भारत समेत एशिया के अनेक देशों में गर्मी का कहर, अप्रैल में तापमान ने कायम किया नया रिकॉर्ड

म्यांमार में इस अप्रैल चार स्थानों पर तापमान के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। थाईलैंड के कई क्षेत्रों में तापमान 45.4 डिग्री तक पहुंच गया। फिलीपींस में बेतहाशा गर्मी से स्कूलों को बंद करना पड़ा। चीन में भी कई स्थानों पर तापमान के नए रिकॉर्ड स्थापित हुए।

भारत समेत एशिया के अनेक देशों में गर्मी का कहर
भारत समेत एशिया के अनेक देशों में गर्मी का कहर
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महेन्द्र पांडे

इस वर्ष अप्रैल के महीने में तापमान ने एशिया के अनेक देशों में नया रिकॉर्ड कायम किया है। कई जगहों पर गर्मी से लोगों की मृत्यु दर्ज की गयी, कहीं स्कूलों को बंद करना पड़ा तो कहीं बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गयी। थाईलैंड, म्यांमार, लाओस, वियतनाम, चीन और दक्षिण एशिया में अनेक स्थानों पर अप्रैल महीने का रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिक और मौसम के इतिहास विशेषज्ञ मक्सिमिलियनो हेर्रेरा के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में गर्मी का कहर इस कदर है कि हरेक दिन कहीं न कहीं के तापमान से संबंधित पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो रहे हैं।

हमारे देश में इस वर्ष हीटवेव यानि अत्यधिक गर्मी का आरम्भ 3 मार्च को कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों से हो गया था। यहां ध्यान देने वाले दो तथ्य हैं- कर्नाटक में पिछले 2 साल के दौरान एक भी हीटवेव का दिन नहीं रिकॉर्ड किया गया था और 2022 के शुरुआती जानलेवा गर्मी की खूब चर्चा की गई थी, पर पिछले वर्ष हीटवेव की शुरुआत इस वर्ष की तुलना में 8 दिनों बाद यानि 11 मार्च को गुजरात से हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग के 19 अप्रैल के बुलेटिन में बताया गया था कि इस वर्ष 18 अप्रैल को देश के 22 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी हीटवेव की चपेट में थी। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 2003 से 2012 के बीच अत्यधिक गर्मी से देश में 4134 मौतें दर्ज की गईं, पर वर्ष 2013 से 2022 के बीच इस आंकड़े में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई, यानि 5541 मौतें दर्ज की गईं।

हाल में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार तापमान वृद्धि का असर जल्द ही हमारे देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी, कृषि, वन्यजीवों और श्रमिकों पर पड़ने लगेगा। मौसम विभाग ने 12 से 18 अप्रैल के बीच अत्यधिक गर्मी की चेतावनी पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, हरयाणा, पंजाब, और पुदुचेरी के लिए जारी की थी। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में स्कूली छात्रों को गर्मी के कहर से बचाने के लिए स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया।


अमेरिका के नेशनल ओसानोग्रफिक एंड एटमोस्फेरेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने पिछले 174 वर्षों के मार्च महीने के वैश्विक औसत तापमान के आंकड़े खंगालने के बाद बताया कि वर्ष 2016 का मार्च सर्वाधिक गर्म था, जबकि मार्च 2023 दूसरा सर्वाधिक गर्म मार्च रहा है। इस वर्ष के जनवरी से मार्च के बीच का औसत तापमान चौथा सर्वाधिक गर्म रहा है और अनुमान है कि यह वर्ष पांचवां सर्वाधिक गर्म वर्ष रहेगा। मार्च 2023 के दौरान पृथ्वी का औसत सतही तापमान पूरी 20वीं शताब्दी के औसत की तुलना में 1.24 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

यह लगातार 47वां वर्ष है, जब मार्च के महीने का वैश्विक सतही तापमान सामान्य औसत से अधिक रहा और इस तरह का यह लगातार 529वां महीना है। एशिया का औसत तापमान 20वीं शताब्दी के औसत की तुलना में 4.08 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और अंटाकर्टिका में जनवरी से मार्च 2023 के बीच हिम-आवरण सबसे कम आंका गया है।

म्यांमार में इस वर्ष अप्रैल में चार स्थानों पर तापमान के पहले के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो चुके हैं। त्हेंज़येत में तापमान 43 डिग्री और बायो में 42.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में 42 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंचने के बाद लोगों को घरों के भीतर रहने की चेतावनी जारी कर दी गई और बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई। थाईलैंड के कुछ क्षेत्रों में तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, इससे पहले थाईलैंड में सर्वाधिक तापमान वर्ष 2016 में 44.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। फिलीपींस में बेतहाशा गर्मी के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया और शिक्षा ऑन-लाइन तरीके से दी जाने लगी। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, ऐसा पिछले 58 वर्षों में कभी नहीं हुआ था|

चीन में भी कई स्थानों पर तापमान के नए रिकॉर्ड स्थापित हुए। लाओस में इस वर्ष अप्रैल में इतिहास का सर्वाधिक तापमान 42.7 डिग्री सेल्सियस मापा गया। वियतनाम में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस पार कर गया और यह तापमान किसी भी महीने के रिकॉर्ड की तुलना में अधिक है। जापान में इस वर्ष अप्रैल में कई बार तापमान 30 डिग्री सेल्सियस पार कर गया। कुछ ऐसे ही हालात कज़ाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में रहे।


इस वर्ष बढ़ती गर्मी के बीच हमारे देश में सरकारी संवेदनहीनता और क्रूरता का एक उदाहरण भी देखने को मिला। 16 अप्रैल को नवी मुंबई के खारघर में शिवसेना और बीजेपी शासित महाराष्ट्र सरकार द्वारा खुले में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। बड़े लोगों और पत्रकारों के लिए टेंट लगाए गए थे, पर जनता को 6 घंटे सीधे धूप में खड़ा रहना था।

आजकल बीजेपी के ऐसे किसी भी कार्यक्रम जिसमें अमित शाह या फिर मोदी जी हों, दूर दराज के इलाकों या फिर दूसरे राज्यों से भी बसों में भरकर भीड़ लाने का चलन है। इस कार्यक्रम में भी ऐसा ही हुआ और उस दिन तापमान 42 डिग्री से अधिक था। इस कार्यक्रम के दौरान लू लगने के कारण 13 लोगों की मृत्यु हो गई जिसमें 6 महिलाएं थीं। इसके अलावा 600 से अधिक लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा। जाहिर है, इस सरकार को जनता की मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिकतर समाचार चैनलों पर इस खबर को दिखाया भी नहीं गया।

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