अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, रोजगार और आजीविका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे सरकार, जुलाई में पेश हो नया बजट

नया बजट बनाते समय सरकार को विशेषकर कमजोर वर्गों को, मजदूरों और किसानों को दी जाने वाली राहत की स्थिति और स्पष्ट कर देनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और रोजगार और आजीविका सुनिश्चित करने के प्रयासों पर भी सरकार को स्थिति अधिक स्पष्ट करनी चाहिए।

फोटो: सोशल मीडिया
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भारत डोगरा

कोविड-19 के दौर में सरकार के खर्च और राजस्व के पूर्व अनुमान अस्त-व्यस्त हो गए हैं। एक ओर राजस्व में बहुत कमी आ गई है तथा दूसरी ओर कई खर्च बढ़ाना जरूरी हो गया है। सरकार ने राहत पैकेज भी जारी किए हैं, पर उनमें कई खर्च इसी वित्तीय वर्ष में होंगे या आगे के वर्ष में भी वितरित होंगे इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। क्या कुछ मदों पर खर्च बढ़ाने के साथ कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण मदों में कटौतियां भी की गई हैं? इस बारे में जानकारियां प्राप्त होना भी जरूरी है।

इन सभी महत्त्वपूर्ण मामलों में स्पष्टता बनाने के लिए जरूरी हो गया है कि सरकार शीघ्र ही एक नया बजट प्रस्तुत करे। यह बजट जुलाई तक प्रस्तुत हो जाना चाहिए। इस बजट से नई वित्तीय स्थिति सभी के सामने स्पष्ट हो जाएगी और पुराने पड़ चुके अनुमानों के स्थान पर वित्त और राजस्व मामलों की बहस नए बजट आंकड़ों के आधार पर हो सकेगी और इस संदर्भ में सरकार को सार्थक सुझाव भी प्राप्त हो सकेंगे।

नया बजट बनाते समय सरकार को विशेषकर कमजोर वर्गों को, मजदूरों और किसानों को दी जाने वाली राहत की स्थिति और स्पष्ट कर देनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और रोजगार और आजीविका सुनिश्चित करने के प्रयासों पर भी सरकार को स्थिति अधिक स्पष्ट करनी चाहिए। आजीविका और खाद्य-सुरक्षा को अर्थव्यवस्था की मुख्य प्राथमिकता के रूप में सामने आना चाहिए।

आगामी महीने में सरकार को पूरी तैयारी और तत्परता के साथ नए बजट की तैयारी करनी चाहिए। इससे कम से कम अगले सात-आठ महीनों का रोड-मैप नागरिकों के सामने स्पष्टता से आ जाएगा और देश में इस विषय पर सार्थक बहस होगी, सही सुझाव मिलेंगे।


विभिन्न राज्य सरकारों को भी इससे मदद मिलेगी और उनके सामने यह स्थिति कि केन्द्रीय सरकार से उन्हें कितना सहयोग मिलने की उम्मीद है, यह भी स्पष्ट हो जाएगी। इस समय अनेक राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति चिंताजनक है और उन्हें केन्द्रीय सरकार की अधिक सहायता की जरूरत है। अन्य आपदाओं की गंभीर समस्याएं भी अनेक राज्य सरकारों के सामने आ रही हैं।

हाल ही में पश्चिम बंगाल में और उससे कुछ कम हद तक ओड़िशा में चक्रवाती तूफान से भयानक तबाही हुई है। अतः इन दो राज्यों को विशेष पैकेज की जरूरत है। विशेषकर पश्चिम बंगाल के लिए तो यह बहुत ही जरूरी हो गया है क्योंकि वहां कृषि, खाद्य सुरक्षा तुरंत दी जाने वाली राहत और ढांचागत व्यवस्था (इन्फ्रास्ट्रक्चर) को पटरी पर लाने के लिए बहुत धनराशि की जरूरत है। इसके अतिरिक्त जिन भी राज्यों में लौटे हुए प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है वहां के लिए भी अधिक सहायता की जरूरत है।

अनेक स्थानों पर खरीफ की फसल की समय पर उचित बुवाई के लिए उस पैसे की बहुत ही जरूरत होती थी जो प्रवासी मजदूर कमा कर लाते थे। अब वह उपलब्ध नहीं है। अतः खरीफ की फसल की बुवाई ठीक से हो सके इसके लिए विशेष प्रयास करने होंगे। खरीफ की फसल ठीक से हो सके यह देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा को सही स्थिति में रखने के लिए बहुत ही जरूरी है।

इस तरह चुनौतियां तो अब बहुत बढ़ गई हैं। सरकार को चाहिए कि इस बारे में व्यापक विमर्श करे कि इन चुनौतियों का सामना ठीक से करने के लिए वह पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था कैसे करे। इसके लिए विशेषज्ञों के साथ विपक्षी दलों से भी सुझाव प्राप्त करने चाहिए और राज्य सरकारों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

सरकार के सामने एक अन्य रास्ता यह भी है कि जो भी ऐसी परियोजनाएं हैं जिनमें अपव्यय हो रहा है और विस्थापन और पर्यावरण विनाश की समस्याएं अधिक आ रही हैं उन परियोजनाओं को फिलहाल त्याग दिया जाए ताकि सबसे जरूरतमंद लोगों को बेहतर संससाधन उपलब्ध हो सकें।

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