'चुनाव की चोरी पर राहुल गांधी के लेख पर देवेंद्र फडणवीस का जवाब झूठ का पुलिंदा'
महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव और मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने देवेंद्र फडणवीस के उस जवाब को झूठ का पुलिंदा करार दिया है, जो फडणवीस ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के 'चुनाव की चोरी' वाले लेख पर दिया था।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने लेख के माध्यम से यह सवाल उठाया कि किस तरह चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहा है, और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 82 विधानसभा क्षेत्रों के 12,000 बूथों पर जो गड़बड़ियां हुईं, उस पर भी सवाल उठाया। राहुल गांधी ने लेख में कुछ गंभीर और और ठोस सवाल किए हैं:
2024 की लोकसभा और विधानसभा की पूरी मतदाता सूची सार्वजनिक की जाए।
यह सूची फोटो सहित मशीन रीडेबल फॉर्मेट में उपलब्ध कराई जाए।
शाम 5 बजे के बाद हुए मतदान के CCTV और वीडियो फुटेज उपलब्ध कराए जाएं।
82 विधानसभा क्षेत्रों के 12,000 बूथों पर 76 लाख मतदान हुआ यानी औसतन हर बूथ पर 600 वोट। अगर एक वोट डालने में एक मिनट लगा तो कम से कम 10 घंटे का समय लगता, लेकिन महाराष्ट्र के किसी भी बूथ पर रातभर मतदान नहीं हुआ। आयोग एक भी ऐसा बूथ दिखाए जहां सुबह तक मतदान चला हो, यही हमारी चुनौती है।
राहुल गांधी के इन सवालों पर चुनाव आयोग ने जो जवाब दिया, उसे आधिकारिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उस बयान पर न तो किसी अधिकारी की मुहर है, न हस्ताक्षर, और न ही वह आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। लेकिन राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस एक लेख लिखकर अनधिकृत जवाब दिया है। देवेंद्र फडणवीस ने जो तर्क दिए, उनकी भी विश्वसनीयता संदेहास्पद है।
देवेंद्र फडणवीस ने अपने लेख में कहा है कि शाम 5 बजे के बाद 16 लाख मतदान हुआ, जबकि वास्तविक आंकड़ा 76 लाख का है। फडणवीस दावा करते हैं कि मोदी सरकार का किसी भी संवैधानिक संस्था पर दबाव नहीं है। अगर ऐसा है तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की समिति बनाने का आदेश क्यों दिया? और फिर मोदी सरकार ने कानून में बदलाव कर चीफ जस्टिस की जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित मंत्री को समिति में शामिल करने का लोकतंत्र विरोधी कदम क्यों उठाया?
एक और उदाहरण है। जिन अजीत पवार पर बीजेपी ने 70 हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले का आरोप लगाया था, जिन छगन भुजबल को महाराष्ट्र सदन घोटाले में जेल भेजा, अंडरवर्ल्ड माफिया इकबाल मिर्ची के पार्टनर कहे गए जिन प्रफुल्ल पटेल, शेल कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी नारायण राणे, और जिनके भ्रष्टाचार के आरोप फडणवीस ने विधानसभा में गिनाए – उन सबको आज मंत्री बनाकर साथ लिया गया। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग कर लोगों को जेल भेजना और फिर सत्ता में शामिल करना – क्या यह सच नहीं है?
तीसरा उदाहरण – पंजाब विधानसभा चुनाव में चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने 5 बजे के बाद के वीडियो फुटेज सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। तब केंद्र सरकार ने कानून बदलकर इस फुटेज को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी। आखिर सरकार क्या छिपा रही है?
चुनाव आयोग की मतदाता सूची में 9.70 करोड़ मतदाता हैं, जबकि सरकार के ही स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 18+ की आबादी 9.54 करोड़ है। ये 16 लाख अतिरिक्त मतदाता कहां से आए – इसका जवाब आज तक नहीं मिला।
महाराष्ट्र की कराड दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची ‘डी-डुप्लिकेशन’ सॉफ्टवेयर से जांची गई तो हजारों फर्जी नाम मिले – नाम एक जैसा, लेकिन पता और EPIC नंबर अलग। तहसीलदार और जिलाधिकारी ने इस पर मुहर लगाई है, लेकिन चुनाव आयोग मानने को तैयार नहीं। एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग बूथों पर कई बार वोट डाले हैं (यह ध्यान रहे कि एसिटोन लगाने से वोट डालते वक्त चुनाव अधिकारी द्वारा उंगली पर लगाई गई स्याही मिट जाती है)
इन सभी तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी जो सवाल उठा रहे हैं, वह सच के बेहद करीब हैं। फडणवीस जी को यह सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए। लेकिन वे तथ्यात्मक जवाब देने के बजाय शेरो-शायरी करते हैं। लगता है पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से यह हुनर सीखा है उन्होंने।
ध्यान रहे कि 2014 के बाद से देश में संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता लगातार गिरती जा रही है। 2004 से अब तक किसी भी चुनाव में शाम 5 बजे के बाद मतदान प्रतिशत में 1.25% से ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन इस बार के चुनाव में 8% की बढ़ोतरी कैसे हो गई? इसका जवाब अब फडणवीस को ही देना है कि – किसके चेहरे पे धूल है और कौन आइना साफ कर रहा है?
फडणवीस का यह दावा भी पूरी तरह खोखला है कि जनता ने कांग्रेस को नकारा है। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी की करारी हार हुई है। और विधानसभा में बीजेपी ने जनादेश चुरा कर सरकार बनाई। चुनाव के बाद हर तरफ यही चर्चा थी कि ये कैसे जीत सकते हैं? किसान, युवा, महिलाएं – कोई भी बीजेपी-शिंदे-अजित पवार की महायुति सरकार से खुश नहीं था। हर कोई कह रहा था – हमने इन्हें वोट ही नहीं दिया। इसलिए सोलापुर जिले के मारकडवाडी गांव में लोगों ने बैलेट पेपर से चुनाव कर पर्दाफाश करने का फैसला किया था, लेकिन इस सरकार ने दमनकारी तरीकों से उस आवाज़ को कुचल दिया।
बीजेपी के इसी कदम से चुनाव चुराए जाने की सच्चाई सामने आ गई थी। मारकडवाडी की मिट्टी से निकली यह चिंगारी अब पूरे महाराष्ट्र में भड़कने वाली है, और अगर चुनावों की चोरी ऐसे ही चलती रही तो यह आग रुकने वाली नहीं।
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