PM ने ‘Howdy Modi’ में कहा- भारत में ‘सब अच्छा है, सब चंगा है’, लेकिन ये घटनाएं मोदी के झूठ से उठाती हैं पर्दा!

पीएम नरेंद्र मोदी जिस दिन ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में यह राग अलाप रहे थे कि भारत में सब कुछ अच्छा है। उसी दिन झारखंड के खूंटी जिले तीन लोगों की गोकशी के आरोप में भीड़ ने बेरहमी से पिटाई की थी। इस दौरान पिटाई से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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सुनील कुमार

22 अगस्त, 2019 को भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका में 8 भाषाओं में इस वक्तव्य को दोहराते हैं कि ‘भारत में सब अच्छा है, सब चंगा है’। प्रधानमंत्री जिस दिन हउडी, हउडी कर रहे थे उसी दिन झारखंड के खूंटी जिले में प्रधानमंत्री के सहगोत्र संगठनों के लोगों द्वारा पीट-पीटकर एक विकलांग व्यक्ति की जान ले ली गई और दो लोगों को अधमरा कर दिया गया। 22 अगस्त को ही प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में एक व्यक्ति को चोरी के आरोप में पीट-पीटकर मारा डाला गया। 21 अगस्त को राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में मंजू गोयल (44 साल) को चोरी के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला गया। अगस्त महीने में ही दिल्ली और उसके आस-पास में बच्चा चोरी के आरोप में दर्जनों लोगों को पीटा गया, जिसमें तीन लोगों की जानें चली गईं। अगस्त महीने में दिल्ली के अंदर कई लोगों ने मेट्रो ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। 25 अगस्त को मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के भावखेड़ी गांव में 12 वर्षीय रोशनी और 10 वर्षीय अविनाश को इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वह सड़क पर शौचालय कर रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री की नजर में भारत में ‘सब अच्छा और चंगा’ है।

22 अगस्त को झारखंड के खूंटी जिले के कर्रा थाने के अंतर्गत सुवारी जलटंडा गांव में तीन लोगों की गोकशी के आरोप में पकड़ कर पिटाई कर दी गई, जिसमें लापुंग गोपालपुर गांव के केलेम बरला (34) की मौत हो गई। केलेम बरला विकलांग थे और अपने बहन के ससुराल सुवारी जलटंडा मिलने आए हुए थे। फिलिप होरो स्नान करने गए थे, जहां पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने फागू कच्छप के साथ पकड़ कर पिटाई कर दी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर तीनों युवकों को अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रांची में रिम्स के लिए रेफर कर दिया गया, जहां पर केलेम की मौत हो गई। पुलिस ने पांच-छह लोगों को पूछताछ के लिए थाने लाई थी, लेकिन बजरंग दल के उपद्रवी थाने पहुंच गए, काफी मशक्कत के बाद पुलिस उन्हें छुड़ा पाई। झारखंड में यह कोई इकलौती घटना नहीं है। झारखंड में इससे पहले गोकशी, बच्चा चोरी और डायन के नाम पर हजारों हत्याएं हो चुकी हैं। पुलिस द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, डायन के नाम पर साल 1990 से 2000 तक 522 और साल 2001 से 2019 तक 1800 महिलाओं की हत्याएं की जा चुकी हैं। लेकिन भारत में सब कुछ ठीक और चंगा है।


22 अगस्त को जो खूंटी पुलिस मॉब लिचिंग रोकने में असमर्थ रहती है, वही खूंटी पुलिस 22 अगस्त की शाम में एसपी आशुतोष शेखर के निर्देश पर रांची के सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के घरों पर जा कर पूछताछ कर रही थी। उधर मॉब लिचिंग के आरोपियों को छुड़ाने के लिए उपद्रवी थाने घेरे हुए थे, लेकिन भारत में सब कुछ ठीक-ठाक है। अपराधी खुलेआम घूमें और पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता जेल में रहें, फिर भी सब चंगा है।

