विष्णु नागर का व्यंग्यः देश में प्राकृतिक हो चुका है फर्जीवाड़ा, बहुत सक्षम सरकारों में ऐसा ही होता है!

फर्जी काम करवाने वालों को जैन साहब के बंगले पर क्या धंधा चलता है, इसका पता था, मगर उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकारों की पुलिस, ईडी, सीबीआई सब इससे अनजान थीं!

देश में प्राकृतिक हो चुका है फर्जीवाड़ा, बहुत सक्षम सरकारों में ऐसा ही होता है!
देश में प्राकृतिक हो चुका है फर्जीवाड़ा, बहुत सक्षम सरकारों में ऐसा ही होता है!
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विष्णु नागर

भारत में रोज इतने फर्जीवाड़े होते हैं कि अब तो अपना यह जीवन ही फर्जीवाड़ा लगने लगा है।दिल्ली के बगल में गाज़ियाबाद है। खबर है कि एक जैन साहब पिछले नौ साल से यहां एक बंगले में चार फर्जी देशों के फर्जी दूतावास चला रहे थे। दूतावास तो वैसे सभी दिल्ली में होते हैं, मगर एक बंदा आराम से गाज़ियाबाद में ऐसे देशों का दूतावास चला रहा था, जो आज तक पृथ्वी पर प्रकट नहीं हुए हैं!

मजेदार है कि इतने वर्षों में किसी जनप्रतिनिधि, किसी पुलिस अधिकारी को इसकी खबर नहीं हुई! घर के बाहर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबरों की महंगी-महंगी कारें खड़ी रहती थीं, मगर किसी को किसी तरह का शक नहीं हुआ। लाखों रुपए महीने फर्जीवाड़े से जैन साहब आराम की जिंदगी जी रहे थे, पर किसी को उनके इस सुख और आराम से ईर्ष्या तक नहीं हुई, जबकि ऐसा तो रामराज्य में भी नहीं होता था!

फर्जी काम करवाने वालों को जैन साहब के बंगले पर क्या धंधा चलता है, इसका पता था मगर उत्तर प्रदेश और भारत की सरकार की डबल इंजन सरकार की पुलिस, ईडी, सीबीआई सब इससे अनजान थीं! अनेक पासपोर्ट थे उनके पास, विदेश मंत्रालय के सील से लगे दस्तावेज थे उनके पास मगर सरकार को संदेह तक नहीं हुआ।

पुलिस जो चोरी की योजना बना रहे लोगों को पकड़ने में भी माहिर हो चुकी है, उसे खुलेआम हो रही इतनी बड़ी चोरी की खबर पता चली भी तो नौ साल बाद मगर किसी को आज तक इसके लिए लाइन हाजिर नहीं किया गया। किसी को किसी तरह की तकलीफ़ नहीं दी गई। बहुत सक्षम सरकारें जब होती हैं तो ऐसा ही होता है। ऐसी ही सरकारों के हाथों देश 'सुरक्षित' भी उसी तरह रहता है, जिस तरह नौ साल से यह दूतावास सुरक्षित था!

वैसे खबर जिनको होनी चाहिए थी, सबको सब समय रही होगी। इतने साल से जमे जमाए फर्जीवाड़े की लंबी कड़ी में कहीं कोई झोल आ गया होगा, जैन साहब ने अतिआत्मविश्वास में कोई पांसा गलत चल दिया होगा। नतीजा सामने है, वरना उनकी आने वाली तीन पीढ़ियां इसी तरह खाती-कमातीं रहतीं और चैन से रहतीं!

बहुत संभव है जिस अधिकारी ने यह फर्जीवाड़ा पकड़वाया हो, उसका मामला ऊपर से नीचे तक गड़बड़ा जाए और वह धनखड़ साहब की तरह चूं तक न कर पाए! हो सकता है, जिसने पकड़वाया हो, वह इस धंधे का जैन साहब से ऊंचा खिलाड़ी बन चुका हो और उसने शुभ मुहूर्त में इन्हें निबटा दिया हो!


वैसे फर्जीवाड़ा हमारे देश में हवा-पानी, धूप-छांव की तरह प्राकृतिक हो चुका है। थोड़ी सी मुश्किलों के बाद सब ठीक हो जाता है क्योंकि यह देश फर्जीवाड़ों के दम पर ही प्रगति पर प्रगति और विकास पर विकास करता जा रहा है। जहां-जहां जैन साहब की बेध्यानी से 'प्रसाद' समय से नहीं पहुंचा होगा, वहां चक्रवृद्धि ब्याज समेत पहुंचा दिया जाएगा और सब यथावत सा हो जाएगा। वैसे भी बताते हैं कि जैन साहब, चंद्रास्वामी और अदनान खागोशी जैसे टाप क्लास के 'उस्तादों 'की संगत में रहे हैं तो 'रूल आफ द गेम' जानते होंगे, गिर कर फिर उठ जाएंगे! वैसे भी राजनीति हो या व्यवसाय, जो बदनाम है, उसी का नाम है।

जैन साहब इस धंधे में अकेले नहीं रहे होंगे। उन्होंने भी किसी से दीक्षा ली होगी। इस खबर के फैलने के बाद गुरुजी अपनी शिष्य मंडली के साथ स्विट्जरलैंड आदि किसी खूबसूरत मुल्क के दौरे पर चले गए होंगे। सही जगह से सही समय पर ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा तो फिर धंधे से लग जाएंगे। यहां कुछ भी रुकता नहीं है और फ्राड का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि वह किसी के रोके रुकता नहीं! गति में ही उसकी सद्गति है।

भारत में जो भी चाहिए, सब, सब जगह मिलता है क्योंकि सब जगह आजकल 'गुजरात माडल' ही चल रहा है। खरीदने पर तो न्याय भी मिल जाता है। अभी भारत के एटार्नी जनरल ने खुद बताया कि उन्होंने आनलाइन फर्जीवाड़ा का उदाहरण पेश करने के लिए 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक' नाम से एक फर्जी वेबसाइट बनाई है और कानून ऐसे हैं कि कोई कुछ नहीं कर सकता!

कुछ समय पहले गुजरात में फर्जी अदालत, फर्जी जज के फर्जी निर्णय की खबर आई थी। वह तो एक केस में एक आदमी हाईकोर्ट पहुंच गया तो मामला खुल गया। फर्जी अदालतें हैं तो फर्जी गवाह भी हैं। फर्जी फैसले हैं तो फर्जी सील-मोहर भी है। फर्जी सिक्के हैं, तो फर्जी नोट भी हैं।फर्जी पासपोर्ट हैं, तो फर्जी वीजा भी है। फर्जी अस्पताल हैं, तो फर्जी डाक्टर भी हैं और फर्जी रोगी भी हैं। फर्जी दवाएं तो न जाने कबसे हमारी सेवा करती आ रही हैं। फर्जी लोन एप हैं और फर्जी लोन आफर हैं। इस समय बिहार में मतदाताओं का फर्जी गहन निरीक्षण चल रहा है, जिससे 64 लाख लोग मतदाता सूची से गायब हो जाएंगे। सारे देश में बंगाली मुसलमानों को फर्जी बांग्लादेशी बनाने का अभियान भी जोरों पर है।

प्रधानमंत्री कार्यालय के फर्जी अधिकारी भी बीच-बीच में पकड़े गए हैं। फर्जी आईएएस और आईपीएस अधिकारी आज भी कहीं न कहीं सक्रिय अवश्य होंगे। फर्जी ईडी-सीबीआई का चलन भी चल चुका है। डिजिटल अरेस्ट भी खूब होने लगी है और प्रसिद्ध कवि नरेश सक्सेना भी उसमें एक बार फंस चुके हैं।


खाने-पीने की कौन सी चीज आज असली है, कौन-सी नकली, कहना कठिन है। दूध फर्जी, मक्खन फर्जी और फर्जी घी भी है। नकली मावे की नकली मिठाइयां भी खूब हैं। अभी राखी आ रही है, इन्हें खूब खाइए और खूब खिलाना भी मत भूलिए। अभी चूक जाएं तो दशहरे-दीपावली पर खाइए-खिलाइए। फर्जी से आप बच नहीं सकते। फर्जी ऊपर है तो फर्जी नीचे भी है। फर्जी दायें है तो फर्जी बांयें भी है। किसी न किसी रास्ते, किसी न किसी गली से अचानक आपके सामने आकर वह आपको पकड़ लेता है। पुलिस से तो उम्मीद रखिएगा मत कि वह मदद के लिए आएगी। आई तो वह आपको  धर लेगी।

लेखक सोच रहे होंगे कि मैं फर्जी लेखकों की चर्चा करूंगा, मगर मैं ऐसी ग़लती नहीं करूंगा क्योंकि पता नहीं कोई मुझे ही इसमें लपेटे में ले ले! फर्जी पेंटिंग का बाजार भी सुनते हैं गर्म काफी से भी ज्यादा गर्म है! अच्छे-अच्छे चकरा जाते हैं। सरकार का तो बुनियादी काम ही लोगों को फर्जी मसलों में उलझाना है मगर साहेब की फर्जी मार्कशीट पर सवाल उठाना मना है। इस पर पच्चीस हजार का जुर्माना लग जाता है। फर्जी की महिमा आजकल सारा भारत ही क्या, सारी दुनिया गा रही है। फर्जी की मैंने इतनी आरती उतारी आपको कुछ  प्रेरणा प्राप्त हुई या नहीं?

इतना फर्जीवाड़ा है भाइयों-बहनों कि हम जैसे नालायक 25 प्रतिशत फर्जी का भी वर्णन करने में समर्थ नहीं हैं! भूल-चूक, लेनी-देनी!

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