विष्णु नागर का व्यंग्यः मोदी सरकार ने छेड़ा नया भारत छोड़ो आंदोलन- देश में खुशहाली के लिए गरीबों भारत छोड़ो!

जब यहां कोई भूखा-बीमार नहीं बचेगा, फटे-मैले कपड़ों में नहीं रहेगा, झुग्गियां नहीं रहेंगी तो इस देश की दुनिया में कीर्ति तेजी से बढ़ेगी। तो आओ, हमारे भारत को संपन्न-सुखी बनाने के लिए बलिदान की, उत्सर्ग की भावना अपने अंदर फिर से जागृत करो और देश छोड़ दो!

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

मित्रों इतना विकास हुआ, फिर भी लगातार आपको भड़काया जा रहा है कि आपको बर्बाद किया जा रहा है। दाल-रोटी खाने लायक नहीं छोड़ा जा रहा है। इस तरह पूरी दुनिया में हमें बदनाम करने का 'षड़यंत्र' हो रहा है। मैंने इसका साहस और संकल्प से सामना किया है मगर 'षड़यंत्रकारी' सफल हो रहे हैं। अतः मुझे भारी हृदय से आपको इस देश से विदा देने का निर्णय लेना पड़ा है। मैं आपको और हमारे इस देश को सुखी देखना चाहता हूं। अतः आप सब इस देश का मोह त्यागें और विदेश गमन करें!

आपका मार्ग प्रशस्त करने के लिए 18-18 घंटे काम करके मैंने आर्थिक स्थिति को ऐतिहासिक रूप से खराब किया है। महंगाई को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। इस प्रकार इस देश को गरीबों के रहने योग्य नहीं रखा है। अब यह देश आपका नहीं, हम खातेपीते लोगों का है। हमारी समझ में आ चुका है कि गरीबी हट नहीं सकती, गरीब हट सकते हैं। आइए आप जहां जाना चाहें, वहां जाने की स्वतंत्रता का उपभोग करें। पूरी दुनिया अब आपकी है। हम आपको पाकिस्तान जाने को नहीं कहेंगे। पाकिस्तान देशद्रोहियों के लिए रिजर्व है। आप बांग्लादेश, म्यांमार, रवांडा और अगर यूरोपीय देश और कनाडा, अमेरिका भी बुलाए तो जाइए। न बुलाए तो भी जाइए!


आपके पूर्वज गिरमिटिया मजदूर बन कर सैकड़ों साल पहले यहां से गए थे। आज उनकी संतानें वहां राज कर रही हैं। कुछ प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति तक बने हैं। आपकी आगामी पीढ़ियों के लिए भी हमारी यही शुभकामनाएं हैं। हम यहां अपना वर्तमान बनाएं, वहां आप अपना भविष्य बनाओ। आप हम पर और हम आप पर गर्व करें। और वहां भविष्य न भी बने, वहां घुसने से पहले सैनिक गोली मार दें तो खा लो। यहां गोली खाने से अच्छा है, वहां खाना। यह देश तुम्हारा नहीं तो वह भी नहीं। एक ही बात है!

जब यहां कोई भूखा-बीमार नहीं बचेगा, फटे-मैले कपड़ों में नहीं रहेगा, झुग्गियां नहीं रहेंगी तो इस देश की दुनिया में कीर्ति तेजी से बढ़ेगी। तो आओ, हमारे भारत को संपन्न-सुखी बनाने के लिए बलिदान की, उत्सर्ग की भावना अपने अंदर फिर से जागृत करो। आपके चले जाने से हमें निश्चय ही बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। उनसे निबटने को नोटबंदी और जीएसटी टाइप कई योजनाएं, कई षड़यंत्र मेरे दिमाग में हैं!

आशा है, आप सब समय रहते यहां से ससम्मान विदा लेंगे। हमें किसी किस्म की जबर्दस्ती नहीं करना पड़ेगी। जरूरत पड़ने पर सरकार-प्रशासन अपना काम करेगा। इस साल 30 दिसंबर तक भारत से गरीबी का यह कचरा साफ हो जाना चाहिए, ताकि नया साल देश के हम संपन्न नागरिक खुशी-खुशी मना सकें। भारत फिर से सोने की चिड़िया बने। इस सोने की चिड़िया के पंख नोच कर हम अपने पास रख लेंगे, ताकि यह उड़ कर किसी और की न हो जाए,अंडे-बच्चे सब हमें दे। हम उन्हें बेच खाएं!

मेरा नया नारा है- 'गरीबो भारत में नहीं, हमारे दिलों में रहो '। यह मत सोचना कि कोई वकील, कोई अदालत, कोई संस्था, कोई आयोग, कोई मीडिया, देश या विदेश में बैठा तुम्हारा कोई खैरख्वाह या दुनिया की कोई ताकत तुम्हारी मदद कर सकेगी। चुपचाप देश छोड़ कर अपनी देशभक्ति का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करो। इसी में तुम्हारा भला है। जय भारत, जय केसरिया!

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