विष्णु नागर का व्यंग्य: सरकार की एक नयाब स्कीम से RSS, गोदी मीडिया के एंकरों, भक्तों आदि को रखा गया है वंचित!
इसके लाभार्थियों का चुनाव सर, पद्म पुरस्कारों की तरह सरकार स्वयं करती है। इसमें पद्म पुरस्कारों के विपरीत किसी की सिफारिश करने-करवाने की आवश्यकता नहीं। बहुत सिंपल स्कीम है सर, बहुत ही आसान। पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।

मे आई कम इन सर?
आइए। बताइए आपकी क्या सेवा की जाए?
सर सेवा करना तो हमारा धर्म है। वो तो ठीक है मगर आप लोगों ने हमारे यहां इतनी सुबह- सुबह आने का कष्ट किया है तो हमारा भी कुछ धर्म बनता है कि हम आपकी चाय -काफी आदि से सेवा करें। नहीं सर हम ड्यूटी पर हैं ।हां एक गिलास पानी पिलवा देंगे तो कृपा होगी।
अरे सुनो, ये साहब लोग आए हैं। इनके लिए चाय -बिस्किट का कुछ प्रबंध हो सकता है क्या? मीठा- नमकीन हो तो वो भी इनकी सेवा में हाजिर करो।
नहीं सर धन्यवाद। प्लेन एंड सिंपल वाटर ओनली।
अच्छा, अब बताइए। आपके इतनी सुबह - सुबह कष्ट करने का कारण?
सर, सरकार की एक बढ़िया स्कीम आई है, शायद आपके संज्ञान में भी हो। उससे आपको लाभान्वित करने के लिए हमें भेजा गया है। इसका नाम है सर- 'प्रधानमंत्री परम विशिष्ट जन लाभ योजना'। इसका लाभ किसी भी दिन, किसी भी समय लोकतंत्र की सेवा करने का दावा करनेवाले किसी भी नेता, पत्रकार, बुद्धिजीवी, कार्यकर्ता, छात्र, अध्यापक आदि-आदि को दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री जी चाहते हैं कि इसका लाभ इन सभी को समय-समय पर मिले बल्कि बार-बार मिले। सत्तर साल में ऐसी योजना पहली बार आई है।
और सर इसकी एक बड़ी विशेषता यह है कि इसके लाभों से सरकार समर्थकों, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों, गोदी मीडिया के एंकरों, भक्तों आदि को वंचित रखा गया है। कितनी बड़ी बात है सर वरना पहले की सरकारें सबसे पहले अपने लोगों को लाभान्वित करती थीं। किसी में इतना साहस नहीं था कि अपने लोगों की बजाय विरोधियों को लाभ पहुंचाने की कोई स्कीम लांच करे। इस कारण आजकल इसकी चर्चा दुनियाभर में है।
इसके लाभार्थियों का चुनाव सर, पद्म पुरस्कारों की तरह सरकार स्वयं करती है। इसमें पद्म पुरस्कारों के विपरीत किसी की सिफारिश करने-करवाने की आवश्यकता नहीं। बहुत सिंपल स्कीम है सर, बहुत ही आसान। और सर,सरकार इस स्कीम का लाभ लेने से कोई मना नहीं कर सकता। यह भी बहुत इंपार्टेंट बात है।
