विष्णु नागर का व्यंग्यः भाषणों और झूठ से देश नहीं चलता, लेकिन मोदी जी कहते हैं कि बहुत अच्छी तरह चलता है

‘मेरा नाम नरेंद्र मोदी है। मैं सत्ता के लिए कुछ भी कर सकता हूं और किसी भी हद को पार कर सकता हूं। मैं ऐसे ही नहीं जाऊंगा, जैसे अटल जी समेत सभी पहले वाले प्रधानमंत्री गए थे। मैं चौकीदार भी हूं और बिल्कुल वही हूं जैसा राहुल गांधी अक्सर मेरे बारे में कहते हैं।’

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

लोग कहते हैं कि मोदी जी, भाषणों और झूठ से देश नहीं चलता, लेकिन मैं कहता हूं, क्यों नहीं चलता, अच्छी तरह बल्कि बहुत ही अच्छी तरह चलता है। सच तो यह है कि यही एकमात्र तरीका है इस देश को चलाने का। खासकर भारत जैसे विश्वगुरु देश को चलाने का तो इससे बढ़िया तरीका कोई और हो ही नहीं सकता। मैंने चलाया है इसी तरह गुजरात को भी और देश को भी। अब आप ही बताइए दूसरे अगर इस कला में इतने माहिर नहीं थे और आज भी नहीं हैं तो क्या ये गलती इस नरेंद्र मोदी की है?

भाइयों-बहनो, क्या मोदी दोषी हैं इसके लिए? मोदी ने ठेके तो बहुत ले रखे हैं मगर यह ठेका लेकर क्या वह अपने हाथ-पैर कटवाते? अपनी आंखों के सामने प्रधानमंत्री दूसरों को बनने देते? आडवाणी जी के सामने सिर झुकाकर कहते कि ‘गुरुवर आइए और आप प्रधानमंत्री बनिए, क्योंकि कल तक आप ही मेरे राजनीतिक आका थे? आपको लगता है फर्जी डिग्री के बावजूद इतना मूर्ख हूं मैं!’

औरों को छोड़िए आप अटल जी को याद कीजिए। संदेह नहीं कि वह बहुत अच्छा भाषण देते थे लेकिन यह उनकी असफलता थी कि वह मेरी तरह उसमें झूठ इतने बढ़िया ढंग से मिक्स नहीं कर पाते थे। अब आप ही बताइए क्या उनकी क्लास लेने मोदी जाते कि महाराज मुझसे कुछ सीखिए? दो लात देकर भगा दिया जाता मुझे वहां से। कहा जाता कि अरे तुझे हमने गलती से मुख्यमंत्री बनने दिया तो तेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि तू अटल जी को राजनीति सिखाएगा?

मैं, नेहरू जी, इंदिरा जी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह जैसे कांग्रेसियों की क्लास तो संघी होकर तो ले नहीं सकता था! यह संघ से बेवफाई होती और संघ कोई मेरी बीवी या आडवाणी जी तो है नहीं! और अगर मान लो संघ से मैं बेवफाई भी करता तो ये भी मेरा वही हाल करते, जो अटल जी करते! और नेहरू जी, इंदिरा जी और यहां तक कि राजीव जी के जमाने में मैं था ही क्या, था ही कहां? नेहरू जी के जमाने में तो चड्डी पहनना और नाड़ी बांधना भी मैंने मुश्किल से सीखा था।

अच्छा अब आप ही ईमानदारी से बताइए भाषण और झूठ का इतना कलात्मक मिश्रण करना मुझको ना आता तो गुजरात की गद्दी के बड़े-बड़े दावेदारों को पीछे धकेल कर मैं कभी मुख्यमंत्री बन पाता और बन जाता तो ये हत्थे से उखाड़ नहीं देते मुझे? इस कला का मैं सर्वश्रेष्ठ कलाकार न होता तो बताइए मैं अपने प्रदेश में 2002 करवा पाता? इतनी नफरत फैलाकर अपनी राजनीति का किला, लालकिले जैसा मजबूत बनवा पाता? प्रधानमंत्री बन पाता? गुजरात में जितना विकास मैंने नहीं किया, उससे सौ गुना अधिक बताकर भारत के लोगों को इतना बढ़िया उल्लू बना पाता? गरीब तो लालबहादुर शास्त्री भी थे और मनमोहन सिंह भी थे, मगर माफ कीजिए उन्हें अपनी गरीबी की मार्केटिंग करनी नहीं आती थी। मैंने की और खूब की और ऐसी की कि देश में ऐसा माहौल बना दिया कि जैसे पहली बार गरीब का बेटा प्रधानमंत्री बन रहा है। चायवाला बनकर लोगों को भरमा सका कि मुझसे बड़ा गरीबों का हमदर्द न कोई हुआ है, न है और न होगा कभी, जबकि अब आप जानते हैं कि मुझसे बड़ा अमीरों का हितचिंतक प्रधानमंत्री आज तक दूसरा नहीं हुआ।

