हमारे राज-समाज में मौजूद रावणों से कब और कैसे मिलेगी मुक्ति?

हमें उस रावण को जलाना होगा, जो हमारे ही अंदर लालच के रूप में बैठा हुआ है। झूठ, अहंकार, स्वार्थ, वासना, भ्रष्टाचार, पद की दुरुपयोगता को बढ़ावा देने वाली इच्छा को मारना होगा।

फोटो: Getty Images
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विनय कुमार

आज दशहरा है। आज हम रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं। लेकिन आपको पता है कि वो रावण आज के रावण से लाख गुना अच्छा था! उस रावण में अहंकार, पश्चाताप, वासना, संयम भी था, लेकिन बिना सहमति किसी पराई औरत को न छूने का संकल्प भी था, अगर माता सीता जीवित मिलीं ये भगवान राम की ताकत थी, लेकिन वो पवित्र मिलीं ये रावण की भी मर्यादा थी। लेकिन आज क्या हालात है। आज के रावण के चलते बाहर तो दूर घर में भी बच्चियां, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उनकी पवित्रता आए दिन बीच चौराहे पर नीलाम हो रही है।

बीते दिनों एक उत्तर प्रदेश से खबर आई कि ललितपुर में एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने अपने पिता, भाई और कई सफेदपोश नेताओं समेत 28 लोगों पर रेप का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कई सालों से गंदा खेल उसके साथ खेला जा रहा था। यह एक ऐसी घटना है जो रिश्ते, इंसानित और मानवता को झकझोर देने के लिए काफी है। यूपी के आजमगढ़ में 8 साल के मासूम बच्ची के साथ रेप किया जाता है और उसके बाद सड़क पर फेंक दिया जाता है। जहां उसकी मौत हो जाती है। ऐसी कई घटनाएं हैं जो बताने के लिए काफी हैं कि देश में आज के ‘रावण’ किस हद तक हैवान हो चुके हैं।


लखीमपुर खिरी में केंद्रीय मंत्री के बेटे पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। इस घटना में चार किसानों की मौत हो जाती है। वीडियो की विभत्सा ऐसी कि अगर आप देख लेगें तो रोगटें खड़े हो जाएंगे। ये भी तो ‘रावण’ ही हैं जो किसी का हक, किसी की जिंदगी छीन कर अपनी ताकत बढ़ना चाहते हैं।

अपने आप से एक सवाल कीजिए, पूछिए कि वो कौन है जो आए दिन हमारी अबोध बच्चियों को अपना शिकार बनाता है? वो कौन है, जो हमारी बेटियों को दहेज के लिए मार देता है? वो कौन है जो पैसे और पहचान के दम पर किसी और के हक को मारकर उसकी जगह नौकरी ले लेता है? वो कौन है जो सरकारी पदों का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है? ये कोई और नहीं आज का ‘रावण’ है, जो हमारे अंदर घर गया है। जी हां आज का ‘रावण’ है जो पैसे, पद, वर्दी और ओहदे रूपी शक्ति को अर्जित करके उसके दुरुपयोग से पूरे समाज को ही पाप की लंका में बदल रहा है।

आज हम बुराई के प्रतीक रावण को जलाते हैं, एक पुतले को जलाते हैं, लेकिन हम उस रावण को नहीं जलाते जो मन के अंदर ही अंदर पनपता रहता है। जो किसी का अहित करने में क्षणिक भर नहीं सोचता। हमें उस रावण को जलाना होगा, जो हमारे ही अंदर लालच के रूप में बैठा हुआ है। झूठ, अहंकार, स्वार्थ, वासना, भ्रष्टाचार, पद की दुरुपयोगता को बढ़ावा देने वाली इच्छा को मारना होगा।

सवाल ये कि क्या भगवान राम के युग का ‘रावण’ अच्छा था, जिसके दस के दस चेहरे दिखते थे? जिसे वह बाहर रखता था। लेकिन आज के रावण का सिर्फ एक चेहरा बाहर दिखता है, लेकिन अंदर कई चेहरे होते हैं। सोचिए, गौर कीजिए और सुधार के लिए आगे कदम बढ़ाइए।

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