लगातार खतरे में देश की बेटियां, महिलाओं पर होने वाले अन्य अत्याचारों पर नहीं उठ रही आवाज

संविधान के धर्मनिरपेक्ष वाले पन्ने को फाड़ डाला गया है, पर दुनिया की निगाह में प्रजातंत्र साबित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया है। वैसे भी तमाम आपराधिक छवि वाले तथाकथित संत और साध्वियां संसद में और मुख्यमंत्री के तौर पर विराजमान ही हैं।

फोटो: विपिन
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महेन्द्र पांडे

हमारा देश वर्ष 2019 के चुनावों में बीजेपी की नहीं बल्कि मोदी जी की दुबारा जीत के बाद से ही अघोषित हिन्दू राष्ट्र में तब्दील हो गया है और इसका सार्वजनिक समारोह नई संसद भवन के उद्घाटन के समय किया गया था। इस समारोह में संसद भवन में तथाकथित साधु-संतों और तांत्रिकों का एकाधिकार था। वैसे भी देश यही चला रहे हैं। धीरेन्द्र शास्त्री तो हिन्दू राष्ट्र का राग अलापते अलापते राष्ट्र पुरुष बन बैठे। जैसे अडानी के विरोध करने वालों पर पूरी सत्ता और उनके हिंसक समर्थकों की फ़ौज टूट पड़ती है, ठीक उसी तरह धीरेन्द्र शास्त्री के विरुद्ध हरेक आवाज को सत्ता द्वारा देश और हिन्दू के विरुद्ध करार दिया जाता है। इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियां ही कभी बारिश कभी चट्टानों के खिसकने और कभी ग्लेशियर के टूटने से बंद होने वाली चारधाम आल वेदर हाईवे, तमाम लोगों को बेघर करने वाले विश्वनाथ मंदिर कौरिडोर, एक आंधी में बिखरने वाले महाकाल कौरिडोर और तमाम घपले और आर्थिक अनियमितताओं से घिरा भव्य राम मंदिर ही तो हैं।

संविधान के धर्मनिरपेक्ष वाले पन्ने को फाड़ डाला गया है, पर दुनिया की निगाह में प्रजातंत्र साबित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया है। वैसे भी तमाम आपराधिक छवि वाले तथाकथित संत और साध्वियां संसद में और मुख्यमंत्री के तौर पर विराजमान ही हैं। दूसरी तरफ देश की बेटियां लगातार खतरे में हैं। शीर्ष महिला पहलवानों के आंसू पर तो फिर भी दबे शब्दों में ही सही पर चर्चा तो की जा रही है, पर महिलाओं पर होने वाले अन्य अत्याचारों पर तो कोई आवाज भी नहीं उठ रही है। प्रधानमंत्री जी तो वैसे भी उन्हीं विषयों पर नारा गढ़ते हैं, जिस विषय पर उन्हें कोई काम नहीं करना होता है। महिलाओं के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा दिया, इसके बाद से देश की महिलाएं और बेटियां पहले से अधिक असुरक्षित हो चली हैं। महिलाओं से संबंधित विषयों पर सरकार और पुलिस तभी जागती है, जब मामला हिन्दू-मुस्लिम के तौर पर उछाला जा सके।

केवल प्रधानमंत्री जी ही नहीं बल्कि सत्ता में बैठी हरेक महिला मंत्री और सांसद देश की महिलाओं की असुरक्षा के मसले पर पीड़ित के साथ नहीं बल्कि अभियुक्त के साथ खडी नजर आती हैं। निर्मला सीतारमण और स्मृति इरानी तो बस राहुल गांधी या कांग्रेस के विरुद्ध जहर उगल सकती हैं, उन्हें महिलाओं की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने अप्रैल में कहा था कि महिला पहलवानों का आन्दोलन गलत हाथों में चला गया है और अभी हाल में ही जब पत्रकारों ने उनसे इस आंदोलन से संबंधित प्रश्न किया तो वे तेजी से अपने कार में बैठकर भाग खड़ी हुईं। उन्होंने केवल इतना कहा कि यह न्यायालय का मसला है। यह वक्तव्य बीजेपी नेताओं के मुंह से सुनना एक चुटकुले का आभास कराता है क्योंकि जहां बीजेपी घिरती नजर आती है वहां यही नेता न्यायालयों पर भी खुले आम प्रहार करने से नहीं चूकते।

