विष्णु नागर का व्यंग्यः झूठ ही संघ-बीजेपी के प्राण, उसकी सभ्यता और संस्कृति, नहीं बोलेंगे तो करेंगे क्या!

हम 'असत्य वीर' जब झूठ के मैदान में उतरते हैं तो फिर पीछे नहीं हटते। इस देश और इसके बचे-खुचे लोकतंत्र की ऐसी-तैसी करके ही हम दम लेंगे। हमारे प्रधानमंत्री जी तो आदतन झूठ बोलते ही हैं। हमारे गृहमंत्री जी उनके सच्चे अनुयायी हैं!

झूठ ही संघ-बीजेपी के प्राण हैं, उसकी सभ्यता और संस्कृति है, नहीं बोलेंगे तो करेंगे क्या!
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विष्णु नागर

चाहे जो कर लो, झूठ तो हम बोलेंगे ही, फ्राड तो हम करेंगे ही। रुकेंगे नहीं। आप ही बताइए अगर हम झूठ नहीं बोलेंगे, जालसाजी नहीं करेंगे तो, फिर यह काम हमसे बेहतर कौन करेगा?जितना फर्स्ट क्लास झूठ बोलना हमें आता है, किसी और को आता है? अब चुनाव आयोग को नहीं मिले बिहार में घुसपैठिए तो वह जाने, यह उसकी नालायकी है! अभी आधे बिहार में वोट पड़ने वाले हैं जनाब, घुसपैठियों वाला झूठ तो हम बोलेंगे ही बोलेंगे। हमने हर जगह यह झूठ बोला है तो बिहार को क्यों छोड़ देंगे! आखिर बिहार भी तो अपना है!

हम 'असत्य वीर' जब झूठ के मैदान में उतरते हैं तो फिर पीछे नहीं हटते। इस देश और इसके बचे-खुचे लोकतंत्र की ऐसी-तैसी करके ही हम दम लेंगे। अभी तो ट्रेलर ही देखा है तुमने। फिल्म तो अभी हमने रिलीज ही नहीं की है। जब रिलीज करेंगे तो अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाएंगे!हमारे प्रधानमंत्री जी तो आदतन झूठ बोलते ही हैं। हमारे गृहमंत्री जी उनके सच्चे अनुयायी हैं। हमारे रक्षामंत्री कुर्सी-रक्षा यज्ञ में आहूति देते हुए दो कदम आगे बढ़कर झूठ बोलते हैं।

बुलडोजरनाथ जी का तो धर्म ही है झूठ बोलना। वह पीठाधीश्वर हैं तो झूठ उनके मुंह से बहुत सुहाता भी है। हिमंत बिस्वा सरमा जी संघ की शरण में आए, नये-नये मुल्ला हैं, ज्यादा प्याज़ नहीं खाएंगे तो पद पर कैसे रहेंगे? झूठ हमारी अमूल्य संपदा है! और झूठ बोलने में हमें आज जितनी सुविधा है, सुरक्षा है, चर्चा है, वह कल हो, न हो। आज सीबीआई, ईडी, अदालत सब हमारी है। कल अगर किसी और की हो गई तो!

मान लिया कि हम भाजपाई भी पूरे बिहार में केवल 16 घुसपैठिये ढूंढ पाए। उसमें से भी जांच के बाद चुनाव आयोग ने केवल तीन को संदिग्ध माना मगर इस कारण हम अपना गुण-धर्म छोड़ नहीं सकते! झूठ ही संघ-बीजेपी के प्राण हैं, उसकी सभ्यता और संस्कृति है, आचरण की उसकी शुद्धता है। झूठ से हमारी सौ साल पुरानी रिश्तेदारी है! झूठ तो हम बोलेंगे ही। एक बार नहीं, हजार बार बोलेंगे। हजार बार से भी काम नहीं चला तो लाख बार बोलेंगे मगर जब भी, जहां भी, जिस युग में भी बोलेंगे, झूठ ही बोलेंगे!


जब तक देश में एक भी मुसलमान है, हम झूठ बोलेंगे। जब तक इस देश में एक भी सच जिंदा है, हम झूठ बोलेंगे। जब तक महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष बोस का नाम है, झूठ बोलेंगे। संविधान की शपथ लेकर भी हम झूठ ही बोलेंगे। भारत माता की जयकार करते हुए भी हम झूठ ही बोलेंगे। तिरंगा हाथ में लेकर भी हम झूठ ही बोलेंगे। राम का नाम लेकर झूठ पहले भी खूब बोला है, आगे भी बोलेंगे। फ्राड बिहार में किया है और फ्राड आगे भी करते रहेंगे!

हम 1947 के बाद के स्वतंत्रता सेनानी हैं, इसलिए झूठ बोलेंगे। झूठ हम हजारों और लाखों मुंह से बोलेंगे। सैकड़ों टीवी चैनलों से बोलेंगे। सोशल मीडिया-आईटी सेल के माध्यम से झूठ के परनाले बहाएंगे। झूठ असंसदीय शब्द है, इसलिए संसद में हम झूठ नहीं, असत्य बोलेंगे। राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' को हम 'घुसपैठिया बचाओ यात्रा' बताएंगे। झूठ का डंका पूरे विश्व में बजाएंगे। हिटलर और गोयबल्स की आत्मा को जगाएंगे।

घुसपैठियों के नाम पर हम चार साल पहले भी असम में झूठ बोल चुके हैं। वहां हमारा झूठ जीता। अब भी वहां हम झूठ को विजय दिलाएंगे। सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय झूठ है- 'विकास'। बिहार में 'विकास' जारी रहेगा, फिर हम वहां से उसे उठाकर असम ले जाएंगे। बिहार को नंबर वन बनाया है, फिर असम को नंबर वन बनाएंगे। इस तरह हर राज्य को नंबर बनाते हुए खुद को नंबर वन बनाते जाएंगे। नंबर टू, थ्री,फोर के लिए हमारे एजेंडा में जगह नहीं है।

हमने पश्चिम बंगाल में भी झूठ बोला था मगर वहां पिट गया था। फिर अगले साल मौका आ रहा है, फिर झूठ बोलेंगे। इस बार झिंगुर की तरह डट कर बोलेंगे! हमने झारखंड में भी यही झूठ बोला था मगर वहांं नहीं चला तो क्या हुआ दिल्ली में तो चल गया, वहां तो हमने सरकार बना ली! सच भी हर बार कहां जीत पाता है तो झूठ हार गया तो क्या गजब हो गया!


इसलिए 'झूठ के प्रयोग' हम जारी रखेंगे। हम झूठ का साथ मरने तक निभाएंगे। काली टोपी की कसम, हम झूठ बोलेंगे। खाकी की निक्कर की सौगंध, हम झूठ बोलेंगे। डंडे की शपथ, हम झूठ ही झूठ बोलेंगे। नागपुर में हमारे मुख्यालय की सौगंध, हम झूठ बोलेंगे। ऐसा-वैसा नहीं हर बार पहले से बड़ा और नया झूठ बोलेंगे। झूठ ने हमें सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया है। हम न यह शीर्ष छोड़ेंगे, न झूठ छोड़ेंगे। हमने झूठ के साथ सात फेरे लगाए हैं, हम इसके साथ जिंदगीभर के 'पवित्र बंधन' में बंधे हुए हैं, हम इसका साथ नहीं छोड़ेंगे। मरने पर 'झूठ की समृद्ध विरासत' देश के लिए छोड़ जाएंगे। हमारे बाल-बच्चे इसके दम पर मौज करेंगे!

हम आजादी की लड़ाई के बारे में झूठ बोलेंगे। हम मुगलों के बारे में झूठ बोलेंगे। हम छुपकर गांधी जी के बारे में भी झूठ बोलेंगे। हम नेहरू के बारे में सीना फुलाकर झूठ बोलेंगे। हम अंबेडकर के बारे में भी झूठ बोलेंगे। हमारे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक सभी दिशाओं में झूठ बोलेंगे। सुबह, दोपहर, शाम झूठ बोलेंगे। हम 'मन की बात' में झूठ बोलेंगे और फिर समूह में रामकथा की तरह उसका श्रवण कर उसका विडियो वायरल करेंगे। हम राष्ट्र के नाम संदेश में झूठ बोलेंगे। हमने लाल किले से हमेशा सफेद झूठ बोला है और आगे भी बोलेंगे।लाल पर सफेद खूब फबता है न!

झूठ से सारे देश के वातावरण को प्रदूषित कर देंगे। हम झूठ को सच के साये से दूर रखेंगे। झूठ का पीछा हम सच के जिंदा रहने तक नहीं छोड़ेंगे। ज्ञान-विज्ञान की किताबों में हम झूठ हगेंगे, झूठ मूतेंगे। झूठ का ही कुल्ला करेंगे। हम स्कूलों-कालेजों को दुर्गंध से भर देंगे और दुर्गंध का नाम सुगंध कर देंगे। हम किसी के धड़ को किसी और के सिर से जोड़ेंगे और उसका रिश्ता धर्म से जोड़ देंगे। हम झूठ को सनातनी आदत बना देंगे। हम झूठ की कार्बन-डाई-ऑक्साइड से गरीबों को मार देंगे। मुसलमानों को फना कर देंगे। दलितों को उनकी 'असली जगह' फिर से बता देंगे। झूठ की अनश्वरता में हमारा विश्वास अटल है। हम सत्य की ऐसी-तैसी न कर दें तो फिर कहना कि हम झूठ की असली औलाद नहीं! हम झूठ बोलेंगे, केसरिया को तिरंगे के ऊपर बुलंद रखेंगे!