विष्णु नागर का व्यंग्यः ‘शाह’ की दिल छूने वाली बात, विपक्ष से बीजेपी में आने वालों का अब ‘उचित मूल्यांकन’ होगा!

अमित शाह जी ने कहा है कि अब से जो भी विपक्ष से बीजेपी में आएगा, उसका ‘उचित मूल्यांकन’ होगा। अगर आपके दिल को इस बात ने भी नहींं छुआ है तो आप समझिये कि आप भारत देश के उन बिरले लोगों में हैं, जो दिल के बगैर जी रहे हैं और यह एक दैवीय चमत्कार से कम नहीं है।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

अमित शाह ने ऐसी बात कह दी, जिसने खट से मेरे दिल को छू लिया। जिसकी बात ने आज तक दिमाग को एक बार भी नहीं छुआ, उसकी बात ने दिल को- वह भी खट से- कैसे छू लिया, मैं स्वयं चकित हूं। ऐसा जीवन में पहली बार हुआ है, हालांकि यह नहीं कह सकता कि ऐसा अंतिम बार होगा। अभी तो पांच साल पड़े हैं, क्या पता रोज ऐसा हो कि शाह जी मुंह खोलते ही ऐसी बात कहने लगें कि खट या फट से दिल को टच कर जाए! इतना टचाटच करे कि दिल में घाव हो जाए!

तो दिल को छू या टच कर जाने वाली बात यह है... मगर यह बात बताने से पहले मैं यह जानना चाहता हूं कि आपके पास दिल है या नहीं है? अगर शाह जी की बात आपको न छुए तो समझ लीजिए कि आपके पास दिल नहीं है और छू जाए तो समझिए कि दिल है और इतना ठीकठाक है कि स्टेंट लगाने तक की दूर-दूर तक जरूरत नहीं। मोदी जी-शाह जी जब तक हैं, तब तक तो हृदय परीक्षण पर फालतू खर्च करने की आवश्यकता भी नहीं। भई लाखों रोजगार में लगे लोग जब बेरोजगार हो रहे हैं तो कुछ हजार हृदयरोग विशेषज्ञ भी बेकार हो जाएं तो क्या फर्क पड़ता है? जहां सत्यानाश, वहां सवा सत्यानाश सही!

इससे कम से कम यह तो सिद्ध हो जाएगा कि इनके राज में दिमाग ठीक रहे न रहे, दिल तो साला ठीक रहता है! दिल और दिमाग का संबंध इस कद्र टूट जाता है। बहुत बड़ी उपलब्धि है यह इनकी।विनम्रतावश ये इसका उल्लेख नहीं करते, यह इनकी महानता है! विनम्रता का महत्व जितना ये समझते हैं, आज तक दुनिया में कोई नहीं समझ सका। विनम्रता की सारी मूर्तियां बीजेपी में इकट्ठा हो गई हैं, यह देश का परम सौभाग्य है।

तो मूल बात यह है कि अमित शाह जी ने कहा है कि अब से जो भी विपक्ष से बीजेपी में आएगा, उसका 'उचित मूल्यांकन' होगा। अगर आपके दिल को इस बात ने भी नहींं छुआ है तो आप समझिये कि आप भारत देश के उन बिरले लोगों में हैं, जो दिल के बगैर जी रहे हैं और यह एक दैवीय चमत्कार से कम नहीं है। वैसे कुछ 'देशद्रोही' किस्म के तत्व कहते हैं कि इस समय वही ठीक से जी सकता है, जिसका दिल और दिमाग दोनों गिरवी रखे हों। मैं आजकल 'देशद्रोहियों' की बात पर कान तो क्या आंख, नाक भी नहीं देता! मेरे दिल को शाह जी, अब टच जो करने लग गए हैं!


हां तो जनाब अगर आप विपक्ष से बीजेपी में जाने की अब जाकर सोच रहे हों तो ध्यान रखिए, अब तक तो मिस्ड काल से भी काम चल जाता था, लेकिन अब आपका 'उचित मूल्यांकन' होगा। वैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ वगैरह के उन कांग्रेसी विधायकों को इससे शत-प्रतिशत छूट प्राप्त होगी, जिनके दिल में कभी-कभी बीजेपी में जाकर मंत्री बनने का खयाल आता होगा। उनका उचित क्या, अनुचित मूल्यांकन भी नहीं होगा। उनका बीजेपी में आना ही उनका उचित मूल्यांकन है। इनका एक और मूल्यांकन इस आधार पर होगा कि किसको धन देने के साथ मंत्री पद भी देना जरूरी होगा और कौन केवल नोट की गड्डियां लेकर खुश हो जाएगा !

दरअसल मुझे कहीं जाना भी होता है तो सब्जी लेने या राशन खरीदने बाजार या किसी काम से किसी शहर या गांव जाना होता है। अगर किसी पार्टी में भी जाना होता है तो वह खाने-पीने की पार्टी होती है, राजनीतिक पार्टी नहीं, मगर मैं दूसरों की सुविधा के लिए सुबह से विचार कर रहा हूं कि बीजेपी प्रवेश देने से पहले विपक्षी दलों से आए नेताओं आदि का किस आधार पर 'उचित मूल्यांकन' करेगी!

मान लो, वह नेता बीजेपी में आगमन से पहले देशद्रोही था या नहीं था, यह मूल्यांकन का विषय नहीं हो सकता। वह इधर आते ही ऑटोमेटिकली देशभक्त हो जाएगा। उसने सेक्युलरिस्ट होने के नाते जो वक्तव्य पहले दिए थे, आंदोलन किए थे, बीजेपी को घनघोर सांप्रदायिक, मुस्लिम विरोधी बताया था, वे सब 'अपराध' माफ कर दिए जाएंगे। अगर वह भ्रष्ट है, बलात्कारी है, ऐसे सब अपराध भी क्षमा योग्य हैं। इस संबंध में उदारता बरतते हुए कि 'छिमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात' को याद किया जाएगा।

विपक्षी दल से आनेवाले का मूल्यांकन उसकी इस योग्यता के आधार पर होगा कि विपक्ष में होते हुए भी कुलदीप सिंह सेंगर पैमाने पर वह कितना खरा उतर सकता है। अगर कोई साध्वी नहीं है तो भी उसमें प्राची ठाकुर होने या हो सकने जितना 'साध्वीपन' है या नहीं है। कहीं आनेवाला नेता किसी दुर्लभतम संयोग से पढ़ा-लिखा तो नहीं है। है तो मोदी-शाह के लिए वह कभी भी शर्मिंदगी पैदा कर सकता है। उसका हत्या, बलात्कार, दंगे, दबंगई, बड़बोलेपन और नेतृत्व भक्ति का रिकार्ड कितना 'उज्जवल' है? अगर वह तड़ीपार हुआ है तो उसकी अवधि क्या रही? बीजेपी में स्थापित उच्चतम पैमाने से अधिक रही या कम? वह विचारों को आसानी से 180 डिग्री तक पलट सकता है या नहीं?

बाकी मूल्यांकन की पद्धति क्या होगी, इसका ज्ञान आपको होगा और आपकी परीक्षा लेनेवाला मैं कौन? मैं तो देशभक्त, मोदीभक्त भी नहीं, गोदी चैनल का एंकर-टैंकर भी नहीं!

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