खरी-खरी: नफरत के ईंधन से चलते बुलडोज़रों से ध्वस्त होता भारत और विभाजनकारी नीतियों में जीत का मंत्र तलाशती बीजेपी

बुलडोजर बीजेपी की मुस्लिम नफरत की राजनीति का केवल एक प्रतीक है। इसका मतलब केवल हिन्दू जनसंख्या को यह बताना है कि बीजेपी शासन हिन्दू हित का शासन है और इस शासन में हिन्दू विरोधी मुसलमान को बुलडोजर से कुचल दिया जाएगा।

फोटो : सोशल मीडिया
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ज़फ़र आग़ा

इतिहास के जानकारों का विचार है कि इस देश में हिन्दू-मुस्लिम दंगों की शुरुआत अंग्रेजों के समय से हुई, अर्थात लगभग एक हजार वर्षों के मुस्लिम शासन काल में कम-से-कम सांप्रदायिक दंगे नहीं होते थे। अंग्रेजों के शासन की रणनीति ही ‘लड़ाओ और राज करो’ थी। इसलिए वे इस देश के दो प्रमुख समुदायों- हिन्दू और मुसलमान को आपस में लड़वाते रहे और इसी राजनीति पर लगभग सौ वर्षों तक अपना शासन चलाते रहे। सीधी-सी बात है कि दो समुदायों को आपस में लड़वाने की रणनीति केवल सफल ही नहीं बल्कि शासक वर्ग के लिए अत्यंत कारगर रणनीति है। हद यह है कि इस प्रकार फैली आपसी नफरत से प्रभावित आम आदमी गुलामी तक का दुख और पीड़ा भूलकर अंग्रेजों के शासन को सौ वर्षों तक बरदाश्त करता रहा।

अब सन 2014 से एक बार फिर से बीजेपी ने अंग्रेजों की ‘लड़ाओ और राज करो’ रणनीति का उपयोग शुरू कर दिया है। इस समय देश सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। यह भी स्पष्ट है कि इस मुस्लिम विरोधी नफरत की राजनीति को पूरे हिन्दुत्व परिवार के साथ-साथ बीजेपी शासित राज्य सरकारों का भी पूरा सहयोग हासिल है। तभी तो कर्नाटक में कभी हिजाब, तो कभी नवरात्र में ‘मीट बैन’ का मामला उठ खड़ा होता है। कभी मध्य प्रदेश में शिवराज शासन खड़ा होकर मुस्लिम समुदाय के मकानों को बुलडोजर से गिरवा देता है।

भला शिवराज सिंह ऐसा क्यों न करें? उनको उत्तर प्रदेश से सबक मिला है। बुलडोजर रणनीति की शुरुआत योगी आदित्यनाथ ने की थी। हद तो यह है कि अभी मार्च में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी जी को ‘बुलडोजर बाबा’ पदवी दे दी गई। और तो और, बीजेपी योगी जी की चुनावी सभाओं में गर्व से बुलडोजर खड़े करती थी। इसका नतीजा आपको पता ही है। उत्तर प्रदेश की जनता ने कोविड महामारी से हजारों लोगों की मौत के बाद भी योगी जी की बुलडोजर रणनीति को भारी बहुमत से जितवा दिया। इस प्रकार ‘बुलडोजर रणनीति’ बीजेपी के लिए चुनाव जीतने का एक आसान उपाय बन गई है।

जिस प्रकार कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश में इस समय सांप्रदायिक आंधी चल रही है, उससे यह स्पष्ट है कि अब जहां-जहां चुनाव होने हैं, वहां-वहां मुसलमानों के खिलाफ नफरत की हांडी चढ़ती रहेगी और जैसे- जैसे चुनाव करीब आएंगे, वैसे-वैसे उस हांडी की आंच को तेज से तेजतर कर दिया जाएगा क्योंकि उत्तर प्रदेश की तरह अब इसी रणनीति पर चुनाव जीते जा सकते हैं। कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश- दोनों राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए इन प्रदेशों में और इनके समक्ष दूसरे उन राज्यों में जहां चुनाव होने हैं, वहां-वहां ‘बुलडोजर रणनीति’ का ही उपयोग होगा। बुलडोजर बीजेपी की मुस्लिम नफरत की राजनीति का केवल एक प्रतीक है। इसका मतलब केवल हिन्दू जनसंख्या को यह बताना है कि बीजेपी शासन हिन्दू हित का शासन है और इस शासन में हिन्दू विरोधी मुसलमान को बुलडोजर से कुचल दिया जाएगा।


