आखिर क्यों लगती है दिल्ली की सर्दी में गर्मी, ऐसे में बारिश आ जाए तो...

पहले दशहरे के समय सर्दियां शुरू होती थीं और होली के आसपास तक गर्म स्वेटर, कोट पहने जाते थे। सर्दियां की धीरे-धीरे अवधि कम होती गई और अब तो क्रिसमस से गणतंत्र दिवस तक ही सर्दी रहती है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

महेन्द्र पांडे

दिल्ली में 20 साल पहले बसने वालों ने यहां की सर्दी की अवधि और तीव्रता के बदलने का अनुभव जरूर किया होगा। पहले दशहरे के समय सर्दियां शुरू होती थीं, रामलीला देखने वाले स्वेटर या शाल लेकर जाते थे। होली के आसपास तक स्वेटर, कोट पहने जाते थे। धीरे-धीरे इसकी अवधि कम होती गई और अब तो क्रिसमस से गणतंत्र दिवस तक ही सर्दी रहती है।

अब, सर्दी की तीव्रता भी कम हो गई है और शीतलहर तो लगभग विलुप्त होती जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार 18 जनवरी का दिन पिछले आठ वर्षों में किसी भी जनवरी की तुलना में सर्वाधिक गर्म था। इस वर्ष जनवरी में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य है। दिल्ली के संदर्भ में दिसम्बर 2017 और जनवरी 2018 के बीते दिन असामान्य रहे हैं। मौसम विभाग ने पहले ही दीर्घकालीन आकलन द्वारा स्पष्ट कर दिया था कि इस वर्ष दिल्ली समेत देश के उत्तरी राज्यों में कम सर्दी पड़ेगी।


साल 2008 के बाद से दिसंबर 2017 दूसरा सबसे गर्म दिसंबर रहा है, पर इसमें 2 दिन शीतलहर का दौर चला था और 1 दिन बारिश भी हुई थी। जनवरी में एक बार भी बारिश नहीं होने से और शीतलहर नहीं चलने के कारण यह 2009 के बाद का सबसे गर्म जनवरी रही है। राहत की बात यह है कि मौसम विभाग ने 23 जनवरी को बारिश की भविष्यवाणी की है, संभवतः इसके बाद शीतलहर जैसी स्थिति देखने को मिले।

हवा की दिशा का योगदान हवा को ठंडा या गरम रखने में रहता है, पर वायु प्रदूषण और तापमान वृद्धि का भी इसमें योगदान है। पिछले दो दशकों से यहां वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता रहा है और सर्दियां कम होती जा रहीं हैं। जब सर्दी का मौसम आता है तो प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।

दिल्ली में बेघर लोगों की बड़ी संख्या है और ये ठंढ से बचने के लिये आसपास की बेकार सभी चीजों को इकट्ठा कर जला डालते हैं। ऐसा बड़े पैमाने पर पूरी दिल्ली में किया जाता है और भारी मात्रा में प्रदूषित गैसें हवा में मिलती हैं। कोहरे के कारण ये गैसें ज्यादा ऊपर तक फैल नहीं पातीं और नीचे का वायुमंडल गर्म होता जाता है।

दूसरी तरफ तापमान वृद्धि का असर भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2017 को मानव इतिहास का सबसे गर्म साल बताया जा रहा है। बारिश से ही सर्दी ठीकठाक पड़ती है और प्रदूषण से भी राहत मिलती है। उम्मीद की जानी चाहिये, मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही हो और 23 जनवरी को बारिश आ जाये।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia