खरी-खरीः नफरत के खिलाफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से डरी बीजेपी, लोगों पर चढ़ रहे जादू ने अंदर तक हिलाया

भारत जोड़ो यात्रा लेकर राहुल गांधी दिल्ली पहुंचे, तो सुबह चार बजे से शाम सूरज डूबने तक कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों की संख्या में यात्री उनके साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल रहे। इसी को कहते हैं वह जादू जो सिर चढ़कर बोले।

फोटोः विपिन
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ज़फ़र आग़ा

बीजेपी ने पहले ‘पप्पू’ कहा। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम करने को सैकड़ों करोड़ का अभियान चलाया। आज स्वयं बीजेपी उसी ‘पप्पू’ से भयभीत है। जी हां, पूरा हिन्दुत्व घराना अब राहुल गांधी के साये से डर रहा है। तब ही तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर पार्टी और केन्द्रीय सरकार तक अब सब कोविड-कोविड चिल्ला रहे हैं। उद्देश्य यह है कि जनता को कोविड से डराओ ताकि वह राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल न हो। फिर भी, राहुल जब 24 दिसंबर को दिल्ली पहुंचे, तो सुबह चार बजे से शाम सूरज डूबने तक कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों की संख्या में यात्री राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल रहे। इसी को कहते हैं वह जादू जो सिर चढ़कर बोले।

कोई माने या न माने, यह सच है कि राहुल गांधी का जादू अब इस देश में सिर चढ़कर बोल रहा है। और क्यों न बोले? राहुल के अतिरिक्त है कोई दूसरा जो इस कड़ाके की ठंड में कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3,570 किलोमीटर पैदल भारत की यात्रा करे। वह भी कोई घूमने के लिए नहीं बल्कि लक्ष्य यह है कि इस यात्रा के माध्यम से भारत को जोड़ा जाए। वह भी किसी जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि प्रेम से। तुम देश में नफरत फैला रहे हो, हम प्रेम और सद्भावना की यात्रा कर रहे हैं। देशवासियों से कह रहे हैं, ‘हमारा पैगाम मोहब्बत है, जहां तक फैले’।

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फोटोः विपिन

यही तो है न राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पैगाम! इसमें कोई राजनीति नहीं, किसी प्रकार से वोट बटोरने की चेष्टा नहीं। किसी एक पार्टी अथवा स्वयं के लिए कुछ प्राप्ति की लालसा नहीं। यह यात्रा तो स्वयं त्याग की है। इस यात्रा में प्रेम के माध्यम से जनता को यह होश दिलाना और जगाना है कि तुमको जिस नफरत के रास्ते पर भटका दिया गया है, वह रास्ता स्वयं तुमको बर्बाद कर रहा है। राहुल गांधी अपनी यात्रा में देश की जनता को यही तो बता रहे हैं कि देखो, नफरत की राजनीति से तुम्हारा क्या हाल हुआ। तुम्हारी नौकरियां गईं। तुम्हारे रोजगार और व्यापार ठप हुए। तुम स्वयं घाटे में रहे। इस रास्ते को त्यागो। इसकी जगह प्रेम की यात्रा से जुड़ो जो इस देश का सदियों पुराना रास्ता है और जो भारतीय सभ्यता की आत्मा है।  

दिल्ली में 24 दिसंबर को राहुल गांधी ने लाल किले से यही निर्भीक संदेश दिया। वह बोले, ‘यह टीवी वाले दिन-रात हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-मुस्लिम लगाए रहते हैं।’ फिर उन्होंने कहा कि यह देश ऐसा नहीं है। राहुल ने लाल किले से खड़े होकर जनता के सामने भारत की असली तस्वीर रख दी। वह बोले, मैं यहां से खड़ा होकर सामने मस्जिद देख रहा हूं, मेरे एक ओर मंदिर है और दूसरी ओर गुरुद्वारा है। और लाल किले के ठीक सामने चांदनी चौक की यही सच्चाई है। पास में एक ओर ऐतिहासिक ऊंची-ऊंची जामा मस्जिद की मीनारें हैं, चांदनी चौक के एक छोर पर सदियों पुराना जैन मंदिर और उसके बजते घंटों का संगीत, तो चौक के दूसरे छोर पर गुरुद्वारा और वहां से उठती वाहे गुरु की पुकार। यही तो है न भारत वर्ष, अनेकों धर्मों का संगम, विभिन्न सभ्यताओं का समागम और इन सब अनेकों विभूतियों के प्रेम से मिलकर निकलता भारतवर्ष का प्रेम का संदेश। यही तो है गौतम का भारत, कबीर, गुरु नानक और निजामुद्दीन का भारत।

खरी-खरीः नफरत के खिलाफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से डरी बीजेपी, लोगों पर चढ़ रहे जादू ने अंदर तक हिलाया
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राहुल गांधी आज नफरत की राह पर भटकी जनता को उसी प्रेम और सद्भावना की याद दिलाने पैदल हजारों किलोमीटर का सफर कर रहे हैं। यह प्रेम यात्रा संतों और सूफियों के कर्मों की यात्रा है। यह निर्मोह यात्रा महात्मा गांधी के संदेशों की यात्रा है। राहुल गांधी की इस यात्रा में कोई मोह नहीं है। यह गौतम के समान निर्मोही, स्वयं को खोजने की यात्रा है। इसमें भारत की आत्मा को छू लेने की जिज्ञासा है। इस यात्रा के माध्यम से देशवासियों को आईना दिखाकर उनको नफरत के रास्ते से निकालकर भारत के सदियों पुराने प्रेम और मोहब्बत के रास्ते पर चलाना है।

सच पूछिए तो भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी की तपस्या है और राहुल गांधी की यह तपस्या सफल है। आज के भारत के सामने एक नवीन राहुल गांधी हैं। इस राहुल गांधी ने इस यात्रा के माध्यम से स्वयं अपने अंदर छिपे राहुल गांधी को ही नहीं खोज निकाला है बल्कि इस राहुल गांधी ने प्रेम और समागम में डूबी भारत की आत्मा को भी झांककर देख लिया है। भारत का यह निर्भीक यात्री अब हर प्रकार के लोभ, लालसा और मोह से परे है। इस राहुल गांधी ने महात्मा गांधी का मार्ग खोज लिया है। सत्ता इस राहुल गांधी का लक्ष्य नहीं है। यह राहुल गांधी देश और देशवासियों को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखा रहा है। बस यही सत्य, प्रेम और अहिंसा अब राहुल गांधी का रास्ता है।

खरी-खरीः नफरत के खिलाफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से डरी बीजेपी, लोगों पर चढ़ रहे जादू ने अंदर तक हिलाया
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इस राहुल गांधी से ही बीजेपी को डर लग रहा है क्योंकि राहुल गांधी के विपरीत बीजेपी का रास्ता नफरत का रास्ता है जो भारत को तोड़ने का मार्ग है। इसी को तो बीजेपी ने हिन्दुत्व की संज्ञा दी है। इस मार्ग पर लड़ाई, झगड़े, दंगे हैं। इस मार्ग का एक धर्म, दूसरे धर्म पर तलवार ताने खड़ा है। इस मार्ग में धर्म का उपयोग कर किसी प्रकार सत्ता प्राप्त करना है। इस मार्ग में टकराव है। नफरत में डूबकर ‘दूसरे’ को शत्रु समझना है। यहां मंदिर के घंटे और मस्जिद की अजान आपस में प्रेम भाव नहीं उत्पन्न करते हैं। वह तो आपसी विवाद का माध्यम बन जाते हैं।

राहुल गांधी जनता को इस भटके रास्ते से निकाल कर इस देश को प्रेम और सद्भावना की राह दिखा रहे हैं। वह भी प्रेम के माध्यम से। तब ही तो बीजेपी अब निर्मोही और निरपेक्ष राहुल गांधी से डर रही है। इस डर का मुख्य कारण यह है कि अब जनता भी राहुल गांधी का यह निर्मोही रूप देखने लगी है। अब जनता को भी यह दिख रहा है कि राहुल गांधी त्यागी हैं, सत्ता लोभी नहीं। और इस देश ने सदैव त्यागियों को आदर-सम्मान दिया है।


केवल राहुल ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी को भी भारत जोड़ो यात्रा से नवनिर्माण का अवसर मिला है। कांग्रेस लगभग कई दशकों तक सत्ता से जुड़ी रही। इस कारण कांग्रेसजनों की वैचारिक प्रतिबद्धता भी धूमिल पड़ चुकी थी। राहुल गांधी की यात्रा ने कांग्रेस पार्टी को पुनः गांधी जी की सत्य और अहिंसा की विचारधारा से जोड़ दिया। साथ ही पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय होने की प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान कर दी।  

इन्हीं कारणों से बीजेपी चिंतित है। अब बीजेपी राहुल गांधी का माखौल नहीं बना सकती है। अब बीजेपी इस तपस्वी को ‘शहजादा’ कह कर नहीं पुकार सकती है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में न केवल एक नया राहुल जन्मा है बल्कि इस देश की जनता को भी यह दिख रहा है कि राहुल त्यागी हैं, सत्ता लालसी नहीं। यही है बीजेपी का डर और यही है भारत का नया सामाजिक और राजनीतिक नैरेटिव।

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Published: 30 Dec 2022, 5:00 PM