बात यह है कि बीजेपी के पास मुस्लिम नफरत की राजनीति के अलावा और कोई उपाय नहीं बचा है। देश इस समय अत्यंत गंभीर आर्थिक संकटसे गुजर रहा है। पिछले एक माह में महंगाई की मार चरमसीमा पर पहुंच चुकी है। हद यह है कि अभी नवरात्र के दौरान नीबू जैसी मामूली चीज पंद्रह रुपये में एक के भाव से बिक रही थी। जाहिर है, जब पेट्रोल एवं डीजल सौ रुपये प्रति लीटर से अधिक भाव से बिकेगा, तो फिर हर आम चीज का भाव आसमान छू जाएगा। बाजार में आग लगी है। एक दिन के आटे, दाल, चावल, तेल, सब्जी एवं फल जैसी चीजों को खरीदने के लिए एक हजार रुपये भी कम पड़ रहे हैं। तभी तो रिजर्व बैंक यह ऐलान कर रहा है कि महंगाई पिछले 17 महीनों की चरम सीमा पर पहुंच चुकी है।

जाहिर है कि जब मार्केट में महंगाई के कारण खरीद-फरोख्त घट जाएगी, तो फिर हर आर्थिक गतिविधि पर प्रभाव पड़ेगा। कामकाज, कारखानों, दुकान-धंधों पर प्रभाव पड़ेगा। इसका अर्थ यह कि पहले से चला आ रहा बेरोजगारी का सैलाब बढ़ता जाएगा। कुल मिलाकर यह कि देश में आर्थिक तबाही मची है। ऐसे में सत्तापक्ष में बैठी पार्टी के विरोध में गुस्से का प्रकोप होना चाहिए लेकिन सड़कें शांत हैं। विपक्षी दल और खासतौर से कांग्रेस हर राज्य में इन मुद्दों को लेकर बीजेपी की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतर रही है, लेकिन सरकारी विज्ञापन पर जीने वाली मीडिया के लिए यह खबर है ही नहीं और इसलिए आम लोगों को भी नहीं पता चल रहा कि कहीं बीजेपी के विरोध में कोई बड़े प्रदर्शन हो भी रहे हैं या नहीं।

लेकिन सवला है कि आखिर, जनता महंगाई एवं बेरोजगारी की मार के बीच सत्तापक्ष के मोह में कैसी डूबी हुई है?


इसका केवल और केवल एक राज है ‘बुलडोजर रणनीति’। अर्थात जितनी आर्थिक समस्या गंभीर हो, उतनी ही नफरत की हांडी की आग तेज करो ताकि जनता धर्म की अफीम में डूबी अपनी समस्याएं भूली रहे। तभी तो कभी उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति गेरुआ में ‘सलमा’ (मुस्लिम महिला) के बलात्कार की बात करता है और जनता ताली बजाती है और कभी कर्नाटक में ‘मीट जिहाद’ होता है और कभी मध्य प्रदेश में बुलडोजर से मुसलमानों के मकान ढहा दिए जाते हैं। इधर नीबू पंद्रह रुपये का एक बिक रहा है परंतु सड़कें शांत हैं। अब आप समझे जब अंग्रेजों की ‘लड़ाओ और राज करो’ रणनीति पर वे सौ वर्षों तक राज करते रहे, तो फिर बीजेपी उसी नफरत की राजनीति की रोज आंच तेज कर चुनाव जीतने का उपयोग क्यों नहीं करेगी।

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