विश्व बैंक के लैंगिक समानता इंडेक्स में भारत फिसड्डी, इस सरकार में ऐसी उपलब्धियां हुईं आम

लैंगिक समानता के किसी इंडेक्स में भारत का फिसड्डी होना कोई नई बात नहीं हैI साल 2017 में विश्व बैंक की महिला श्रमिकों पर रिपोर्ट में भारत कुल 131 देशों में 120वें स्थान पर था। साल 2020 के ह्युमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 189 देशों में भारत को 131वें स्थान पर थाI

फाइल फोटोः इकॉनोमिक टाइम्स से साभार
फाइल फोटोः इकॉनोमिक टाइम्स से साभार
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महेन्द्र पांडे

विश्व बैंक ने हाल में ही “वीमेन, बिजनस एंड द लॉ इंडेक्स 2021” प्रकाशित किया है, जिसमें दुनिया के 190 देशों का आकलन महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण की तरफ बढ़ाते कानूनों के आधार पर किया गया हैI इन 190 देशों के सन्दर्भ में इस इंडेक्स में भारत 123वें स्थान पर हैI इसी इंडेक्स में नेपाल 89वें और चीन 116वें स्थान पर हैI यहां तक की महिलाओं के अधिकारों को कुचलने के सन्दर्भ में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सऊदी अरब का स्थान भी इंडेक्स में 94वां हैI

इस इंडेक्स का आधार महिलाओं की स्वतंत्रता, कैरियर चुनने का अधिकार, कार्य क्षेत्र में आजादी, शादी और मान बनाने का अधिकार, संपत्ति पर अधिकार, उद्यमिता और पेंशन से संबंधित कानून हैंI पिछले 7 वर्षों से विश्व बैंक लगातार इस इंडेक्स को वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता रहा हैI इस इंडेक्स में भारत को कुल 74.4 अंक मिले हैं और स्थान 123वां हैI इसमें सबसे ऊपर के दस देश हैं- बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लाटविया, लक्सम्बर्ग, पुर्तगाल और स्वीडनI इन सभी देशों को 100 अंक मिले हैंI इस इंडेक्स में सबसे नीचे के 10 देश/क्षेत्र हैं- वेस्ट बैंक और गाजा, यमन, कुवैत, सूडान, कतर, ईरान, ओमान, सीरिया, अफगानिस्तान और गिनी-बिस्साऊI

इस इंडेक्स के अनुसार दुनिया में लैंगिक समानता बढ़ रही है, हालांकि इसकी रफ्तार धीमी हैI अब राष्ट्रीय श्रम में और उत्पादन में महिलाओं की भागेदारी पहले से अधिक है और महिलाओं को देशों की संसद में अधिक स्थान मिल रहा हैI फिर भी पुरुषों को जितने कानूनी अधिकार मिले हैं, उसकी तुलना में महिलाओं को औसतन तीन-चौथाई अधिकार ही मिले हैंI साल 2019 की तुलना में कुल 27 देश ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं के अधिकार बढ़े हैं, इन देशों में भारत नहीं हैI

सबसे अधिक प्रगति मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और ओईसीडी के अमीर देशों में देखा गया हैI अनेक देशों में सामान वेतन और मातृत्व से संबंधित कानून बनाए गए हैं, पर संपत्ति पर अधिकार से संबंधित कानून किसी देश में नहीं बनाए गए हैंI पिछले 50 वर्षों के दौरान लैंगिक समानता में सबसे अधिक प्रगति दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और औद्योगिक देशों में दर्ज की गई हैI

इस इंडेक्स में हमारे देश में महिलाओं की आजादी, कार्यक्षेत्र और शादी के मामले में भारत को पूरे 100 अंक दिए गए हैंI महिलाओं के वेतन के सन्दर्भ में भारत को केवल 25 अंक, मातृत्व में 40 अंक, उद्यमिता में 75 अंक, संपत्ति में 80 अंक और पेंशन में 75 अंक दिए गए हैंI वैसे लैंगिक समानता से संबंधित किसी इंडेक्स में भारत का फिसड्डी होना कोई नई बात नहीं हैI वर्ष 2017 में विश्व बैंक की महिला श्रमिकों से संबंधित रिपोर्ट में कुल 131 देशों में से 120वें स्थान पर था, जबकि कुल स्नातकों में से 42 प्रतिशत महिलाएं हैंI साल 2020 के ह्युमन डेवलपमेंट इंडेक्स में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने कुल 189 देशों में से भारत को 131वें स्थान पर रखा थाI

