पैगाम-ए-मोहब्बत से जुड़ते भारत में पस्त होती नफरत और बढ़ती सत्ता व्यवस्था की घबराहट

राहुल कोई महात्मा गांधी या नेहरू नहीं हैं, लेकिन उनके इरादे वही हैं जो हमारे बड़ों के थे। इस समय भारत में दिलों और समाज का बंटवारा कर दिया या है जो देश को कमजोर कर रहा है। इसे रोकने के लिए दिल और समाज को जोड़ने की जरूरत है।

फोटो : सोशल मीडिया
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ज़फ़र आग़ा

 ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं, उसने पत्थर दिलों को भी पिघला दिया। इस तस्वीर को देखकर राहुल गांधी के सबसे बड़े आलोचक और दुश्मन भी पिघल गए। इस तस्वीर की खूबी यह नहीं है कि यह राहुल के अपनी मां के प्रति प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह भी है कि यह तस्वीर राहुल गांधी के मासूम चरित्र को उजागर करती है। पाखंडों से भरे राजनीति के क्षेत्र में राहुल जैसे भोले और मासूम के प्रति लोगों की सहानुभूति होना स्वाभाविक है। जाहिर है इससे बीजेपी में हड़कंप मच गया होगा, क्योंकि एक ऐसी पार्टी के लिए जो राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए हर दिन हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है, एक तस्वीर उसके सारे प्रोपेगैंडा को नाकाम कर दे तो उसके लिए यह परेशान करने वाली बात है। लेकिन बात सिर्फ इस तस्वीर की नहीं है। बीजेपी के लिए और भी परेशान करने वाली बात यह है कि जैसे-जैसे 'भारत जोड़ो यात्रा' आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे और अधिक लोग राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होते जा रहे हैं।

पैगाम-ए-मोहब्बत से जुड़ते भारत में पस्त होती नफरत और बढ़ती सत्ता व्यवस्था की घबराहट

राहुल गांधी का संदेश बस प्रेम और सार्वजनिक सद्भाव है। अगर यह संदेश आम भारतीयों के दिलों को छू जाता है, तो समझो बीजेपी की छुट्टी, क्योंकि राहुल के मुकाबले नरेंद्र मोदी का संदेश नफरतों का होता है। नरेंद्र मोदी मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाकर मतदाताओं के दिलों में बेवजह डर पैदा करते हैं। डर के इस माहौल में वह अपने छप्पन इंच की छाती के साथ 'हिंदू रक्षक' बनकर चुनाव जीत जाते हैं। 2014 से यही राजनीति देश में सिर्फ चल ही नहीं रही है, बल्कि पूरी तरह सफल भी है।

इस माहौल में शख्स देश भर में घूम रहा है और लोगों को संदेश दे रहा है कि डरो मत, तुम्हारा दुश्मन कोई राष्ट्र या पंथ नहीं है। आपका असली दुश्मन आपकी भूख, आपकी बेरोजगारी और आपकी लाचारी है। इस भूख और बेरोजगारी का न कोई धर्म होता है न कोई जाति। भूख और बेरोजगारी न हिंदू है न मुसलमान। यही वह समस्या है जो आज हर भारतीय को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।

पैगाम-ए-मोहब्बत से जुड़ते भारत में पस्त होती नफरत और बढ़ती सत्ता व्यवस्था की घबराहट

इसलिए समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत यह है कि आप हिंदू हों या मुसलमान, चाहे आप ऊंची जाति के हों या निचली जाति के हों, आप सभी को एक-दूसरे से जुड़ने की जरूरत है। अगर आप आपसी नफरत और डर को तोड़कर एक साथ जुड़ जाएंगे तो न केवल आप बल्कि भारत भी मजबूत होगा। इसलिए राहुल गांधी सड़कों पर हजारों मील चल रहे हैं और कह रहे हैं कि मेरा यह संदेश हर पुरुष, हर महिला, हर युवा, हर अमीर और गरीब, हर धर्म और हर जाति के लिए प्यार है। इसलिए आप सभी इस 'भारत जोड़ी यात्रा' में मेरे साथी बनें, और फिर देखें कि आप अपने आप को कितना मजबूत महसूस करते हैं और आपके परस्पर जुड़ाव से भारत कितना मजबूत होता है। यही राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का सार है।

पैगाम-ए-मोहब्बत से जुड़ते भारत में पस्त होती नफरत और बढ़ती सत्ता व्यवस्था की घबराहट

बीजेपी की दिक्कत यह है कि राहुल गांधी का प्यार का संदेश लोगों के दिलों को छू रहा है.।अगर ऐसा नहीं होता, तो आतंकित हिंदुत्ववादी ताकतों ने गरबा में दंगों और कर्नाटक में मस्जिदों और मदरसों में पूजा करने की कोशिशें नहीं की होतीं। ये सभी घटनाएं साबित करती हैं कि हिंदुत्व परिवार में बेचैनी है। गुजरात और कर्नाटक में जल्द ही विधानसभा चुनाव हैं। अगर इन प्रांतों में नफरत के धुंधलके को तोड़ दिया गया तो चुनाव हाथ से निकल जाएगा। इसी दहशत में गरबा में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और मदरसे में पूजा करने जैसी घटनाएं हो रही हैं। लेकिन ये ऐसे संकेत हैं कि जैसे-जैसे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आगे बढ़ेगी और राहुल गांधी के प्रेम का संदेश जितनी तेजी से फैलेगा, उसी तेजी से भारत को तोड़ने वाली हरकतें भी तेज हो सकती हैं।

पैगाम-ए-मोहब्बत से जुड़ते भारत में पस्त होती नफरत और बढ़ती सत्ता व्यवस्था की घबराहट

इसलिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब केवल कांग्रेस पार्टी का कार्यक्रम नहीं रह गया है, बल्कि यह यात्रा हर उस भारतीय की यात्रा बन गई है जो भारत को एक करना चाहता है, जो अपनी समस्याओं का समाधान खुद करना चाहता है। इस यात्रा में दिन-ब-दिन बढ़ती भीड़ इस बात का संकेत है कि राहुल के प्रेम का संदेश फैल रहा है और लोग इस यात्रा से जुड़ रहे हैं। जाहिर है यह बीजेपी की 'भारत तोड़ो यात्रा' का बेहद कारगर जवाब साबित हो रहा है। इसलिए राहुल गांधी की यह यात्रा जहां भी पहुंच रही है, वहां के अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जो बीजेपी विरोधी हैं, इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।

राहुल की इस यात्रा को न केवल राजनेता बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी सफल बना रहे हैं। देश बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है। 1947 में देश का बंटवारा हुआ और नफरत की बाढ़ आ गई। उस समय गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू ने इस बाढ़ को रोक दिया था। राहुल कोई महात्मा गांधी या नेहरू नहीं हैं, लेकिन उनके इरादे वही हैं जो हमारे बड़ों के थे। इस समय भारत में दिलों और समाज का बंटवारा कर दिया या है जो देश को कमजोर कर रहा है। इसे रोकने के लिए दिल और समाज को जोड़ने की जरूरत है। राहुल गांधी ने भी इसी संदेश के साथ भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है।

भारत को इस समय यही चाहिए। अगर राहुल गांधी अपनी यात्रा में सफल होते हैं, तो समझ लें कि हर भारतीय नहीं बल्कि पूरा भारत सफल और मजबूत होगा।

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