जरूर लिखूंगा। और सुनो, मैं किसी सरकार का दिया नहीं खाता। ये ऊपर बैठे हुए हरामखोर खाकर डकार नहीं लेते। आज कल खाने में ही लगे हैं। ये भी खा लूं, वो भी खा लूं। सब आज ही खा लूं।

-मतलब तेरी मंशा गिरफ्तार होने की है। समझ ले, गिरफ्तार होने पर क्या होता है? हड्डी-पसली तक टूट जाती है कई बार। कई बार राम नाम सत हो जाता है। अभी वो 84 साल का बुड्ढा मर गया जेल में। उसे जमानत तक नहीं मिली। फिर भी तेरी अकड़ बाकी है?

-मगर किस जुर्म में आप मुझे गिरफ्तार करोगे?

-जुर्म तो देख, इधर, मेरी तरफ देख, यूं निकल आता है, यूं। क्या समझा? और तुझे बताया न कि टाइपराइटर घर में रखना जुर्म है?

-कब से जुर्म है? कब कानून बना और किसने बनाया? मैंने तो कभी सुना-पढ़ा नहीं।

-तो हम इसके लिए जिम्मेदार हैं ?

-तो कानून कौन सा है यह तो बताओ।

-तू हमसे जवाब-तलब करेगा? हमारा अफसर लगा हुआ है? मौखिक आदेश है ऊपर से कि सबके घर-घर जाकर चैक करो। टाइपराइटर मिले तो तोड़ दो। लोग इसका इस्तेमाल आजकल सरकार के खिलाफ करने लगे हैं। बस तू खुद इस टाइपराइटर को बाहर फेंक दे। तुझे कुछ नहीं होगा। हम चुपचाप चले जाएंगे।

-लेकिन मैं इसे नहीं फेंकूंगा।

-सोच ले एक बार। सरकार से पंगे नहीं लिया करते।

-इसमें पंगा लेने की क्या बात है?

-है भई है। तुझे प्यार से समझा रहे हैं। समझ जा। सोच ले एक बार।

-हां, सोच लिया।

-जल्दी मत कर। बीवी-बच्चों से पूछ ले। फिर आकर बता। जा। जा-जा पूछ ले, बुढ़ऊ।

-पूछ लिया।

-फिर कहते हैं, चाचे, पूछ ले।

-कहा न, पूछ लिया।

-ऐसे कैसे पूछ लिया। जा, जाकर पूछ।

-पूछकर देख लिया। इसमें पूछना क्या है?


-ऐ सिपाहियो, ऐसा करो इसका यह सड़ियल टाइपराइटर इसी समय इसकी आंखों के सामने तोड़कर फेंक दो। चूर-चूर कर दो। विरोध करे तो दो थप्पड़ मारो इसे। पटक दो जमीन पर। वैसे अभी भी कह रहे हैं कि तेरा ये पहला जुर्म है और तुझ से अनजाने में हुआ है। तू चाहे तो हम तुझे छोड़ सकते हैं, बस ये टाइपराइटर तू तोड़कर फेंक दे।

इसके बजाय मुझे क्यों नहीं फेंक देते?

अच्छा तुझे फेंक दें? बड़ा बहादुर बनता है भई। भगत सिंह के खानदान से है क्या? लगता है तेरा दिमाग हो गया है खराब। तुझे गिरफ्तार करके आगरा के मेंटल हास्पिटल में भेजना पड़ेगा। चल भई तुझे ले ही चलते हैं। तू ऐसे मानेगा नहीं। तेरी इच्छा पूरी करते हैं। पकड़ो इसे और फेंको इसका टाइपराइटर। अच्छे-अच्छे इस सरकार के आगे पानी मांगते हैं और इसमें इतनी अकड़ ?कहां से आई रे तुझमें इतनी अकड़, दो कौड़ी के आदमी? नशा-पत्ता करता है क्या?अच्छा चल।बोल, अभी भी बोल। बचना चाहता है क्या, अकड़ू?

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