भ्रष्टाचार मुक्त के दावों के बीच बढ़ता भ्रष्टाचार, एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों से भी पिछड़ा भारत

दुनिया के 28 देशों में भ्रष्टाचार पिछली वर्ष की तुलना में कम हुआ है, 34 देशों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। कुल 80 प्रतिशत देशों का इंडेक्स में अंक वैश्विक औसत अंक से भी कम है।

दिल्ली स्थित हैदराबाद हाऊस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो - Getty Images)
दिल्ली स्थित हैदराबाद हाऊस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो - Getty Images)
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महेन्द्र पांडे

ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल ने जनवरी 2024 के अंत में भ्रष्टाचार अनुभूति इंडेक्स 2023 (Corruption Perception Index 2023) प्रकाशित किया है, जिसके अनुसार सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में दुनिया के 180 देशों के सूचि में अमृत काल और रामलला के भव्य मंदिर के जश्न में डूबा और प्रधानमंत्री मोदी की गारंटियों और भ्रष्टाचार-मुक्त के नारों से सराबोर पहले के इंडिया और अब का भारत देश, कुल 39 अंकों के साथ 93वें स्थान पर है। वर्ष 2023 के इंडेक्स में हमारा देश 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर था– यानि एक वर्ष के भीतर ही मोदी जी का विकसित भारत इंडेक्स में 8 स्थान लुढ़क चुका है। इन 8 अंकों का महत्व इसस से पता चलता है कि मोदी सरकार ने जब वर्ष 2014 में भ्रष्टाचार का नारा देकर केंद्र की सत्ता संभाली थी तब भारत का इस इंडेक्स में अब के अंक से केवल एक अंक कम यानि, 38, था। यहां यह भी जान लेना आवश्यक है कि दुनिया में भ्रष्टाचार का औसत अंक 43 है और एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों का औसत 45 है – भारत के इस इंडेक्स में अंक इन औसतों से भी कम हैं। भारत में भ्रष्टाचार के पैमाने का आकलन इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट के अनुसार आंशिक प्रजातंत्र वाले देशों का भी औसत अंक 48 है, जबकि भारत को 39 अंक ही दिए गए हैं – इस दृष्टि से भारत भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में ऐसे देशों के साथ खड़ा है जहां प्रजातंत्र ही नहीं है।

भ्रष्टाचार अनुभूति इंडेक्स में भ्रष्टाचार के स्तर के आधार पर देशों को 0 से 100 तक अंक दिए जाते हैं – 0 अंक मतलब सबसे भ्रष्ट और 100 अंक का मतलब कोई भ्रष्टाचार नहीं। इस इंडेक्स में किसी भी देश को 100 अंक नहीं दिया गया है - पहले स्थान पर 90 अंक के साथ डेनमार्क है। इसके बाद के देश क्रम से हैं – फ़िनलैंड, न्यूज़ीलैण्ड, नॉर्वे, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्सेम्बर्ग। इस इंडेक्स में 11 अंकों के साथ सोमालिया 180वें स्थान पर यानि सबसे अंत में हैं। इससे पहले के देश क्रम से हैं – वेनेज़ुएला, सीरिया, साउथ सूडान, यमन, नार्थ कोरिया, निकारागुआ, हैती, इक्वेटोरियल गिनी और तुर्कमेनिस्तान।

कुल 39 अंकों के साथ 93वें स्थान पर भारत के साथ ही कजाखस्तान, लेसोथो ओर मालदीव्स भी हैं। भारत के पड़ोसी देशों में सबसे आगे 26वें स्थान पर भूटान और 76वें स्थान पर चीन है। भारत के बाद नेपाल 108वें स्थान पर, श्रीलंका 115वें, पाकिस्तान 133वें, बंगलादेश 149वें, अफ़ग़ानिस्तान और म्यांमार 162वें स्थान पर हैं। प्रमुख देशों में कनाडा

12वें स्थान पर, ऑस्ट्रेलिया 14वें, जापान 16वें, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम 20वें, अमेरिका 24वें, यूनाइटेड अरब एमिरात 26वें, साउथ कोरिया 32वें, इजराइल 33वें, साउथ अफ्रीका 83वें, ब्राज़ील 104वें, ईजिप्ट 108वें, तुर्की 115वें, मेक्सिको 126वें और रूस 141वें स्थान पर है।


