विष्णु नागर का व्यंग्यः मोदीजी से एक हिन्दुत्व का मोर्चा नहीं संभल रहा, उधर कंगना अकेले कई मोर्चों पर डटी है!

मोदीजी से तो हिन्दुत्व का मोर्चा ठीक से फतह नहीं हो पा रहा और उधर कंगना एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रही है। फिल्मी माफिया, ड्रग माफिया से लड़ते-लड़ते उसने शिवसेना के खिलाफ सारे मोर्चे खोल दिए। राममंदिर और कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा का भार भी अपने कंधों पर ले लिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

अभी हमारे एक मित्र ने सोशल मीडिया पर लिखा था- रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करवाने के प्रोजेक्ट की 'शानदार सफलता' के बाद अब गोदी चैनल क्या करेंगे? कंगना रनौत के वीरांगना के रूप में दृश्य में अवतरण के बाद उनकी यह आशंका मिट गई होगी।

ऐसा है कि मोदी चाचा, गोदी चैनलों के भतीजे-भतीजियों के सामने कभी गालीगलौज, कीचड़ उछालने, बांहें चढ़ाकर चुनौती देने के काम पर संकट नहींं आने देते! इसके प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर कभी शंका के बादल नहीं छाए। सूरज ने कभी चमकना नहीं छोड़ा। चांद कभी अमावस्या की आड़ लेकर छुपा नहीं। पूर्णिमा का चंद्रमा कभी अस्त हुआ नहीं। मोदीजी की इस सफलता पर जो शक करे, वह न केवल देशद्रोही है, बल्कि उसे मरने के बाद नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। और मिल जाए तो मुझे बताना, उसके बदले मैं नरक चला जाऊंगा!

ये चैनल स्वयं आपदाओं के जनक हैं, बल्कि जनक भी क्या स्वयं एक राष्ट्रीय आपदा हैं, इसलिए चांद, तारे, सूरज और मोदीजी इनके साथ हैं। ये इतनी बड़ी आपदा हैं कि कोरोना, बेरोजगारी, आर्थिक संकट हवा का झोंका मात्र हैं। ये सब मिलकर हाथ जोड़कर भी इनके सामने खड़े हो जाएं कि प्रभो कभी हम पर भी दृष्टिपात कर लिया करो तो ये उन्हें धक्के मार कर गिरा देंगे और इनकी छाती पर चढ़कर कहेंगे कि दबाऊं गला? और वे हाथ जोड़कर कहेंगे, प्रभो गलती हो गई हमसे। विपक्ष के बहकावे में आ गए। हम आपके चरणों में गिर कर क्षमा मांगते हैं कि हमसे ऐसी गलती अब कभी नहीं होगी। इतने प्रतापी हैं ये चैनल!

तो साहबों गोदी चैनलों का नया मसाला है- कंगना रनौत। कंगना जैसी स्वयंसंकटा देवी रणचंडी की भूमिका में हो तो फिर गोदियों के सामने संकट कैसा? बीजेपी और अर्णब जैसे वीरों का साथ हो और सामने के पाले में खड़ी हो शिवसेना तो फिर तो कोई संकट नहीं। वैसे बीजेपी के पास कंगना टाइप वीरों-वीरांगनाओं की पूरी फौज है और नई भर्ती के आवेदन आमंत्रित भी किए जा रहे हैं। एक वीर आदि खेत रहा, तो क्या, दूसरा, तीसरा, चौथा... हाजिर हो जाएगा।

अभी शिवसेना इनके सामने थोड़ी कमजोर इसलिए पड़ रही है कि बालासाहेब ठाकरे ने इस दुनिया से उठ जाना पसंद किया और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने की चूक कर दी! कोढ़ में खाज यह कि साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस का ले लिया, इसलिए उसके हाथ-पैर कस कर बंधे हुए हैं। वरना, शिवसेना अकेली होती तो कंगना दूर-दूर तक टिक नहीं पाती।

