विष्णु नागर का व्यंग्यः चौकीदार प्रथा बहुत पुरानी है, एकाध चौकीदार का चोर निकलना स्वाभाविक है !

चौकीदार प्रथा इतनी पुरानी है तो क्या यह स्वाभाविक नहीं कि एकाध चौकीदार चोर भी निकल आए! जो बना ही इसलिए चौकीदार है कि दूसरों को कमीशन बेसिस पर अपनी चौकीदारी में चोरी करने दे! वैसे हमारे मोदी जी की महानता सर्वसिद्ध है!

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

हमारा देश प्राचीन भी है और महान भी। हम हर मामले में प्राचीन हैं, इसलिए हर मामले में महान भी हैं। हम प्राचीन हैं, इसलिए हम अपनी मूर्खता में, अपनी जाहिलियत में, अपने ओछेपन-टुच्चई में भी 'महान' हैं, जिसका सार्वजनिक प्रदर्शन 2014 से चौकीदार जी की विशेष कृपा से आजकल चौबीसों घंटे और सातों दिन उपलब्ध है। इसके लिए भारत की जनता उनकी युगों-युगों तक ऋणी रहेगी। इस महान और ऐतिहासिक अवसर का लाभ हम जैसे आंखों से ही ले सकते हैंं क्योंकि इस प्रदर्शन में शामिल होने के योग्य हम कभी नहीं रहे। अपनी यह अयोग्यता हम स्वीकार करते हैं और इसके लिए आपसे और पूरे संघ परिवार से माफी मांगते हैं।

वैसे मोदी जी की महानता सर्वसिद्ध है फिर भी वह हर चूहे, हर केंचुए तक से ये कहकर मनवाना चाहते हैं कि ‘साले मान नहीं तो तेरा गला दबा देंगे’। आपको कोई महान मानने से चूक जाए, उपेक्षा कर दे तो आप रास्ते में पकड़-पकड़कर खुद कहने लग जाते हैंं कि गधे तुम्हें इतना भी मालूम नहीं कि मैं महान हूं! आप रोज 24 घंटे में 18 घंटे एक ही बात कहते-मनवाते रहते हैं कि देश नहीं, आप महान हैं। फिर भी न मानो तो पिटवाकर-मुर्गा बनवाकर और यहां तक कि भुर्ता बनवाकर आप मनवाते हो।

हमारे चौकीदार महान को इससे भी संतोष नहीं होता तो वह गली-गली, मोहल्ले मोहल्ले, ऑफिस ऑफिस, सब जगह केंद्र सरकार के पैसे से अपना विज्ञापन करवाकर कहलवाते हैं कि वह महान हैं। उससे भी चैन नहीं मिलता तो वह अपनी पार्टी की राज्य सरकारों से कहलवाते हैं कि आप भी कहो-कहलवाओ-विज्ञापन छपवाओ-भजन करवाओ-आरती उतरवाओ कि चौकीदार जी महान हैं।

इसलिए चौकीदार जी आजकल टीवी चैनलों पर भी महान हैं, अखबारों में भी महान हैं, सोशल मीडिया पर भी महान हैं। जहां देखो, यही देखने-सुनने-पढ़ने को मिलता है कि चौकीदार जी महान हैंं। आसमान की तरफ देखो तो आजकल आसमान नहीं दीखता, वहां चौकीदार जी की महानता का आसमान से भी बड़ा विज्ञापन दीखता है। पश्चिम, पूरब,उत्तर, दक्षिण जिस तरफ देखो तो एक ही पोस्टर, एक ही भाषण, एक ही टीवी चैनल देखने को मिलता है कि चौकीदार जी महान हैं। चांद की तरफ देखो तो वहां भी यही लिखा मिलता है कि चौकीदार जी महान हैं और सूरज की तरफ देखने की हिम्मत आजकल इसीलिए नहींं हो पाती कि वहां भी डीएवीपी का विज्ञापन चिपका होगा कि चौकीदार जी महान हैं।

चौकीदार तो वैसे इतने प्राचीन काल से होते आए हैं कि जब एसएचओ और एसपी जैसे पदों का नाम भी किसी ने नहीं सुना था। मगर चौकीदार की ऐसी विकट महिमा इस कलिकाल में आज तक ऐसी नहीं देखी गई, जैसी आज दीख रही है और कल तक दिखेगी। इनकी महान महिमा के आगे आजकल न राम टिक पा रहे हैं, न कृष्ण, न ब्रह्मा, न विष्णु, न महेश। ना हनुमानजी, जिनके चौराहे-चौराहे पर मंदिर बने हैं। बुद्ध, महावीर, गांधी, अंबेडकर तो इनकी महान- महिमा के आगे पानी भरते नजर आते हैं। 10 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास करवाने के बाद तो ये और भी बमबम हैं।अभी इनकी महानता की रथ यात्रा अप्रैल तक चलती रहेगी।

राहुल गांधी कहते हैं कि चौकीदार चोर है। लेकिन देखिए राहुल जी हम तो हैं लेखक, हम तो चोर को भी चौकीदार कहते हैं! हम सुधीर चौधरी जितने ही 'निष्पक्ष' हैं, इसलिए हम तो ऐसा कुछ कहेंगे नहीं और किसी को कहने भी नहीं देंगे मगर आप ये बताइए कि जो चौकीदार प्रथा इतनी पुरानी है तो उसमें क्या यह स्वाभाविक नहीं है कि एकाध चौकीदार चोर भी निकल आए? जो बना ही इसलिए चौकीदार है कि दूसरों को कमीशन बेसिस पर अपनी चौकीदारी में चोरी करने दे! जब बात चौकीदार के हाथ से निकलने लगे तो कहे कि सुनो मैं पहरे पर हूं, तुम भग लो !

वैसे भी जो जितना बड़ा चोर होता है, वह उतना बड़ा सफेदपोश भी होता है और सबसे अधिक चुस्त -दुरुस्त चौकीदार वही रखता है। जैसे अपने राष्ट्रीय चौकीदार हैं। फिर चोरों का चौकीदार, चोरों से चोरी की कला सीख लेता है और चोर से बड़ा चोर बनकर दिखाता है, लेकिन खुद को फिर भी चौकीदार कहलवाता है। एसएचओ, एसपी नहीं और तो और पीएम भी नहीं !

चौकीदार जी! हमने मान लिया कि आप बुद्ध से भी महान हो, गांधीजी से भी महान हो! हिटलर-मुसोलिनी से तो खैर चौकीदार जी आप महान हो ही, जिनसे आपका कंपीटिशन है। कुछ तो मानते हैं और कहते हैं कि आप ट्रंप जी से अधिक महान हो। मगर चौकीदार जी महानता का पीछा अब तो छोड़ो भैया, वह भी थक चुकी है और लोगों को भी आपकी महानता से अब अजीर्ण होने लगा है।लोगों का भी कुछ ख्याल रखो।

वैसे लोग तो आपका खयाल रखेंगे ही, इसके लिए निश्चिंत रहो!

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