बॉलीवुड सितारों की नई बीमा पॉलिसी: 'हैप्पी सेल्फी' और ट्वीट के जरिए 'पवित्र' हो रहा फिल्म जगत

लोकप्रिय फिल्मी हस्तियां हैप्पी सेल्फी के जरिये एक किस्म की बीमा पॉलिसी और दीन-हीन चिरौरी के मार्फत जीवन के लिए सुरक्षा- कवच हासिल कर रही हैं। मीडिया और अन्य सांस्कृतिक तथा इतिहास से जुड़ी संस्थाओं की तरह बॉलीवुड को भी ‘पवित्र करने’ की बातें होती रही हैं।

नवजीवन
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नम्रता जोशी

2019 के आखिर और 2020 के शुरू में जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दों पर दिल्लीके जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विरोध ने जोर पकड़ना शुरू किया, तब बॉलीवुड में भी बेचैनी बढ़ने लगी। वैसे तो राष्ट्रीय या वैश्विक मुद्दों तथा सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक चिंताओं पर कभी भी कोई रुख अख्तियार न करने के लिए फिल्म उद्योग बदनाम है, फिर भी जामिया में पुलिस ने जिस तरह हिंसक कार्रवाई की, उसके बाद यहां भी विरोध के कुछ स्वर उभरे। धीरे-धीरे ही सही, प्रतिबद्ध लोगों का समूह कुछ बड़ा हुआ। छह साल के भारतीय जनता पार्टी शासन के दौरान खुशामदी की होड़ भी चलती रही लेकिन यह एक ऐसा अवसर था जब बॉलीवुड दो समूहों में बंट गया- एक जो ‘पीएम के साथ सेल्फी’ वाला था; दूसरा, जो गैर-सेल्फी समूहथा।

बॉलीवुड की छवि पॉप संस्कृति संस्थान, देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख हिस्सेदार और वैश्विक सॉफ्ट शक्ति होने की थी। लेकिन पिछले एक साल के दौरान यहां बहुत कुछ हुआ है। कोविड की वजह से यह उद्योग अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है- सिनेमा की रचनात्मकता, प्रोडक्शन और वितरण में बदलाव की हूक है। सुशांत सिंह राजपूत के निधन को आत्महत्या साबित करने के दौरान इस पर व्यवस्थित और नियोजित ढंग से, खास तौर पर टेलीविजन चैनलों के जरिये, आक्रमण हुए और इस वजह से इसकी उस छवि को खासा नुकसान हुआ है।

इन दिनों फिर यहां हिलोड़ है। युवा बॉलीवुड कृषि-व्यापार कानूनों के खिलाफ किसानों के लगातार प्रतिरोध के साथ खड़ा है और स्वरा भास्कर तथा सुशांत सिंह-जैसी हस्तियां विरोध स्थल तक जा रही हैं। दूसरी ओर, जब पॉप गायिका रिहाना ने आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में ट्वीटकिया और इसने इस आंदोलन की तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा, तो बॉलीवुड के कुछ बड़े नाम- अक्षय कुमार, लता मंगेशकर, सुनील शेट्टी, अजय देवगन, करण जौहर आदि ने सरकार के पक्ष में ट्वीट किए। यह एक किस्म की अंधभक्ति ही कही जानी चाहिए कि अक्षय कुमार और बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव को रीट्वीट करते हुए बिना कॉमा, फुलस्टॉप बदले एक समान भाषा इस्तेमाल की।


कुछ ने दिखाया साहस

यह सब कुछ 2019 के आखिरी दिनों जैसा है। उस वक्त विद्यार्थियों के आंदोलन के दौरान विक्की कौशल और आयुष्मान खुराना वही कुछ ट्वीट कर रहे थे जो सरकार की लाइन थी। उस वक्त अभिनेत्री सयानी गुप्ता ने सेल्फी गैंग को संबोधित करते हुए सीधे ही ट्वीट किया था कि ‘जामिया और एएमयू के विद्यार्थियों की तरफ से मैं आपमें से कम-से-कम किसी एक से पुलिस अत्याचार और विद्यार्थियों के खिलाफ हिंसा की कार्रवाई की निंदा करते हुए श्री मोदी को ट्वीट करने या उन्हें संदेश देने का अनुरोध करती हूं। बोलने का वक्त आ गया है, भाई लोग। हां? नहीं? हो सकता है?’