इसका कारण है। जब कंगना ने भारतभू पर 'अवतार' भी नहीं लिया था, तब से शिवसेना महाराष्ट्र में 'हिंदुत्व' के रणक्षेत्र में बीजेपी की तगड़ी कंपटीटर है। फिल्म वाले तो आज भी शिवसैनिकों के नाम से थरथर कांपते हैं। यह तो वक्त की बात है कि कंगना तू कहकर उद्धव ठाकरे को संबोधित कर रही है और सेना उसे हरामखोर, बीजेपी का तोता, कंस मामा का तोहफा जैसे शब्द बाणों से भेदने के बाद चुप लगा गई है। वरना, तीर से लड़ना तो उसने कभी सीखा ही नहीं, जो सीखा इससे आगे ही सीखा।

उधर कंगना के पास तो अभी शब्दों के धनुष-बाण ही हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा देखकर मानना पड़ेगा कि वह अच्छी धनुर्धर हैं। गांडीव धनुष और अक्षय तरकश अर्जुन की बजाए उसके पास हुए होते तो वह क्या धमाल मचाती, इसकी कल्पना करके स्वयं मोदीजी भी कांप जाएंगे!

वैसे रणचंडी कंगना ने फिलहाल प्रज्ञा ठाकुर की कीर्ति को धूमिल कर दिया है। प्रज्ञा ठाकुर भी बेचारी वक्त की मारी है। जोश में आकर वह लोकसभा का चुनाव लड़ बैठी और दुर्भाग्य कि जीत भी गई। अब बेचारी इंतजार कर रही है कि मोदीजी उसे कम से कम एक बार मन से माफ कर दें तो वह अपना नया कमाल दिखाए। वैसे वह अगर दुबारा जबान खोलेगी तो मोदीजी दुबारा भी उसे मन से माफ कर देंगे, तिबारा-चौबारा आदि भी। वह जबान खोलकर दिखाए! बिना मांगे तो मां भी बच्चों को दूध नहीं पिलाती! सामने आए और कंगना को उसका असली कद दिखाए! हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा। खुदा या ईश्वर आ गया तो मन की बात के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विशेषज्ञ उसे मन, हृदय सबसे माफ करने को विवश हो जाएंगे।

खैर, मूल विषय पर फिर आएं। पट्ठी कंगना ताल ठोंक कर मैदान में खड़ी है। सबके बापों को चुनौती दे रही है। उधर मोदीजी से तो हिन्दुत्व का मोर्चा ही अब ठीक से फतह नहीं हो पा रहा है और इधर ये वीरांगना एक साथ कई मोर्चों पर बिना हताहत हुए लड़ रही है। फिल्मी माफिया, ड्रग माफिया से लड़ते-लड़ते अभी न परास्त हुई थी, न परास्त कर पाई थी कि बिना हाथ-मुँंह धोए उसने शिवसेना के खिलाफ सारे मोर्चे खोल दिए। उधर राममंदिर और कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा का भार उसने अपने कंधों पर उठा लिया है और अपने ऑफिस को राममंदिर बताकर शिवसेना को बाबर भी घोषित कर दिया।

हमने बचपन में सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी पढ़ी थी।अब वह दिन आ गया लगता है, जब पाठ्य पुस्तकों में मर्दानी की यह जगह कंगना छीन लेगी। मुझे अपने पोतों के भविष्य की चिंता है। आप भी अपने नाती-नातिनों, पोते-पोतियों के भविष्य की चिंता करना शुरू कर दें। कंगना वैसे भी खुद को बलिदानी शो कर रही है। वह मुंबई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी बता रही है और माता जसोदा भी। वह महाराष्ट्र के गौरव के लिए अपना खून देने की एक्टिंग भी कर रही है और देश के लिए जान देने वाले सपूतों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज करवाने को उतावला होने की भी।

अगर उसने मोदीजी से गंडा बंधवाया है, तब तो चिंता की बात नहीं, ये सब जुमले हैं। वैसे ऐसे वीरों और वीरांगनाओं से उनके समर्थकों को अधिक सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इतिहास बताता है कि इनकी तलवार से इनके अपने ही हत-आहत होते आए हैं।

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