योगी राज में ‘बाय-बाय मोदी’ वाले पोस्टर पर बवाल क्यों? तथ्यों में है सच्चाई, इसलिए कार्टून से सत्ता में बढ़ी बेचैनी?

प्रयागराज की पुलिस कार्रवाई के बाद यह सवाल बना हुआ है कि बीजेपी राज में इस किस्म के राजनीतिक बैनर-होर्डिंग, खास तौर से कार्टून वाली चीजें लगाने पर रोक क्यों है? कार्टटून से चिढ़ तब ही होती है जब तथ्य में सच्चाई हो। शायद वजह यही है।

फोटो: सोशल मीडिया
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जयशंकर राजरत्न

अवैध ढंग से सड़कों के किनारे, सरकारी संपत्ति और प्रतिबंधित स्थानों पर बैनर-होर्डिंग लगाने पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सजा के प्रावधान हैं। इसके लिए जुर्ममाने से लेकर जेल तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन आमतौर पर होता यह है कि नगर निगम या नगरपालिका के कर्मचारी इन्हें हटा देते हैं और कुछ मामलों में नोटिस भी जारी किए जाते हैं। लेकिन यूपी का मामला अलहदा है। यहां हर वह व्यक्ति रडार पर है जो सरकार या बीजेपी के खिलाफ होर्डिंग- बैनर लगाता है। तभी तो प्रयागराज में लगाए गए होर्डिंग पर ‘सख्त कार्रवाई’ की जा रही है।

किस्सा कोताह यह है कि प्रयागराज शहर में पुलिस ट्रैफिक क्रॉसिंग के पास स्टटैनली रोड पर 9 जुलाई को एक होर्डिंग लगा दिखा। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कार्टून था, जिसमें उनके हाथों में गैस सिलेंडर दिख रहा है। इसके साथ ही इसमें रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने के साथ बेरोजगारी और किसानों की मौत पर तंज कसा गया था। बीजेपी युवा मोर्चा के नेता अमित शरणने इसे लेकर पुलिस में शिकायत क्या दर्ज की, पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी- वीडियो फुटेज खंगाले गए कि इसे किसने कब लगाया; जब यह पता लग गया कि किसने लगाया, तो उसे पकड़ने के साथ उन लोगों को तलाशा गया, जिन्होंने इस मेटेरियल को भेजा और छापा। आम लोगों के मामले में तफ्तीश में महीनों-बरसों भले लग जाएं, इसमें तीन दिनों के अंदर ही पांच लोग गिरफ्तार कर लिए गए। सीओ कर्नलगंज अजीत सिंह चौहान की मानें, तो प्रयागराज में लगाया गया होर्डिंग उस अभियान का हिस्सा है जो तेलंगाना का रहने वाला साईं नामक व्यक्ति चला रहा है। उसने ही सिकंदराबाद समेत अन्य जगहों पर मोदी का कार्टटून बनाकर प्रिंट कराया और उसे सार्वजनिक किया। कुछ दिनों पहले साईं ने सिविल लाइंस निवासी अनिकेत केसरी से संपर्क कर उसे मोदी का पोस्टर प्रिंट कराकर होर्डिंग लगवाने के लिए कहा और पैसे भी दिए।


पुलिस की थ्योरी कितनी सही है, नहीं कहा जा सकता। लेकिन उसके इस निष्कर्ष पर पहुंचने की वजह है। मोदी अभी 4 जुलाई को हैदराबाद गए थे। वहां उन्होंने हैदराबाद को भाग्यनगर के तौर पर संबोधित किया। दो साल पहले जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहां नगर निगम चुनावों में प्रचार करने गए थे, तब उन्होंने भी ऐसा ही किया था। इसे ‘भाग्यनगर’ कहने की दो वजहें मानी जाती हैं। 1. हालांकि इसका कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं है, कहा जाता है कि गोलकुंडा सल्तनत के पांचवें सुल्ततान मुहम्मद कुली कुतुब शाह की पत्नी का नाम भागमती था। दोनों में विवाह से पहले भी अथाह प्रेम था। 2. हैदराबाद में चारमीनार के बगल में ‘भाग्यलक्ष्मी’ का मंदिर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का कहना है कि 1960 के दशक से पहले यहां इस मंदिर के होने के प्रमाण नहीं हैं।

यह सब तो अलग है। प्रयागराज पुलिस के लिए मूल बात यह है कि मोदी जब हैदराबाद गए, उससे दो-तीन दिन पहले से ही वहां की कई सड़कों बल्कि लगभग पूरे तेलंगाना में रातोंरात लगभग इसी भाषा में पोस्टर-बैनर लगा दिए गए। उसमें बाय-बाय मोदी के साथ-साथ सालु मोदी, संपाकू मोदी (बहुत हुआ मोदी, लोगों को मत मारो मोदी) शब्दावली का इस्तेमाल किया गया था। वैसे, नगरपालिका अधिकारियों ने वहां भी इन बैनरों को हटवा दिया था। हाल के दिनों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जिस तरह सार्वजनिक तौर पर मोदी की सख्त और बिंदुवार आलोचना कर रहे हैं, उसमें ऐसे बैनरों पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, पर सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने इन्हें लगाने-हटाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। हां, तेलंगाना राज्य खनिज विकास कॉरपोरेशन (टीएसएमडीसी) के चेयरमैन और टीआरएस सोशल मीडिया विंग संयोजक मन्नेकृषंक ने ट्वीट कर कहा कि ‘अगर आप हमारे मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की छवि के साथ बिल्कुल निचले स्तर तक उतर सकते हैं, तो हम कड़े सवाल पूछते हुए प्रधानमंत्री मोदी की फोटो के साथ ऐसे ही बैनर हर निर्ववाचन क्षेत्र, गांव में लगाएंगे। हम बीजेपी से मुख्यमंत्री की फोटो हटाने की मांग करते हैं।’


लेकिन प्रयागराज की पुलिस कार्रवाई के बाद यह सवाल तो बना ही हुआ है कि बीजेपी राज में इस किस्म के राजनीतिक बैनर-होर्डिंग, खास तौर से कार्टून वाली चीजें लगाने पर रोक क्यों है? कार्टटून से चिढ़ तब ही होती है जब तथ्य में सच्चाई हो। शायद वजह यही है।

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