अनुराग ठाकुर पुलिस की जांच पूरी होने तक इंतजार की बात कर रहे हैं। अनुराग ठाकुर को शायद यह नहीं पता कि मोदी जी के सत्ता में रहते सत्ता से जुड़े किसी अपराधी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, अलबत्ता पीड़ितों को ही मुजरिम बना दिया जाता है। ब्रजभूषण शरण सिंह अयोध्या और दूसरे शहरों में खुले आम घूम रहे हैं, नई संसद के उदघाटन में शिरकत कर रहे हैं, अयोध्या में 5 जून को महारैली आयोजित करने जा रहे थे पर अब इसे स्थगित कर दिया गया है, तो दूसरी तरफ महिला पहलवानों को जंतर-मंतर से बेदखल कर दिया गया और दिल्ली पुलिस उन्हें इंडिया गेट से भी दूर रखना चाहती है। यह अमित शाह के नियंत्रण वाली वह पुलिस है जो महिला पहलवानों को जमीन पर घसीटने के समय क़ानून-व्यवस्था का हवाला देती है। जनवरी में जब पहलवानों ने धरना दिया था इसके बाद आरोपों की जांच के लिए एक जांच कमेटी बनाई गयी थी, जिसने रिपोर्ट तो प्रस्तुत की पर इस रिपोर्ट के ब्योरे को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। दूसरी तरफ, दो एफआईआर के बाद भी आरोपी ब्रजभूषण सिंह को गिरफ्तार करना तो दूर, पुलिस ने कभी गंभीरता से पूछताछ भी नहीं की है।


ब्रजभूषण शरण सिंह पर पहले तो दिल्ली पुलिस कोई एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी, पर बाद में सर्वोच्च न्यायालय में मामला पहुंचते ही दिखावे के लिए पोस्को एक्ट में भी एफआईआर दर्ज कर ली। यह बात दूसरी है कि एफआईआर केवल दिखावे के लिए है और इसका किसी अपराधी को सजा देने या पूछताछ से दूर-दूर तक का वास्ता नहीं है। पोस्को एक्ट में मामला दर्ज करने के कई दिनों बाद पुलिस कह रही है कि लड़की बालिग है, जबकि उसके पिता लगातार बता रहे हैं कि घटना के समय वह नाबालिग थी। पोस्को एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होते ही ब्रजभूषण शरण सिंह ने इस क़ानून के विरुद्ध ही मोर्चा खोल दिया है और इस क़ानून को हटाने के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं। इस मामले पर हिन्दू धर्म के स्वयंभू पुरोधा अयोध्या के संत/महंत ब्रजभूषण शरण सिंह के साथ खड़े हैं और 5 जून को इस सम्बन्ध में संतों/महंतों की जनचेतना महारैली आयोजित की जा रही थी। भले ही इस रैली को स्थगित किया गया हो पर संतों और महंतों की महिलाओं के बारे में मंशा तो स्पष्ट हो ही जाती है। यही महंत और संत हिन्दू राष्ट्र की मांग भी करते हैं, जाहिर है हिन्दू राष्ट्र में कम से कम महिलाएं तो सुरक्षित नहीं होंगी और दूसरे दर्जे की नागरिक बनी रहेंगी। अब तो राम के नाम के साथ सीता का नाम भी हटा दिया गया है, और जय श्री राम नारे का उपयोग धार्मिक नहीं राजनैतिक हो चला है और इसका इस्तेमाल एक हथियार की तरह किया जाने लगा है।

हमारा देश जो निश्चित तौर पर अघोषित हिन्दू राष्ट्र बन चुका है, वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा जारी जेंडर गैप इंडेक्स 2022 में कुल 146 देशों की सूचि में 135वें स्थान पर था। दूसरे तरफ यूएनडीपी द्वारा जारी लैंगिक असमानता इंडेक्स 2022 में कुल 190 देशों की सूचि में 122वें स्थान पर था। प्रधानमंत्री मोदी जिस उत्तर प्रदेश के क़ानून व्यवस्था की तारीफ़ करते नहीं थकते, वही राज्य महिलाओं के लिए सबसे अधिक सुरक्षित है। दिल्ली की क़ानून व्यवस्था केंद्र सरकार के जिम्मे है, जाहिर है देश के महानगरों में यह सबसे अधिक महिलाओं पर अत्याचार करता है।

जाहिर है, हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाने वाले महिलाओं के भले के लिए सोच ही नहीं सकते फिर उन्हें न्याय कहां से मिलेगा। दूसरी तरफ महिलाओं पर अत्याचार करने वाले सत्ता के और पुलिस के संरक्षण में रखे जाएंगे। दिल्ली पुलिस महिलाओं को क़ानून व्यवस्था के नाम पर जमीन पर घसीटती दिखेगी, पर बलात्कारियों और यौन शोषण करने वालों को संरक्षण देगी| हिन्दू राष्ट्र में राम के साथ सीता नहीं होंगी, और हनुमान बजरंग दल के पर्यायवाची बनाये जाएंगे।

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