18 मार्च, 2016 को लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र के झाबर गांव में पशु व्यापारी मजलूम अंसरी और 12 साल के इम्तियाज खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और लोगों में भय पैदा करने के लिए उनके लाश को पेड़ पर लटका दिया गया। 18 जून, 2019 को सरायकेला के धातकीडीह गांव में 24 साल के तबरेज अंसारी को खंभे से बांधकर पीटा गया और जय श्री राम, जय हनुमान के नारे लगवाए गए। पिटाई के 4 दिन बाद तबरेज अंसारी की मौत हो गई, जिसको बाद में झारखंड पुलिस हार्ट अटैक का मामला बताकर दोषियों पर से धारा 302 को हटा लिया, जो काफी चर्चित रहा। काफी आलोचनाओं के बाद झारखंड पुलिस को लगा कि मौत हार्ट अटैक से नहीं पिटाई से हुई थी तो वह धारा 302 फिर से लगाने की बात कह रही है। तबरेज अंसारी की मौत का मामला जब राज्यसभा में उठा और झारखंड में बढ़ते मॉब लिचिंग पर चिंता जाहिर की गई तो प्रधानमंत्री मोदी ने 26 जून को राज्यसभा में व्यथित होकर कहा, ‘‘सदन में कहा गया कि झारखंड मॉब लिचिंग का अड्डा बन गया है। माननीय सभापति जी, युवक की हत्या का दुख यहां सबको है, मुझे भी है और होना भी चाहिए। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा भी मिलनी चाहिए। लेकिन, क्या एक झारखंड राज्य को दोषी बता देना शोभा देता है?’’ जिस राज्य में हर दो से तीन दिन पर पीट-पीटकर एक आदमी को मार दिया जाता है उस राज्य को क्या कहा जाएगा?


प्रधानमंत्री जी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात करते हैं, लेकिन उन्हीं के मंत्री जयंत सिन्हा मॉब लिचिंग के मामले में जमानत मिलने पर उन ‘दोषियों’ को जाकर फूल माला पहनाकर स्वागत करते हैं। वे यह भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने इनकी आर्थिक मद्द की थी। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के सांसद निशिकांत दूबे ने मॉब लिचिंग की एक घटना के अभियुक्तों को आर्थिक मदद देने की सार्वजनिक घोषणा की थी और वे तीसरी बार लोकसभा पहुंच चुके हैं। यह सब घटनाएं सार्वजनिक होने के बाद भी प्रधानमंत्री चुप रहते हैं, अपने सांसदों और मंत्रियों की जवाबदेही तय नहीं कर पाते हैं। दिल्ली के लाल किले से अपने पहले सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘बहुत लड़ लिए, कट लिए, मर लिए, इसको 10 साल तक के लिए रोक दें।” लेकिन यह रुकने की बजाय बढ़ता गया और लोग आए दिन सड़क पर गली-मोहल्ले, कस्बों में मार दिए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने 6 अगस्त, 2016 को कहा था कि 80 प्रतिशत गोरक्षक फर्जी हैं, हमने उनका डोजियर तैयार करने के लिए कहा है। उनके दूसरे कार्यकाल की शुरूआत हो गई है। घोषणा किए हुए तीन साल गुजर गए, लेकिन प्रधानमंत्री का डोजियर तैयार नहीं हुआ और ना ही गोहत्या के नाम पर लोगों की हत्याएं बंद हुईं, क्योंकि भारत में सब कुछ ठीक-ठाक है। 2018 में भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉब लिचिंग पर कानून लाने की बात कही थी, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई। बलात्कार के आरोपी चिन्मायनन्द काफी हो-हल्ला के बाद गिरफ्तार होकर अस्पताल में हैं तो दूसरी तरफ कोर्ट में बयान दर्ज कराने वाली पीड़िता फिरौती के आरोप में जेल में है, क्योंकि यह ‘नया भारत’ है।

“मुजरिम वो नहीं जो जेल में है,

मुजरिम वो भी नहीं जो फरार है

असली मुजरिम तो तख्तो-ताज पर सवार है।”

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