क्या बीजेपी ने मामूली हेरफेर कर फिर से छाप दिया 2014 का घोषणा पत्र !

बीजेपी का 2019 का वह संकल्प पत्र उसी तरह बेहद निराश करता है जिस तरह उसके शासन के पिछले 5 साल।और इसी के सहारे वह अगले पांच साल देश पर शासन करने की सपने बुन रही है।

फोटो : सोशल मीडिया
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तथागत भट्टाचार्य

ईमानदारी की बात तो यह है कि जब बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र को जारी करने में देरी की तो मुझे यही लगा था कि शायद सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के बेहद व्यापक और सर्वांगीण घोषणा पत्र की काट पेश करेगी। लेकिन बीजेपी का 2019 का वह संकल्प पत्र उसी तरह बेहद निराश करता है जिस तरह उसके शासन के पिछले 5 साल। जिसके दम पर वह अगले पांच साल देश पर शासन करने की सपने बुन रही है।

सच में, मुझे तो ऐसा लगता है कि बीजेपी नेताओं ने छपाई का खर्चा बचाने के लिए 2014 घोषणा पत्र को कुछ यहां-वहां तब्दीली कर कवर बदलकर दोबारा छाप दिया है

इस घोषणा पत्र में बीजेपी के वायदों पर नजर डालिए: राम मंदिर बनेगा...हां बनेगा और हम यह 90 के दशक से सुनते आ रहे हैं। धारा 370 और 35 ए को खत्म किया जाएगा। और हां, यूनीफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता भी इसमें है....यह सब तो 2014 के घोषणा पत्र में भी था।

किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी हो जाएगी। 2014 में भी तो बीजेपी ने यही वादा किया था। लेकिन कैसे, इसका जिक्र न पिछली बार था और न इस बार। वैसे रिकॉर्ड के लिए बता दें कि मोदी शासन के दौरान कृषि आदमनी 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। और आंकड़े बताते हैं कि अगर इस आमदनी को दोगुना करना है तो लगातार कई वर्षों तक इसके विकास की रफ्तार 14 फीसदी रखना होगा। वैसे पिछले साल यह सिर्फ 2 फीसदी से भी कम थी।

2019 के संकल्प पत्र में बीजेपी ने 2022 तक सभी को पक्का मकान देने का वादा किया है, यह जुमला भी सीधे 2014 के घोषणा पत्र से उठा लिया गया है।

इसके अलावा इस बार घोषणा पत्र में मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसी फ्लॉप योजनाएं फिर से दिख रही हैं। ये भी 2014 से सीधे उठा ली गई लगती हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का भी जिक्र है, लेकिन ध्यान रखना कि इस योजना का 56 फीसदी पैसा तो मोदी सरकार ने सिर्फ प्रचार पर खर्च किया है। तो क्या अगर इस बार वापस सत्ता में आ गए तो ये खर्च 80 फीसदी तक नहीं पहुंच जाएगा?

हां. इस बार के घोषणा पत्र में कुछ मुद्दे ऐसे भी जिनसे बीजेपी कन्नी काटती नजर आई है। बीजेपी ने कहीं वादा नहीं किया है कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा करेगी। वैसे एनएसएसओ के आंकड़ों से सामने आया है कि बेरोजगारी की दर 45 साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। लेकिन मोदी सरकार की नजर में देश में नौकरियों का कोई संकट है ही नहीं। वैसे भी जब बीजेपी की आईटी सेल मौजूद हो तो नौकरी चाहिए भी किसे है?

और हां, 100 स्मार्ट शहर भी नजर नहीं आए इस मेनिफेस्टो में। सारे स्मार्ट शहर गए कहां आखिर? लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़, जी हां आपने सही पढ़ा 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का वादा जरूर किया गया है। अब 100 नंबर से बीजेपी का क्या रिश्ता है यह तो कोई अंक शास्त्री ही बता सकता है।

और, बुलेट ट्रेन भी तो रफ्तार पकड़कर घोषणा पत्र नामी स्टेशन को पीछे छोड़कर जा चुकी है। कितनी गलत बात है। वैसे जो सरकार जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं खरीद पाई, उसने अपने शहरी भक्तों को बुलेट ट्रेन का झुनझुना तो थमा ही दिया है। तो क्या यह भी जुमला ही था क्या?

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