विष्णु नागर का व्यंग्यः हमारे पास कोरोना का रामबाण इलाज, पूरे देश में यज्ञ से मुआ लंगोट छोड़ भागेगा!

भारत का हर आदमी, बच्चा-बच्चा तक डॉक्टर, वैद्य, हकीम, होम्योपैथ, तंत्र-मंत्र, गंडा-ताबीज एक्सपर्ट है। हमारे पास आने वाली हर समस्या, हर रोग, हर महामारी का रामबाण इलाज है। अमेरिका-यूरोप-चीन सब हमारे आगे मूरख साबित हो चुके हैं। बस घोषणा होना बाकी है!

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

हम हिंदुस्तानी और उनमें भी विशेषकर हिंदुत्ववादी कुछ बातें पक्के तौर पर जानते हैं। पहली यह कि भारत कभी जगद्गुरु था और मोदीजी उसे फिर से जगद्गुरु बनाने वाले हैं। कोरोना गया और भारत जगद्गुरु बना। दूसरी बात पहले से जुड़ी हुई है कि हिंदू संस्कृति महान थी, महान है और युगों-युगों तक यही महान रहने वाली है, बाकी सब धूल चाटने में व्यस्त हो जाएंगी। इस संस्कृति के आगे दुनिया की कोई संस्कृति टिक नहीं पाएगी। चाहे तो कुश्ती लड़ाकर देख लें!

तीसरी बात यह कि भारत का हर आदमी, बच्चा-बच्चा तक डॉक्टर, वैद्य, हकीम, होम्योपैथ, तंत्र-मंत्र, गंडा-ताबीज एक्सपर्ट है। हमारे पास आने वाली हर समस्या, हर रोग, हर महामारी का रामबाण इलाज है। अमेरिका-यूरोप-चीन सब हमारे आगे मूरख साबित हो चुके हैं। बस घोषणा होना बाकी है। पंडित जी मुहूर्त निकाल रहे हैं। एक दिन ये सब हमारी संस्कृति का डंका बजाएंगे और ओरीजनल डंका हमीं उन्हें एक्सपोर्ट करेंगे। हम चीन को डंका बनाकर बेचने नहीं देंगे। वह ज्यादा बदमाशी करेगा तो हम दुनिया भर में मुफ्त में डंके बंटवा देंगे। भारत सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त धन है।

कोरोना संक्रमण को हम एक छोटे से उदाहरण के रूप में लेते हैं। हम सदियों से जानते हैं कि हर शहर, हर गांव, हर गली में अगर यज्ञ किए जाएं तो उसके पवित्र धुंए से कोरोना मुआ लंगोटी छोड़कर भाग जाएगा! फिर साला पलटकर कोरोना क्या, उसका बाप, उसके परदादा का परदादा भी आने की हिम्मत नहीं करेगा! हमसे पनाह मांगेगा। अपनी जूतियां हमारे सामने रगड़ेगा।

दुर्भाग्य से मुझे कुछ ऐसे अखबार पढ़ने की लत सी लग चुकी है, जिनमें कोरोना भगाने में यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ आदि के अभूतपूर्व योगदान की चर्चा नहीं होती। हारकर ज्ञानवर्द्धन के लिए मुझे गूगल देवता की शरण लेनी पड़ी। उन्होंने आश्वास्त किया कि बेटा, परेशान मत हो। देश सही दिशा में जा रहा है। देशभर में कोरोना भगाओ यज्ञ इतनी बड़ी तादाद में हो रहे हैं कि पूरी सूची अगर मैंने तुझे थमा दी तो तेरे होश उड़ जाएंगे और उड़े तो फिर उड़े। वापिस पिंजरे में नहीं आएंगे। एक बार सोच ले।