पुरुष प्रधान समाज के लिए यह तथ्य समझ पाना थोड़ा कठिन है कि महिलाएं विकास का दूसरा नाम हैंI मानवाधिकार, महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता केवल महिलाओं को ही आगे बढ़ने में मदद नहीं करते, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था और देश को आगे बढ़ने में मदद करते हैंI हाल में ही बीजेएम ओपन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार जिन देशों में महिलाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं और जिन देशों में लैंगिक बराबरी है, उन देशों में लोगों का स्वास्थ्य अधिक अच्छा रहता है और वह देश सतत विकास की तरफ तेजी से बढ़ता हैI इस शोध पत्र के लिए दुनिया के 162 देशों के वर्ष 2004 से 2010 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया हैI इसके लिए लैंगिक समानता, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया हैI

इससे पहले भी लैंगिक समानता पर अनेक शोध किये गए हैंI महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर किसी भी देश का पर्यावरण विनाश रुक जाता है और देश पर्यावरण अनुकूल विकास की तरफ बढ़ता हैI जिन देशों में लैंगिक समानता है, वहां शिशु मृत्यु दर कम हो जाती हैI सबसे बड़ी बात है कि लैंगिक समानता के मामले में जो देश आगे हैं, वही देश हैप्पीनेस इंडेक्स में भी ऊपर हैं, यानि वहां के लोग अधिक खुश हैंI फ़िनलैंड, स्वीडन, नोर्वे, डेनमार्क, नीदरलैंड और आइसलैंड कुछ ऐसे ही देश हैं, जहां पूरी तरह से लैंगिक समानता है और सामाजिक विकास और पर्यावरण के किसी भी इंडेक्स में यही देश सबसे आगे भी रहते हैंI

वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के जेंडर गैप इंडेक्स में कुल 153 देशों की सूची में भारत का स्थान 112वां हैI पहले स्थान पर यूरोपीय देश आइसलैंड है और अंतिम स्थान पर यमन हैI पाकिस्तान (151वां) को छोड़कर सभी पड़ोसी देश हमसे बेहतर स्थिति में हैंI बांग्लादेश 50वें, नेपाल 101वें, श्रीलंका 102वें और चीन 106वें स्थान पर हैI पिछले वर्ष के इंडेक्स में भारत 108वें स्थान पर थाI 2006 से वर्ल्ड इकनोमिक फोरम इस इंडेक्स को प्रकाशित कर रहा है, उस समय भारत 98वें स्थान पर थाI भारत सरकार के महिलाओं से संबंधित नारे जैसे-जैसे बढ़ते गए, हम इंडेक्स में लुढ़कते चले गएI

इस इंडेक्स को शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति और अर्थव्यवस्था में भागीदारी के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाता हैI सूची के पहले दस देशों में क्रमशः आइसलैंड, नोर्वे, फिनलैंड, स्वीडन, निकारागुआ, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, स्पेन, रवांडा और जर्मनी शामिल हैंI इंडेक्स के अनुसार दुनिया में लैंगिक असमानता दूर करने में लगभग 100 वर्ष का समय और लगेगाI दुनिया में लैंगिक असमानता की खाई राजनीति के क्षेत्र में सबसे तेजी से पट रही है और इसे पूरा खत्म होने में 95 वर्ष लगेंगे, जबकि आर्थिक क्षेत्र में इस असमानता को खत्म होने में अभी 257 वर्ष और लगेंगेI

आजकल देश में अल्पसंख्यकों की चर्चा जोरों पर हैI सरकार लगातार इनके अधिकार की बात कर रही है और दूसरी तरफ राष्ट्रव्यापी आन्दोलन किये जा रहे हैंI इन सबके बीच एक अल्पसंख्यक वर्ग की चर्चा नहीं हो रही हैI देश में प्रति 100 पुरुषों पर 91 महिलाएं हैं, इसका सीधा सा मतलब है कि महिलाएं भी अल्पसंख्यक हैं और इनसे सरकार और समाज वैसा ही वर्ताव कर रहा है जैसा दूसरे अल्पसंख्यक वर्गों के साथ कर रहा हैI सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढाओ जैसे नारे अब खोखले हो चुके हैं और उज्ज्वला योजना की चमक फीकी पड़ चुकी हैI लैंगिक असमानता दूर करने के तमाम सरकारी दावों के बीच समय-समय पर प्रकाशित होते लैंगिक समानता से संबंधित इंडेक्स देश की हकीकत दुनिया को बता देते हैंI

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