खूबसूरती से झूठ बोलकर लोगों को बेवकूफ बनाना एक कला है भाइयों-बहनों। आप ही बताइए झूठ को एक कला की तरह पेश करने की मेरे जैसी कला किसे आती थी पहले? था कोई मेरे अलावा जो हरेक को पंद्रह-पंद्रह लाख देने का वादा करता और लोग उस पर विश्वास कर लेते? कोई और अच्छे दिन का वादा करता, दो करोड़ लोगों को हर साल रोजगार देने का वायदा करता और लोग उस पर इतनी आसानी से भरोसा कर लेते? सबका साथ, सबका विकास की बात बिना गटागट की गोली के वे हजम कर पाते?

यह मेरे झूठ और मेरे भाषण का संतुलित मिक्स था कि लोगों ने मुझ जैसे रिकार्ड तोड़ महाझूठे पर भी विश्वास कर लिया और ढाई-तीन साल तो समझो इतने मजे से कर लिया कि जैसे कोई मसीहा धरती पर आया हो और यही मैं चाहता था। लोग थे, जो जानते थे कि यह सिरे से झूठा और पक्का लफ्फाज है। यह कुछ करेगा-वरेगा नहीं। झूठ दर झूठ दर झूठ बोलता जाएगा, नफरत का व्यापार करेगा, बस। ये इसकी आखिरी लिमिट है। आप सोचिए मैंने कहा कि नोटबंदी से सारा काला धन बाहर आ जाएगा तो भी गरीबों ने मेरे इस झूठ पर विश्वास कर लिया कि हां ये तो सारे पैसे वालों की ऐसी-तैसी करके रख देगा। बहुत भोले हैं इस देश के लोग। हम जैसे लफ्फाज नाटकीय मुद्रा बनाकर, हाथपैर फेंककर, जुमलेबाजी करके, स्वरों के उतार-चढ़ाव के जरिए ठीक से बेवकूफ बनाएं तो एक बार तो बन ही जाते हैं।

मैं ही तो था, जिसने सर्जिकल स्ट्राइक की ऐसी लंतरानियां झाड़ीं कि लोगों को लगा कि हां यह आया है शूरवीर! यह पाकिस्तान की मिट्टीपलीद कर देगा, एक के बदले दस पाकिस्तानियों के सिर ले आएगा, चीन को चीनी का बुरादा बनाकर रख देगा। अवतरित हो गया महाराणा प्रताप और शिवाजी का संयुक्त अवतार! यह सब मेरे भाषणों और झूठ का कमाल था। फिर मैंने फर्जी आंकड़ों, भाषणों, नारों के उत्पादन के कई-कई कारखाने भी खुलवाए और तीन शिफ्टों में उत्पादन करवाया, ताकि जो भी मैदान में आए, चित हो जाए। मैंने अपने क्लोन्स मंत्रियों आदि के रूप में पैदा किए।

अब ठीक है, लोग कह रहे हैं कि मेरा तंबू उखड़ रहा है तो ठीक ही कह रहे होंगे, लेकिन मैं ऐसा आसानी से नहीं होने दूंगा। मेरा नाम मोदी है, नरेंद्र दामोदर दास मोदी। मैं सत्ता के लिए कुछ भी कर सकता हूं, करवा सकता हूं, किसी भी हद को पार कर सकता हूं। मैं ऐसे ही नहीं चला जाऊंगा, जैसे अटल जी समेत सभी पहले वाले प्रधानमंत्री चले गए थे। मैं चौकीदार भी हूं और बिल्कुल वैसा ही जैसा राहुल गांधी अक्सर मेरे बारे में कहा करते हैं। मैं अभियुक्त भी हूं, अपना वकील भी और देश की बड़ी से बड़ी अदालत भी। मैं सीबीआई भी हूं, आईबी भी, सीआईडी भी। मैं प्रधानमंत्री भी हूं और मोहल्लाछाप नेता भी। मैं कौरव, रावण, कंस सब एक साथ हूं। मुझे उस पद की गरिमा गिराने में कोई झिझक नहीं, जिस पर कभी जवाहर लाल नेहरू बैठा करते थे। मैं, मैं-मैं-मैं-मैं हूं। मैं आदमी नहीं, सेल्फी हूं। मुझे इनसान मत समझना, मैं झूठ की मशीनगन का लेटेस्ट मॉडल हूं।

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