वायु प्रदूषण के कारण भारत में लोगों की औसत आयु में 6 वर्ष तक की कमी, बौद्धिक क्षमता पर चौंकाने वाला असर!

वायु प्रदूषण केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और मस्तिष्क पूरी तरह से काम नहीं करता।

फोटो: सोशल मीडिया
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महेन्द्र पांडे

पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रकाशित अनेक अनुसंधानों से यह स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और मस्तिष्क पूरी तरह से काम नहीं करता। हाल में ही मैनेजमेंट साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कम वायु प्रदूषण के स्तर में भी शतरंज के खिलाड़ी खेलते समय बार-बार और अधिक बड़ी गलतियां करते हैं। इस अध्ययन को मेसेच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने किया है  और जर्मनी में होने वाले एक शतरंज प्रतियोगिता के दौरान खेल और प्रदूषण के स्तर का तीन वर्षों तक लगातार आकलन किया है। इन तीन वर्षों के दौरान कुल 121 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और शतरंज के बिसात पर 30000 से अधिक चालें चली गईं। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदूषण स्तर में थोड़ी सी बढ़ोतरी के बाद खिलाड़ियों द्वारा की जाने वाली अनपेक्षित गलतियों में 2.1 से 10.8 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो जाती है। इस प्रतियोगिता का आयोजन हरेक वर्ष 8 सप्ताह तक किया जाता है, और इतने लम्बे समय के दौरान वायु प्रदूषण के स्तर में बहुत बदलाव आता है।

हमारे देश में जो वायु प्रदूषण का स्तर रहता है, वह दुनिया के किसी भी क्षेत्र की तुलना में दस-गुना से भी अधिक है, हमारे देश में केवल वायु प्रदूषण के कारण पूरी आबादी की औसत आयु में 6 वर्ष की कमी हो जाती है और हमारे देश में यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वायु प्रदूषण के मानकों और दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए तो पूरी आबादी के औसत आयु में 5.9 वर्ष की वृद्धि हो जायेगी – ऐसा यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के वैज्ञानिक माइकल ग्रीनस्टोन की अगुवाई में पिछले वर्ष प्रकाशित एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में बताया गया है। कुछ दशक पहले तक दुनिया में सबसे अधिक मौतें, या फिर मनुष्य की औसत आयु में सर्वाधिक कमी प्रदूषित पानी पीने के कारण होती थी, पर अब वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं। यह एक चौंकाने वाला तथ्य है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार पूरी दुनिया के सन्दर्भ में अकेले वायु प्रदूषण के कारण औसत आयु में 2.2 वर्ष की कमी हो जाती है, और यह प्रभाव धूम्रपान, गंदे पानी और यहां तक कि एचआईवी/एड्स जैसे कारणों की तुलना में बहुत अधिक है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बाहर के कारणों में सबसे अधिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण ही होती हैं। हमारे देश समेत पूरी दुनिया के देशों में बजट का सबसे बड़ा हिस्सा सैन्य साजो-सामान और आतंकवाद से निपटने के नाम पर खर्च किया जाता है, पर पूरी दुनिया की आबादी की औसत आयु में युद्ध और आतंकवाद के कारण महज 0.02 वर्ष की कमी आती है, जबकि वायु प्रदूषण के कारण आयु में 2.2 वर्षों की कमी आती है। गंदे पानी और स्वच्छता के अभाव में आयु में महज 0.59 वर्ष की कमी ही होती है।


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि दुनिया के सभी देश वायु प्रदूषण के सन्दर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों का पालन करें तो औसत आयु में बढ़ोतरी हो जायेगी, और इसका सबसे अधिक फायदा दक्षिण एशिया में देखा जाएगा। भारत में औसत आयु में 5.9 वर्षों की वृद्धि होगी, जबकि बांग्लादेश के लिए यह समय 5.4 वर्षों का और पाकिस्तान के लिए 3.9 वर्षों का है। वर्ष 2013 तक वायु प्रदूषण के सन्दर्भ में चीन की हालत बहुत बुरी थी, पर इसके बाद वहां लगातार सख्त कदम उठाये गए और अब वायु प्रदूषण के स्तर में 27 प्रतिशत की कमी आ चुकी है और वहां इसके कारण आयु में महज 2.6 वर्षों की कमी आ रही है। चीन यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का पालन करे तब औसत आयु में 1.5 वर्ष की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट के अनुसार भारत समेत एशियाई देशों में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कोयले का उपयोग है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार भारत में पिछले दो दशक के दौरान वायु प्रदूषण में 42 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। भारत की एक-चौथाई से अधिक आबादी जिस वायु प्रदूषण के स्तर में रहती है, वह स्तर दुनिया में कहीं नहीं मिलता।

भारत की पूरी आबादी जिस वायु प्रदूषण के स्तर में रहती है, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए मानकों से बहुत अधिक है, और देश की 84 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे माहौल में रहती हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों से अधिक है। दिल्ली के वायु प्रदूषण की खूब चर्चा की जाती है, पर इससे आगे कुछ नहीं होता। दिल्ली में यदि वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुरूप हो तब यहां के निवासियों की आयु में 9.4 वर्षों की वृद्धि हो जायेगी, और यदि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु प्रदूषण मानकों के अनुरूप प्रदूषण का स्तर हो तब भी औसत आयु में 6.5 वर्षों की वृद्धि हो जायेगी।


दुनिया में वायु प्रदूषण लगभग हरेक जगह है और दुनिया में लोगों की औसत आयु 2 वर्ष केवल वायु प्रदूषण के कारण कम हो रही है। सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र दक्षिण एशिया है और इसके बाद दक्षिण पूर्व एशिया का स्थान है। दक्षिण एशिया में भारत से भी अधिक प्रदूषित बांग्लादेश है, जहां लोगों की आयु 6.2 वर्ष कम हो रही है, राजधानी ढाका के लिए तो यह समय 7.2 वर्ष का है। नेपाल में लोगों की आयु में 4.7 वर्ष और पाकिस्तान में 2.7 वर्ष की कमी आ रही है।

अब तो वैज्ञानिक ऐतिहासिक वायु प्रदूषण की पड़ताल प्रसिद्ध चित्रकारों की कलाकृतियों में भी करने लगे हैं। हाल में ही प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकाडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार उन्नीसवीं शताब्दी के चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्रों में आसमान के रंगों से वायु प्रदूषण के स्तर को जाना जा सकता है। उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान ही औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ हुआ था, और जाहिर है उसी समय बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण भी वायुमंडल में घुलने लगा था। इसके लिए वैज्ञानिकों ने 19वीं शताब्दी के ब्रिटिश पेंटर टर्नर द्वारा बनाए गए 60 चित्रों और फ्रेंच चित्रकार मोनेट के 38 चित्रों का बारीकी से अध्ययन किया। इनमें से अधिकतर चित्रों में आसमान का रंग पूरी तरह नीला नहीं बल्कि धूसर रंग का है।

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