ऋचा चड्ढा, हुमा कुरैशी, सुधीर मिश्रा, अनुभव सिन्हा, स्वरा भास्कर, दिया मिर्जा, कोंकणा सेन शर्मा और जूही चतुर्वेदी और अन्य लोग भी विद्यार्थियों के समर्थन में आए। रेणुका शहाणे ने हिम्मत दिखाते हुए प्रधानमंत्री मोदी को ट्वीट किया: ‘सर, कृपया लोगों से अपने सभी आईटी सेल ट्विटर हैंडल से दूर रहने को कहें। वे काफी अधिक अफवाह, झूठ फैलाते हैं और भाईचारे, शांति और एकता के बिल्कुल खिलाफ हैं। वास्तविक ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग आपका आईटी सेल है, सर। नफरत फैलाने से कृपया उन्हें रोकें।’

कोविड की वजह से पंगु बन गए बॉलीवुड के लिए इस बार के बजटमें कोई राहत नहीं दी गई है। इस बार पद्मश्री पुरस्कार भी बॉलीवुड से जुड़े किसी व्यक्ति को नहीं दिया गया है। सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर जब बॉलीवुड पर चौतरफा हमले हो रहे थे, तब भी उनकी मदद में कोई सामने नहीं आया। तब इस तरह सरकार के पक्ष में खड़े होने की हड़बड़ी ही क्यों है? जब उनका उपयोग किया जा रहा है, तो क्या वजह है कि वे दूरी बनाकर नहीं रख पा रहे हैं?

‘पवित्र’ करने का संदेश

यह सब तब है जब अपने पास कई बेहतर उदाहरण हैं। हॉलीवुड से जुड़े तमाम लोग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ खड़े दिखे। अपने यहां ही दक्षिण में सिद्धार्थ सूर्य नारायणन से लेकर पंजाब के दिलजीत दोसांझ ने सरकारी नीतियों के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया है।

ठीक है कि बॉलीवुड के लोग अपने खोल में बंद रहना पसंद करते हैं; उनमें संवेदनशीलता की कमी है। कोविड महामारी के दौरान भी उनके लिए मालदीव या मॉरीशस में ‘पैन्डेमिक होलिडे’ मनाना ज्यादा जरूरी था। लेकिन इस तरह के रवैये के पीछे एक अन्य बड़ी वजह भी है। 2014 से ही यह उद्योग अभूतपूर्व हलचल झेल रहा है। लोकप्रिय फिल्मी हस्तियां इसी वजह से हैप्पी सेल्फी के जरिये एक किस्म की बीमा पॉलिसी और दीन-हीन चिरौरी के मार्फत जीवन के लिए सुरक्षा- कवच हासिल कर रही हैं। मीडिया और अन्य सांस्कृतिक तथा इतिहास से जुड़ी संस्थाओं की तरहबॉलीवुड को भी ‘पवित्र करने’ की बातें होती रही हैं। इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा में फिल्म प्रोडक्शन सेंटर बनाने की बात कर रहे हैं।


इन सबमें कई लोग खासे एक्टिव हैं। दो लोगों के नाम लेने हो, तो वे हैं- फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री और अशोक पंडित। आरएसवीपी मूवीज कंगना रनौत को लेकर फिल्म ‘तेजस’ बना रहा है। मैड्डॉक, एबंडेंटिया, टी सीरीज, बालाजी, संजय लीला भंसाली-जैसे फिल्म निर्देशक और फिल्म निर्माता महावीर जैन ने भी अपने लिए सही रास्ता चुना है। जैन तो सरकार और बॉलीवुड के बीच मध्यस्थ माने जा रहे हैं। वह छोटे स्तर के निर्माता थे। उन्हें कैडर का आदमी कहा जाता है। अब उनका प्रोडक्शन हाउस बड़ा हो गया है। जाह्नवी कपूर को लेकर उनकी दो फिल्मों पर काम चल रहा है।

समझिए कि यह सब चलता रहेगा। देखते रहना होगा कि कौन किधर रह पाता है, कब तक और किस कीमत पर!

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