प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही पूरी बीजेपी लगातार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों को भ्रष्टाचार की जननी करार देती रही है। हाल में ही विधानसभा चुनावों के दौरान राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सभी सभाओं में तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों और सरकार को भ्रष्टाचारी बताया था। वर्ष 2023 में 15 अगस्त को 77वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लाल किले से पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और परिवारवाद को देश का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था और इसके बदले सुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता की बात की थी। गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए संसद में दिए गए चुनावी भाषण में भी इसे दुहराया था। उन्होंने हाथ हवा में लहराते हुए कहा था – भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, परिवारवाद भारत छोड़ो, तुष्टिकरण भारत छोड़ो। पर, इस सरकार और बीजेपी की परंपरा के अनुरूप नारों से आगे हकीकत में कुछ नहीं होता, और यही तथ्य इस इंडेक्स से भी जाहिर होता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में पिछले एक दशक के दौरान दुनिया में कुछ भी बदलाव नहीं आया है, सरकारें इसे रोकने का जितना दावा करती हैं इसका पैमाना उतना ही बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण लचर क़ानून व्यवस्था, पूंजीपतियों द्वारा प्रमुख मीडिया घरानों पर कब्जा और प्रजातंत्र की आड़ में निरंकुश सत्ता है। कुल 23 ऐसे देश हैं जिनका इंडेक्स में अंक अब तक का सबसे कम अंक है। भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे अफ्रीकी देश हैं, जिनका औसत अंक 33 है तो दूसरी तरफ सबसे कम भ्रष्टाचार पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ के देशों में है, यहाँ का औसत अंक 65 है।

दुनिया के 28 देशों में भ्रष्टाचार पिछली वर्ष की तुलना में कम हुआ है, 34 देशों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। कुल 80 प्रतिशत देशों का इदेक्स में अंक वैश्विक औसत अंक से भी कम है। सबसे कम भ्रष्टाचार वाले 25 देशों की आबादी पूरे विश्व की आबादी का महज 10 प्रतिशत ही है। जीवंत प्रजातंत्र वाले देशो का औसत अंक 73 है, आंशिक प्रजातंत्र वाले देशों का औसत 48 और जहां प्रजातंत्र नहीं है उन देशों का औसत अंक 32 है। इस इंडेक्स से स्पष्ट है कि जीवंत प्रजातंत्र भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए आवश्यक है।


वर्ष 2023 के जी20 सम्मेलन के नई दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया था कि, “हम भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं”। दूसरी तरफ इन देशों में से केवल 6 देश ऐसे हैं जो पहले 20 देशों की सूचि में हैं। हमारे देश में तो भ्रष्टाचार का पैमाना ही बदल दिया गया है। बीजेपी की नीतियों और नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार अब भ्रष्टाचार नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय करार दिए जाते हैं। राफेल खरीद की जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा है, अडानी के बैंकों से लिए गए लोन राष्ट्रीय सुरक्षा है, पीएम केयर फंड राष्ट्रीय सुरक्षा है, बीजेपी को दिया गया चन्दा राष्ट्रीय सुरक्षा है, पूंजीपतियों को उपहार के तौर पर दी जाने वाली पब्लिक सेक्टर की संपत्तियों का ब्यौरा राष्ट्रीय सुरक्षा है – कुल मिलाकर बीजेपी के घोटाले से जुडी हरेक जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा है। पूंजीपतियों के मीडिया में जाहिर है उनके और सत्ता के घोटाले कभी नहीं बताये जाएंगे। अब तो न्यायालय भी इन सारे घोटालों को राष्ट्रीय सुरक्षा मानने लगी है।

नेताओं के घोटाले भी बीजेपी और विपक्ष के नजरिये से जांच एजेंसियां और न्यायालय देखने लगे हैं। विपक्ष का हरेक काम घोटाला माना जाता है पर बीजेपी में शामिल होते ही वह पाक साफ़ हो जाता है। दरअसल इस देश में आजकल जो भ्रष्टाचार का पैमाना है वह अभूतपूर्व है, पर दुखद यह है कि जनता और मीडिया इसे विकास मानती है और क़ानून ने आंखें बंद कर ली हैं।

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