विष्णु नागर का व्यंग्यः एक ओर कोरोना, दूसरी तरफ मोदी, दोनों के बीच जीना है तो भजन करो!

हास्यास्पदता की सारी सीमाएं तो 2014 में ही टूट गई थीं। अब तो हास्यास्पदता ही हास्यास्पदता है। मोदी जब बैठे बिठाए हास्य का इतना अच्छा मसाला मुफ्त में दे रहा है तो दोनोंं हाथ पसार कर लेना चाहिए! बाद में ऐसा चांस अगला कोई प्रधानमंत्री नहीं देगा।

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विष्णु नागर

वे मुझसे उम्र में कुछ बड़े हैं, मगर बड़ी बेतकल्लुफी से पेश आते हैं। अक्सर उनसे फोनफानी होती है। उन्होंने अभी एक दिन कहा- 'ऐ सुन, नागर के बच्चे, मैं लिख कर देता हूं, मोदी ही आएगा।' मैंने उनके आशय से अनजान बनते हुए कहा: 'लेकिन कहां से आएगा? अभी तो बेचारा दिल्ली की गर्मी में सड़ रहा है, देश-विदेश में स्वागत-सत्कार, भाषण आदि से वंचित है। अभी तो वह चुनाव प्रचार करने बिहार और बंंगाल भी नहीं गया। उसे कहीं से आना नहीं है, वह तो आया हुआ है।’ अरे तू समझा नहीं ' और फिर उन्होंने वो समझाया, वो समझाया कि मुझे समझना ही पड़ा, करता भी क्या!

उनका मतलब साफ था कि 2024 में भी मोदी ही आएगा। मैंने कहा, 'अभी तो खुद मोदीजी ने इसकी फिक्र करना शुरू नहीं किया है। अभी तो चार साल तक दलदल में फंसी इस गाड़ी को कैसे खींच पाएंगे, यही चिंता उन्हें सता रही होगी और आपको अभी से 2024 की फिक्र है?' उन्होंने कहा, 'अरे मुझे फिक्र क्यों हो, मुझे कोई चुनाव लड़ना है, पीएम बनना है, मगर मैं यह जानता हूं कि आएगा तो मोदी ही। 2014 में आया था। फिर 2019 में भी आया। 2002 से वह गुजरात में नानस्टाप आ रहा था, अब इधर चला आ रहा है। देखना, 2024 में भी वही आएगा।'

मैंने पूछा- 'और 2029 में?' उन्होंने कहा- 'पूछता क्या है, वही आएगा।' 'और 2034 में भी?' ' अरे 2034 मेंं ही नहीं, 2039 में भी वही आएगा और 2044, 2049 और 2054 में भी। उसकी उम्र चाहे एक सौ चार बरस हो जाए या दो सौ चार बरस, मगर आएगा वही!' मैंने कहा, 'इसका मतलब यह है कि 2114 में भी वही आ सकता है!' उनका जवाब था, 'क्यों नहीं, 2114 मेंं ही क्या, इसके बाद भी वही आएगा।’

मैंने कहा, 'दादा आज आप हास्यास्पदता की सारी सीमाएं लांघ रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'ओय सुन, हास्यास्पदता की सीमाएं 2014 में ही टूट गई थीं। अब तो हास्यास्पदता ही हास्यास्पदता है, और है क्या?' लेकिन मैंने कहा- 'दादा, सुनते हैं, फिर भी हास्यास्पदता की एक सीमा होती है।' उन्होंने कहा, 'देख नहीं रहा, एक से एक हास्यास्पद चरित्रों से हमारी यह वसुंधरा हरी-भरी हो रही है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अभी एक हास्यास्पद बिहार-बंंगाल में वर्चुअल रैली करके आया है। लोग जिंदगी और मौत, भूख और बेरोजगारी से दिन-रात जूझ रहे हैं, उसे चुनाव में बाजी मारने की पड़ी है। जो हास्यास्पद नहींं, अहंकारी नहीं, वह मोदी केे काम का नहीं। इसलिए आओ, आज हम-तुम भी हास्यास्पद बन दिखाएं। तू भी इसमें मेरी मदद कर। हम अभी 2114 तक पहुंचे थे न! हमें अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। हां तो 2214 में भी वही आएगा और 2314 में भी।'

मैंंने कहा, 'बस भी करो दादा, मोदीजी तक इस पर हंसेंगे।’ उन्होंने पलटकर कहा, 'हंसना आता है उसे? वह तो सोचेगा कि भक्त मुझे यों ही ईश्वरीय अवतार नहीं मानते। मैं कलयुगी अवतार हूं। जब तक भारत को हिंदू राष्ट्र नहींं बनाऊंगा, तब तक मैं रहूंगा। समझा? और आज मैं मूड मेंं हूंं तो उसकी यह इच्छा शब्दों से पूरी करने देे। रोक मत मुझे। कहने दे कि 2414 में भी वही आएगा।'

मैंने कहा, 'दादा बहुत ही ज्यादा होता जा रहा है!' 'होने दे, आज तो होने दे। कुछ ज्यादा ही होने दे।मोदी और उसके भक्तों के दिल की बात कहने दे। आ, तू मेरी मदद कर। तू इसके आगे मोदी को ले जा। 2414 के बाद क्या आता है, पता है तुझे? नहीं आता? तू हमेशा से गणित में फिसड्डी रहा है। तो लिख ले, 2514 में भी वही आएगा। ले जा, यहां से थोड़ा और आगे ले जा मोदी को। कुछ तो मेरी मदद कर।'

मैंने कहा, 'मैं भक्त नहींं हूं, मंत्री नहीं हूं, संबित पात्रा नहीं हूं।’ उन्होंने कहा- 'अबे बेेेवकूफ, मोदी जब तुझे बैठे बिठाए हास्य का इतना अच्छा मसाला मुफ्त में दे रहा है तो तू दोनोंं हाथ पसार कर इसे लेता क्यों नहींं! बाद में पछताएगा, ऐसा चांस अगला कोई प्रधानमंत्री नहीं देगा। अच्छा चल तू ज्यादा नहीं, उसे 2514 तक ले आ, फिर देख मेरा चमत्कार, मैं उसे 2914 तक ले आऊंंगा। मजे कर यार, हास्यास्पदता के इस युग में जी और खुश रह और मोदी को भी खुश रख।’

वो बोलते चले गए, ‘एक तो कोरोना है, दूसरी तरफ मोदी भी है। इन दोनों के बीच जीना तो है। तो यही तरीका है मेरे प्यारे, यही तरीका है जीने का। तू भी जी, हमें भी जीने दे। कोरोना में जो मर रहे हैं, मोदी सबको कीड़े-भुनगे समझता है, तू भी समझ। मोदी मरने दे रहा है, तू भी आंखें मूंदे रह। पीएम केयर फंड की चिंता छोड़। वर्चुअल रैली में खर्च का हिसाब मत पूछ। जिसको ये गिरफ्तार करेंं, करने दे। जितनी बर्बादी ये करेंं, करने दे। आंसू न बहा, फरियाद न कर। तू तो मेरी तरह भजन कर-आएगा तो मोदी ही!

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