विष्णु नागर का व्यंग्यः हद दर्जे का अवसरवादी है कोरोना, भारत में जल्द ही सवर्ण-दलित भी हो जाएगा!

कोरोना जब चीन से चला था, तब वह कम्युनिस्ट रहा होगा। इटली-स्पेन-अमेरिका में ईसाई तो ईरान में मुसलमान हो गया होगा। भारत आया तो मुसलमान भी रहा, हिंदू भी हो गया। हद दर्जे कि इसकी अवसरवादिता को इसी तरह प्रोत्साहन मिला, तो यह जल्दी ही सवर्ण और दलित भी हो जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

सच्चाई  छुप नहीं सकती बनावट के सरकारी खंडनों से (जबकि अंग्रेजी के कम से कम तीन बड़े अखबारों ने इसे पुष्ट किया है) कि अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल में कोरोना पीड़ितों के हिंदू-मुस्लिम वार्ड बनाए गए हैं। पढ़ कर लगा कि गुजरात ने इस बार फिर लीड ले ली, आदमी तो आदमी, कोरोना को भी हिंदू-मुस्लिम बना दिया!

दरअसल जब कोरोना चीन से चला था, तब शायद यह कम्युनिस्ट रहा होगा। इटली-स्पेन-अमेरिका में यह ईसाई हो गया होगा। ईरान आदि में फिर से इसने भेस बदला होगा, मुसलमान हो गया होगा। भारत आया तो मुसलमान भी रहा, हिंदू भी हो गया! हद दर्जे कि उसकी अवसरवादिता को इसी प्रकार प्रोत्साहन मिलता रहा, तो यह जल्द ही भारत में सवर्ण और दलित हो जाएगा!

हिंदुत्व से प्रेरणा पाकर इसे पिछड़ा और दलित होने में भी दिक्कत नहीं आएगी। ईश्वर ने उसका और भला चाहा तो यह साऊथ और नार्थ इंडियन, आस्तिक और नास्तिक, शाकाहारी और मांसाहारी भी बन जाएगा। मांसाहारी में भी यह या तो गोभक्षक होगा या चिकन-मीट भक्षक। कौन चिकन-मीट भक्षक है और कौन गोभक्षक, यह खाने वाला नहीं, हिंदुत्ववादी तय करेंगे। ये तो बस कुछ ही नमूने हैं। हिंदुत्व के मॉल में जाएंगे तो विभाजनों का खाकी चड्डी-काली टोपी भंडार मिल जाएगा!

हिंदुत्ववादियों के दिल अहमदाबाद वाली खबर से सचमुच बाग-बाग, गार्डन-गार्डन, क्या मुगल गार्डन हो गए थे (खंडन से उन्हें दुख पहुंचा)। आशा करना चाहिए कि अहमदाबाद मॉडल अब चुपके से वड़ोदरा, सूरत आदि में भी अपनाया जा रहा होगा। इस प्रदेश ने विकास का 2002 मॉडल भी पेश किया था, जिसे दिखा-दिखा कर मोदीजी ने 2014 का चुनावी संग्राम जीत लिया था। यह उसी का नया अखिल भारतीय संस्करण है। देखिए आगे इससे कौन-कौन से संग्राम वह जीतते हैं!

कुछ कहते हैं, भाई साहब, माफ करना, आप बार-बार गांधी का गुजरात कहते हो, यह गांधी जी का नहीं, मोदी जी का गुजरात है। स्वयं गांधी जी ने यह संदेश जन-जन तक पहुंचाने को कहा है कि 2002 के बाद का गुजरात उनका नहीं, मोदी जी का गुजरात है। अब दुविधा यह पैदा होती है कि हिंदू-मुस्लिम वार्ड की इस परिकल्पना का श्रेय किसे दिया जाए? गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को दें या उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल को दें। कारण जो भी हो, पटेल साहब ने इसका श्रेय लेने से इनकार कर दिया है।

चलिए इसका श्रेय मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जी को दे देते हैं, मगर इसमें भी खतरा है। इससे मोदीजी और अमित शाह जी दोनों एक साथ नाराज हो सकते हैं। गृहमंत्री से भी डरना पड़ता है और प्रधानमंत्री से तो गृहमंत्री भी शायद डरते होंगे। न डरते होंगे तो डरना चाहिए। तो मैं इसका श्रेय सम्मिलित रूप से दोनों को देता हूं, क्योंकि मैं भी इनसे डरता हूं। श्रेय इन्हें देने के बाद कोई बंदा चूं-चां नहीं कर सकता। सब संघ और बीजेपी के अनुशासित सिपाही हैं, जबकि साहेब बेचारे अभी तक चौकीदार बने हुए हैं। उनका प्रमोशन सिपाही के पद तक पर नहीं हुआ है!

हिंदू-मुसलमान कोरोना वार्ड के एक अत्यंत महत्वपूर्ण एंगल को अभी तक हमने टच नहीं किया है। वह है हिंदुत्व के फ्रंटलाइन सोल्जर माननीय योगी जी का एंगल। उनके दिल पर यह खबर सुनकर क्या बीती होगी! ठीक है कभी-कभी, बड़े-बड़े योगियों का ध्यान भी भटक जाता है और 'महान' आइडियाज किसी और के पल्ले पड़  जाते हैं!

मान लिया कि यह आइडिया किसी गुजराती को आ गया। ठीक है भाई, गुजरात भी भारत का ही अंग है, सच्चे 'हिंदू राष्ट्र' की पितृभूमि है। कोई बात नहीं कि यह आइडिया वहां पैदा हो गया, मगर इसकी प्रयोगशाला बनाने का श्रेय तो देश के सबसे बड़े राज्य यानी उत्तर प्रदेश को यानी आदित्यनाथ को मिलना चाहिए था (उन्हें मिल जाता तो वह इतने साहसी हैं कि इससे न खुद इनकार करते, न किसी को करने देते)!

देखिए चतुराई कि मोदीजी को देश पर राज करना होता है तो उत्तर प्रदेश याद आ जाता है, वाराणसी याद आ जाता है, गंगा बुलाने लग जाती है। मगर हिंदू-मुस्लिम के इस नये 'महान' आइडिया को लागू करने की बारी आई तो उन्हें गुजरात याद आ गया! योगीजी जलभुन कर राख हो गए होंगे और मन ही मन उन्होंने तय किया होगा कि आने दो 2024 फिर चुनाव लड़ने आना वाराणसी! मजा चखा दूंगा! पर मजबूरी है कि अभी मन की इस व्यथा को उन्होंने मन में ही छुपा रखा है।वह सही समय पर सही चोट करेंगे!

ट्रंप को बुलाना हो तो भी मोदीजी को गुजरात याद आता है, हिंदू-मुसलिम वार्ड बनाना हो तो भी गुजरात याद आता है! ठीक है गुजराती भाई। सबका वक्त आता है। मुख्यमंत्री ही तो प्रधानमंत्री भी बनते हैं न! यह सोचकर योगीजी ने अपनी अदृश्य मूंछ पर ताव देते हुए कहा होगा कि मोदीजी शायद आप भूल रहे हैं कि हम योगी तो बाद में हैं, पहले बिष्ट हैं, राजपूत हैं और राजपूत अपना अपमान कभी भूल नहीं सकता!

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