आज के समय में पेट्रोल और डीजल नकली हो गई है क्या? अब इनके सीने में आग क्यों नहीं लगती!

सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों को इसलिए बढ़ा रही है ताकि बढ़ती बेरोजगारी से परेशान होकर देश के युवा और कृषि संकट से जूझ रहे किसान कहीं खुद को आग के हवाले ना कर दें। सरकार इनको भी तो सुरक्षित कर रही है!

फोटो: Getty Images
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विनय कुमार

मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं। ऐसे में महंगाई के बढ़ने और घटने का प्रभाव सीधा पड़ता है। पेट्रोल और डीजल के दाम आए दिन बढ़ रहे हैं। हर रोज सुबह जैसे ही खबरों के माध्यम से पता चलता है कि आज फिर से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए हैं तो हलक सूख जाता है। आज सुबह चाय की चुस्कियों के साथ मैं ये सोचने लगा कि हम जैसे मध्यवर्गीय परिवार किसी तरह तो जी लेंगे, आदत है एडजस्ट करने की, कर लेंगे। लेकिन उनका क्या होगा जो हमारे जाने-माने महानायक और अभिनेता हैं। वो तो बेचारे मर गए होंगे या फिर मरने के कगार पर होंगे! आप कहेंगे ऐसा क्यूं भाई। तो इससे समझने के लिए हमें साल 2012 के पन्नों को पलटना होगा।

साल 2012 में कांग्रेस सत्ता पर काबिज थी और पेट्रोल-डीजल के दामों में उछाल आया। उस दौर में बड़े-बड़े सुपरस्टार के रातों की नींद उड़ गई। 24 जुलाई 2012 को पेट्रोल के दाम 68.48 रुपये था। तब अभनेता अमिताभ बच्चन ने कहा था कि रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा। गाड़ी खरीदोगे कैश से और पेट्रोल लोन से आएगा।

अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा था कि दोस्तों, मेरा विचार है कि अब आप अपनी साइकिल निकालकर साफ कर लें। सूत्रों के मुताबिक, एक बार फिर पेट्रोल के दाम बढ़ने वाले हैं।

अनुपम खेर ने 14 अक्टूबर, 2012 को कहा था कि मैंने अपने ड्राइवर से पूछा, तुम इतना लेट क्यों आए हो? उसने कहा, सर, आज मैं साइकिल से आया। मैंने पूछा तुम्हारी मोटरसाइकिल को क्या हुआ? उसने बताया कि सर, वो घर में शोपीस की तरह रखी हुई है।

यह बेचैनी साल 2012 में देखने को मिली थी। जब पेट्रोल की कीमत 60 से 65 रुपये के बीच में थी तब इन सभी अभिनेताओं को पेट्रोल बहुत महंगा लगता था। ऐसे में आज क्या इनको पेट्रोल और डीजल की कीमत महंगा नहीं लगा रहा है?

मेरा मानना है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर देशहित में अच्छा काम कर रही है! आप सोचेंग ऐसे क्यूं। तो मैं आपको क्रोनोलॉजी समझता हूं। सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों को इसलिए बढ़ा रही है ताकि बढ़ती बेरोजगारी से परेशान होकर देश के युवा और कृषि संकट से जूझ रहे किसान कहीं खुद को आग के हवाले ना कर दें। सरकार इनको भी तो सुरक्षित कर रही है!

ऐसा भी हो सकता है सरकार दहेज लोभियों के खिलाफ काम कर रही हो। सरकार पेट्रोल के दामों को इतनी ऊंचाई पर पहुंचाना चाहती हो कि दहेज में गाड़ी की लेन-देने की प्रथा ही खत्म हो जाए। लड़के वाले गाड़ी तो दहेज में ले लेंगे, लेकिन तेल तो खुद के पैसे से भरवाने पड़ेंगे। यह भी हो सकता है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों को बढ़ा रही हो! बेकाबू पेट्रोल-डीजल के दामों से लोग गाड़ी चलाना ही छोड़ दें और साइकिल पर आ जाएं। ऐसे में एक तो पर्यावरण की रक्षा होगी और दूसरी ओर लोगों की सेहत भी अच्छी होगी। ऐसे में बढ़ते तेल की कीमतों से किसी को क्या तकलीफ होगा भाई!

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