अगर ट्रंप फिर से सक्रिय हुए तो अमेरिका में फिर से शुरु हो सकता है साजिशों, अफवाहों और आंदोलनों का उग्र दौर

ट्रंप की कामना यदि फिर चुनाव में उतरने की है, तो अमेरिका में साजिशों, अफवाहों, आंदोलनों और उग्र बयानबाजी का एक दौर फौरन ही शुरू हो जाएगा। यकीनन 2024 के चुनाव का प्रस्थान-बिंदु तैयार है। बातें तो एक नई पार्टी के गठन की भी हो रही हैं।

फोटो : Getty Images
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प्रमोद जोशी

महाभियोग की प्रक्रिया के बाद अमेरिकी राजनीति पटरी पर लौट रही है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेता भविष्य की योजनाएं तैयार कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप पर चलाए गए दूसरे महाभियोग की नाटकीय परिणति ने एक तो रिपब्लिकन पार्टी के भीतर एक किस्म की दरार पैदा कर दी है, साथ ही पार्टी और ट्रंप की भावी राजनीति को लेकर कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं। सीनेट में हुए मतदान में रिपब्लिकन पार्टी के सात सदस्यों ने ट्रंप के खिलाफ वोट देकर इन सवालों को जन्म दिया है, पर इस बात की संभावनाएं बनी रह गई हैं कि राष्ट्रपति पद के अगले चुनाव में ट्रंप एक बार फिर से रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बनकर खड़े हो सकते हैं।

सीनेट में मेजॉरिटी लीडर और डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य चक शूमर ने ट्रंप कीआलोचना करते हुए कहा है कि महाभियोग से तो वह बच निकले, पर अमेरिकी उन्हें माफ नहीं करेंगे। लोग 6 जनवरी की घटना को भूलेंगे नहीं। दूसरी तरफ, इतनी विपरीत परिस्थितियों में रिपब्लिकन पार्टी के 43 सदस्यों ने ट्रंप को बचाने के लिए जो मतदान किया है, उससे लगता है कि पार्टी कमोबेश ट्रंप के साथ है। हालांकि डेमोक्रेटिक सदस्यों ने एकता दिखाई, पर महाभियोग चलाने के तरीकों को लेकर उनमें भी मतैक्य नहीं था।

बताया जाता है कि देश में रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों का बहुत बड़ा हिस्सा ट्रंप समर्थक है। यदि सीनेट के दो तिहाई यानी 67 सदस्य ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग को स्वीकार कर लेते, तो उसके बाद केवल 51 वोट से एक और प्रस्ताव आसानी से पास हो सकता था जिसके तहत ट्रंप को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता था। पर पार्टी के केवल सात सदस्यों का आगे आना बताता है कि ट्रंप को बचाने वालों की पर्याप्त संख्या पार्टी के भीतर है।

दूसरी बात, सदन में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल की भूमिका अंतर्विरोधी थी। हालांकि उन्होंने ट्रंप के पक्ष में वोट दिया, पर उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं ट्रंप के साथ अपने रिश्ते खत्म कर रहा हूं और यदि वह इस समय राष्ट्रपति पद पर होते तो मैं उनके खिलाफ वोट देता। गत 6 जनवरी की हिंसा के लिए वह हर तरह से जिम्मेदार हैं। अब 2022 के चुनाव मैकॉनेल और उनकी पार्टी के लिए चुनौती बनकर सामने आने वाले हैं। बड़ी संख्या में पार्टी के बुनियादी वोटर ट्रंप-समर्थक हैं। ट्रंप- विरोधियों को अंदेशा है कि अब जब सीनेट से उन्हें प्राणदान मिल गया है, वह अपने पुराने अंदाज में लौटेंगे। दूसरी तरफ, ऐसे वोटरों को वापस लाने की चुनौती है जो पिछले चार साल में ट्रंप से नाराज होकर पाला बदल चुके हैं। ट्रंप के पक्ष में वोट देने वाले कई रिपब्लिकन सीनेटरों ने कहा है कि उनके लिए ट्रंप को फिर से राष्ट्रपति पद के लिए वोट देना मुश्किल होगा।