यह जानकार गहरा संतोष हुआ कि हिंदू संस्कृति हर महामारी, हर रोग का निवारण यज्ञ से करने की प्राचीन परंपरा नहीं भूली है। अनुमान लगाने के मामले में मैं बहुत कंजूस हूं, लेकिन भारत भर में ऐसे दस हजार यज्ञ हुए होंगे। इससे इस संस्कृति के प्रति मेरी आस्था बहुत पुष्ट हुई, इतनी कि अजीर्ण होने लगा। अजीर्ण के बावजूद यह जानकर तृप्ति मिली कि पूजा-पाठ, आरती, भगवती जागरण के भी अनगिनत आयोजन संपन्न हो रहे हैं। गोबर लेपन, गोमूत्र पीवन कार्यक्रम भी हजारों की संख्या में हो रहे हैं। इसके बावजूद किसी की हिंदू संस्कृति में आस्था प्रबल न हो तो ऐसे मूर्ख का भगवान भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

मैं इस अवसर पर हिंदू संस्कृति के प्रचार-प्रसार में विशेषकर व्हाट्सएप के महती योगदान को भूल जाऊं तो मेरे जैसा अधम मनुष्य दूसरा न होगा, जबकि मैं चाहता हूं कि यह गौरव अकेले मैं क्यों प्राप्त न करूं! इस मामले में मैं कतई स्वार्थी नहीं हूं। मेरे चरित्र पर ऐसे मामलों में स्वार्थी होने का दाग कोई नहीं लगा सकता। मुझे दूसरों के व्हाट्सएप से ज्ञात हुआ कि हमारी महान संस्कृति ने हजारों वर्षों पहले यह सिखाया था कि हिंदुओं, तुम दूसरों को नमस्कार किया करो। आज पता चल रहा है कि उन्होंने कितनी वैज्ञानिक बात कही थी! उन्हें मालूम था कि 2019-20 में कोरोना आएगा और तब दुनिया को इस संस्कृति की महानता से अभिभूत होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। देखो आज पूरी दुनिया नमस्कार कर रही है!

यहां तक कि व्हाट्सएप ज्ञान से परिपूर्ण उन ज्ञानी मैडम से स्वयं ट्रंप ने सपने में आकर नमस्कार किया। वे यह देखकर भावविभोर हो गईं। इस अवस्था में वह अपने ससुर समकक्ष ट्रंप के पैर छूने वाली थीं कि कोरोना ने उन्हें बरज दिया। तब विभोरावस्था में उन्होंने ट्रंप का नमस्कार इतनी देर तक किया कि वह सिर स्पर्श करके सौभाग्यवती कहने वाला था कि ये अचकचा कर पीछे हट गईं। इससे हताश होकर उसे वापिस व्हाइट हाउस जाना पड़ा।

वहां से उसने हाथ हिलाकर मैडम को अभिवादन किया। उन्होंने उसे व्हाट्सएप मैसेज भेजा कि ‘ट्रंप जी धन्यवाद। अगर आपको कोरोना हो जाए तो शरीर पर गोबर लपेट लेना और दिन में दस बार गोमूत्र पिया करना। गारंटी से ठीक हो जाओगे। यह बात अपने देशवासियों को भी बता देना, कोरोना मंगलयान की गति से छूमंतर हो जाएगा। और तुम लोग ये रूम स्प्रे, बाडी स्प्रे आदि सब क्या करते रहते हो? कुछ अकल भी है कि नहीं। जिस धरती पर जगद्गुरू भारत निवास करता हो, हिंदू संस्कृति दनदनाती-फनफनाती-सनसनाती घूम रही हो, वहां तुम लोग कपूर, लोभान, अगरबत्ती का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?’

फास्टफूड छोड़ो, शाकाहारी सादा भोजन करो और मेरी तरह उच्च विचार रखना सीखो। खुद नहीं सीखे तो तुम लोगों को हिंदी में शिक्षित करने के लिए मुझे स्वयं अमेरिका आना पड़ेगा। तुम वीजा तैयार रखो, मैं पासपोर्ट का आवेदन करने वाली हूं। इधर पासपोर्ट तैयार होता है, उधर मैं नरेन्द्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी सबको ठीक करके आती हूं। इन्होंने कोरोना भगाने के लिए एक बार भी यज्ञ-हवन, भजन-कीर्तन, भगवती जागरण, ताबीज आदि की महत्ता पर प्रकाश नहीं डाला। पहले इनके अज्ञान का अंधेरा दूर करूंगी, तब तक पासपोर्ट बन जाएगा और वीसा तो तुम खैर तैयार रखोगे ही!

तब तक के लिए नमस्कार!!

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