बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा लेकिन, महिला राजदूतों की संख्या के मामले में भारत फिसड्डी

भारत के कुल राजदूतों में से महज 13 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या 17.4 प्रतिशत थी। जाहिर है, इस सन्दर्भ में हम वैश्विक औसत से बहुत दूर हैं और मध्य-पूर्व के देशों के समक्ष खड़े हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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महेन्द्र पांडे

यूनाइटेड अरब एमिराट्स की संस्था, अनवर गर्गाश डिप्लोमेटिक अकैडमी, पिछले कुछ वर्षों से वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्स प्रकाशित करता है। इसके 2023 वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्स में कुल 169 देशों में महिला राजदूतों और संयुक्त राष्ट्र या अन्य संस्थाओं में स्थाई प्रतिनिधियों का लैंगिक आकलन किया गया है। इसके अनुसार वैश्विक स्तर पर सभी राजदूतों और स्थाई प्रतिनिधियों में से औसतन 21 प्रतिशत महिलाएं हैं। यूरोप के लिए यह संख्या 28 प्रतिशत, ओशिनिया के चार देशों – ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, फिजी और पापुआ न्यू गिनी के लिए 26.4 प्रतिशत, दक्षिण और उत्तरी अमेरिका के लिए संयुक्त तौर पर 25 प्रतिशत, अफ्रीका के लिए 18 प्रतिशत, एशिया के लिए 12 प्रतिशत और मध्यपूर्व के लिए 10 प्रतिशत है।

इस इंडेक्स के अग्रणी देश हैं– कनाडा, एंडोरा, मालदीव्स, मोनाको, फ़िनलैंड, घाना, निकारागुआ, स्वीडन, बहमास, यूनाइटेड किंगडम, न्यूज़ीलैण्ड और अमेरिका। कनाडा के 51 प्रतिशत और अमेरिका के 41 प्रतिशत राजदूत महिलाएं हैं, और शेष देशों के लिए यह संख्या इनके बीच है। इस इंडेक्स में किसी देश द्वारा नियुक्त किए गए सभी राजदूतों में से महिला राजदूतों के एक सामान प्रतिशत संख्या वाले देशों को एक ही स्थान पर रखा गया है इसलिए 169 देशों वाले इंडेक्स में महज 68 पायदान हैं और भारत का स्थान इसमें 47वां है, हालांकि देशों के क्रम में इसका स्थान 116वां है। भारत के कुल राजदूतों में से महज 13 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या 17.4 प्रतिशत थी। जाहिर है, इस सन्दर्भ में हम वैश्विक औसत से बहुत दूर हैं और मध्य-पूर्व के देशों के समक्ष खड़े हैं। लैंगिक समानता के हरेक आयाम में भारत दुनिया के सबसे असमान देशों के साथ ही खड़ा रहता है।

देशों के क्रम के सन्दर्भ में हमारे पड़ोसी देशों में श्रीलंका 29वें, बांग्लादेश 99वें, भूटान 117वें, नेपाल 126वें, अफ़ग़ानिस्तान 139वें, पाकिस्तान 144वें और म्यांमार 165वें स्थान पर है। दुनिया में 6 देश – टोगो, नार्थ कोरिया, म्यांमार, जिबोटी, कोमोरोस और बेलारूस – ऐसे हैं जहां का कोई भी राजदूत महिला नहीं है। जाहिर है ये सभी देश इंडेक्स में सबसे नीचे है। इनसे ऊपर के स्थान पर कुवैत, रूस, क़तर और जापान हैं।

दूसरे देशों में अपने देश का प्रतिनिधित्व राजदूत या उच्चायुक्त करते हैं, पर यह काम शुरू से ही पुरुषों के अधिकार क्षेत्र में रहा है। धीरे-धीरे अब इस परंपरा में बदलाव आ रहा है और महिलाएं भी राजदूत बन कर अपने देशों का प्रतिनिधित्व दूसरे देशों में करने लगी हैं। हालांकि दूतावासों और संयुक्त राष्ट्र में सहायक पदों पर बड़ी संख्या में महिलाएं भेजी जा रही हैं, पर महिला राजदूतों या उच्चायुक्तों की संख्या अभी भी अपेक्षाकृत कम है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ गोटेनबर्ग में समाजशास्त्र के विशेषज्ञों ने जेंडर इन डिप्लोमेसी का एक वैश्विक डाटासेट तैयार किया है जिसमें वर्ष 1968 से 2021 तक के सभी देशों के द्वीपक्षीय राजदूतों की नियुक्ति का लेखाजोखा दर्ज है। इस डाटासेट में कुल 89263 राजदूतों का उल्लेख है। इसके अनुसार वर्ष 1968 में पूरी दुनिया में महिला राजदूतों की संख्या महज 0.9 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2021 तक बढ़ कर 21 प्रतिशत तक पहुंच गयी। महिला राजनईकों की संख्या बढाने और इस ओर देशों को ध्यान दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र हरेक वर्ष 22 जून को “वीमेन इन डिप्लोमेसी” से संबंधित अंतरराष्ट्रीय दिवस का आयोजन करता है।


वर्ष 1968 में 127 देशों के आंकड़े उपलब्ध थे, जिनमें से महज 22 देशों ने महिला राजदूतों को नियुक्त किया था – गिनी को छोड़कर किसी भी देश के महिला राजदूतों की संख्या कुल राजदूतों की तुलना में 2 प्रतिशत से अधिक नहीं थी। अफ्रीका के देशों में वैश्विक औसत से भी कम महिला राजदूत नियुक्त की गईं थीं, पर गिनी के कुल राजदूतों में से 20 प्रतिशत महिलाएं थीं। वर्ष 1968 में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक महिला राजदूतों की नियुक्ति करने वाला देश गिनी ही था। वर्ष 2021 तक महिला राजदूतों की संख्या में वृद्धि हो गयी थी, पर क्षेत्रीय असमानताएं बढ़ गईं थीं। यूरोप के नार्डिक क्षेत्र के देशों से 41 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं, जबकि मध्यपूर्व के देशों से महज 12 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं।   

वर्ष 2021 में प्रशांत महासागर में स्थित छोटे देश, नॉरू, के सभी राजदूत महिलाएं थीं। यूरोप में नोर्वे के पास स्थित देश, लिचटेंस्टीन, के कुल राजदूतों में से 80 प्रतिशत महिलाएं थीं। सेंट किट्ट्स, जैमेका और ग्रेनेडा के राजदूतों में 60 प्रतिशत महिलाएं थीं, जबकि स्वीडन में 47 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं।


वर्ष 2017 में ऐन टोव्न्स ने एक अध्ययन प्रकाशित किया था, जिसमें दुनिया के 50 सबसे समृद्ध देशों द्वारा वर्ष 2014 में नियुक्त राजदूतों का लैंगिक आकलन किया गया था। इस अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर औसतन 85 प्रतिशत राजदूत पुरुष थे, महज 15 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं – पर इन आंकड़ों में गहरी क्षेत्रीय असमानता थी। नार्डिक देशों के राजदूतों में 35 प्रतिशत महिलाएं थी जबकि उत्तरी अमेरिका से 25 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं। दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और नार्डिक देशों को छोड़कर शेष यूरोप से महिला राजदूतों की संख्या वैश्विक औसत, यानि 15 प्रतिशत, के आसपास थी। एशिया और मध्यपूर्व से महिला राजदूतों की संख्या वैश्विक औसत से बहुत कम थी – एशिया से 10 प्रतिशत और मध्यपूर्व से 6 प्रतिशत राजदूत महिलाएं थीं।

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