पिछले चार साल में ट्रंप ने रिपब्लिकन वोटरों के एक बड़े वर्ग को व्यक्तिगत भक्त संप्रदाय (पर्सनैलिटी कल्ट) में तब्दील कर दिया है। पार्टी के भीतर बने इस ‘ट्रंपब्लिकन समुदाय’ से जुड़े कट्टर समर्थक उनकी हर बात को सच मानने को तैयार बैठे हैं। मरने-मारने को भी तैयार। उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला, संसद भवन पर हमला किया। यह वोटर संप्रदाय अमेरिका की राजनीति से हटने से रहा। सवाल यह भी है कि यह वर्ग कितना बड़ा है और किस हद तक ट्रंप का साथ देगा? क्या रिपब्लिकन पार्टी की प्राइमरी में इस वर्ग की चलेगी? सवाल यह भी है कि रिपब्लिकन पार्टी की मुख्यधारा किस दिशा में सोच रही है।

पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी की बेटी लिज ने मुखर होकर ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग का समर्थन किया था। लिज चेनी प्रतिनिधि सदन में पार्टी की तीसरे नंबर की नेता हैं। अब उन्हें उन पदों से हटाने की कोशिश की जा रहीहै जिन पर वह मौजूदा समय में हैं। वह वायोमिंग से चुनकर आती हैं जो रिपब्लिकन गढ़ माना जाता है। इस बार के चुनाव में ट्रंप को सबसे बड़ी मार्जिन से यहां विजय मिली थी। अब यहां 2022 की प्राइमरी के पहले ही ‘इम्पीच लिज चेनी’ के पोस्टर नजर आने लगे हैं। अंतिम परीक्षा 2024 के प्राइमरी में होगी जब संभवतः ट्रंप खुद प्रत्याशी होंगे।

ट्रंप की कामना यदि फिर चुनाव में उतरने की है, तो अमेरिका में साजिशों, अफवाहों, आंदोलनों और उग्र बयानबाजी का एक दौर फौरन ही शुरू हो जाएगा। यकीनन 2024 के चुनाव का प्रस्थान-बिंदु तैयार है। बातें तो एक नई पार्टी के गठन की भी हो रही हैं। पर्यवेक्षक यह भी कहते हैं कि ट्रंप के पीछे की भीड़ को ज्यादा आकने की जरूरत नहीं। ट्रंप की राजनीतिक बुनियाद ट्विटर पर टिकी थी। जैसे हीउनका ट्विटर हैंडल खत्म हुआ, उनकी आधी राजनीति फुस्स। मुख्यधारा के मीडिया में अब ट्रंप के साथ कोई नहीं। ट्रंप ने ओएएनएन और न्यूज मैक्स-जैसे हाशिये के मीडिया का हाथ थामा है। खबरें हैं कि वह ‘ट्रंप न्यूज टेलीविजन’ और ट्विटर-जैसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शुरू कर सकते हैं। उनके दामाद जैरेड कुशनर इसके पीछे हैं।


सवाल यह है कि रिपब्लिकन पार्टी उनके प्रभाव और दबाव में है या नहीं? पार्टी के संजीदा लोगों को समझ में आता है कि जुनूनी हरकतें जारी रहीं, तो फायदा डेमोक्रेटिक पार्टी को मिलेगा। तब क्या पार्टी ट्रंप को हाशिये पर भेज पाएगी? पार्टी के सामने भी ट्रंप की छवि से लौटने कीचुनौती है, पर कैसे? ट्रंप केवल ब्रैंड के रूप में नहीं, विचार के रूप में अमेरिका पर छाए थे। हालांकि वे महाभियोग से बच गए हैं, पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के तमाम रास्ते अभी खुले हैं। टैक्स-चोरी, मनी-लाउंडरिंग, विदेशी राजनेताओं के साथ अनुचित रिश्तों को लेकर तमाम आरोप उन पर हैं।

इस वोट के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों और अपने पक्ष में वोट देने वाले सीनेटरों को धन्यवाद दिया और कहा कि यह देश के इतिहास में सबसे बड़ा विच हंट था। उन्होंने यह भी कहा है, ‘अमेरिका को फिर से महान बनाने का आंदोलन अब शुरू हो रहा है।’

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