और आप तो जानते हैं सर, हमारा देश 2014 से लोकतंत्र के अलावा मदर आफ डेमोक्रेसी भी हो चुका है और संयोग से भारत का अमृत काल भी इसी समय चल रहा है। तो सर, सरकार इस स्कीम को तेजी से लागू करने के मूड में है। इसके पीछे मूल विचार यह है कि लोकतंत्र के लाभों से केंद्र की सरकार में जो दल शामिल नहीं हैं, एनडीए के जो सहयोगी नहीं हैं , उनके नेता आदि भी वंचित न रहें।किसी न किसी रूप में उन्हें भी कोई न कोई लाभ पहुंचे बल्कि उन्हें ही सबसे अधिक पहुंचे। उन्हें यह महसूस नहीं होना चाहिए कि सारे लाभ एनडीए के दलों के नेता हड़पते जा रहे हैं। और जो भी इस सरकार के विरोध में खड़े हैं, उन्हें अंगूठा दिखाया जा रहा है। भेदभावमूलक ऐसी नीतियों से लोकतंत्र कमजोर होता है। इस योजना का लाभ जितने भी सरकार विरोधी वीवीआईपीज हैं, चाहे वे किसी भी पेशे के हों, नेता हों,पत्रकार वगैरह हों, सबको समान रूप से दिया जा रहा है। लाभार्थी बनाया जा रहा है। सर लार्ज नंबर आफ वीवीआईपीज इसका बेनिफिट उठा चुके हैं। आज जिन वीवीआईपीज को लाभान्वित किया जाना है, उसमें सर आपका नाम सबसे ऊपर है। बधाई स्वीकार करें सर।
बड़ी अच्छी योजना है, वाह। प्रधानमंत्री या गृहमंत्री या दोनों को धन्यवाद दीजिए। कोई डाक्यूमेंट वगैरह प्रोवाइड करने की जरूरत है क्या?
अरे नहीं सर, हमें आदेश है कि वीवीआईपीज को इसके लिए किसी तरह का कोई कष्ट नहीं देना है। यह काम हमें स्वयं कर लेंगे। आपके किसी सहयोग की किसी है जरूरत होगी तो हम अवश्य लेंगे। आज भी लेंगे और आगे भी लेते रहेंगे। ऐसा है सर जब तक हम सर्च करें और इस बीच आप अपने ही घर में बोर न हों, इसलिए यह प्रबंध भी किया गया है कि कुछ सवालों के जवाब हम यहीं करके आपको एंगेज रखें। बाकी सर पारदर्शिता लोकतांत्रिक पद्धति का पालन करते हुए आपको हम अपने ऑफिस ले जाएं और वहां भी पूछें।
आप वहां सवाल -जवाब ही करेंगे या आगे गिरफ्तारी की आदि की योजना भी है।
सर हमें तो इतना आदेश है कि हम आपको साथ लेते आएं। बाकी निर्णय ऊपर के आदेश पर ऊपर के अधिकारी लेंगे। वैसे मेरी पर्सनल राय है सर कि आप अपनी दवा आदि जो रोज लेते हों, वह साथ लेते चलें। कपड़े-ब्रश आदि भी लेते चलें। आसानी रहेगी। बाकी आपके आवास, भोजन आदि की व्यवस्था सरकार एकदम मुफ्त करेगी। चलें सर अब? आइए सर। आराम से। सहारा दूं सर? आप क्षमा करें आगे मैं बैठूंगा सर। आप पीछे कंफर्टेबल होकर बैठें। थैंक्यू सर। हमारा सौभाग्य है कि हमें आपकी सेवा का अवसर मिला। इतनी देर आपका साथ सर, बहुत अच्छा लगा। भगवान ने चाहा तो सर आपकी इस तरह की जितनी भी सेवा हमारे हाथों हो सकेगी, हमारा सौभाग्य होगा। इसके लिए सर आपका आशीर्वाद जरूरी है। और सर हमारी ओर से कोई ग़लती हुई हो तो क्षमा करें।
वो कहते हैं न सर, छिमा बड़न को चाहिए....।
और सर चलते -चलते एक बात अपने मन की कह दूं। इस सरकार ने आप जैसे पढ़े-लिखों की सेवा करने का जितना अवसर हमें दिया है, आज तक किसी सरकार ने नहीं दिया। अच्छा लगता है सर, आप जैसे सज्जनों की इस तरह सेवा करके। पिछले जन्म में हमने कुछ पुण्य किए होंगे, इसलिए ऐसा अद्भुत अवसर मिला है।
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