विंग कमांडर अभिनंदन तो लौट आए, लेकिन उनके विमान को पाक द्वारा मार गिराने से रक्षा तैयारियों पर उठे सवाल

एक खबर के अनुसार भारत की सेना जर्जर अवस्था में है और अगर एक पूर्ण युद्ध का सामना करना पड़े तो केवल 10 दिनों के युद्ध का हथियार और उपकरण हमारे पास है। इसमें से भी 68 प्रतिशत हथियार बहुत पुराने हैं। यह सभी आंकड़े अखबार के अनुसार सरकारी सूत्रों से लिए गए हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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महेन्द्र पांडे

जैसा कि सबको पता था, पुलवामा हमले को सरकार ने खूब भुनाया और इसे वोट बैंक में परिवर्तित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उस समय जितने सवाल उठाए गए थे, उनमें से किसी का जवाब नहीं मिला। जम्मू-काश्मीर में रोज आतंकवादी अपना काम कर रहे हैं। विंग कमांडर अभिनंदन वापस आ गए और वाह-वाही में पूरा देश सराबोर हो गया। इसके बाद पुलवामा, उरी और रोज होते आतंकवादी हमलों को पूरी तरह से भुला दिया गया। इस बीच लोग यह भी भूल गए कि एक मिग विमान, जिसमें अभिनंदन गए थे, उसे पाकिस्तानी वायु सेना ने मार गिराया।

मिग विमान के मार गिराने को भारतीय सेना की तैयारियों के संदर्भ में देखने पर, इतना तो स्पष्ट है कि यह सेना की तैयारी नहीं बल्कि जल्दबाजी और अधकचरी तैयारी है। यहां यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि लगभग पांच दशकों के बाद भारतीय वायु सेना को ऐसी कार्रवाई करनी पड़ी थी।

वैसे भी रक्षा मामलों में हमारी सरकार कितनी तैयार हैं, वह इससे भी स्पष्ट होता है कि राफेल मामलों से जुडी फाइलें गायब हो जाती हैं और सरकार निश्चिंत बैठी रहती है। जब सरकार से राफेल के बारे में कोई जानकारी मांगी जाती है तब रटा-रटाया जवाब आता है कि यह गोपनीय है। अब यही गोपनीय जानकारियां सरकार के नाक के नीचे से गायब हो गई हैं। हो सकता है कि इन्हें जानबूझ कर गायब किया गया हो, जिससे इसपर सवाल उठाने वालों को आसानी से घेरा जा सके।

फाइलें गायब होना एक छोटी बात है, क्योंकि उस घटना को तो देश ने लगभग भुला दिया है जिसमें भारतीय सेना के अनेक सैनिक विमान सहित अंडमान से गायब हो गए और अनेक वर्षों बाद आज तक उनका सुराग नहीं मिला है। फिर भी हम किसी भी परिस्थिति का सामना करने को तैयार रहते हैं और दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब देने को तैयार रहते हैं- ऐसा जनता को विशवास दिलाया जाता है।

कुछ दिनों पहले ब्रिटिश अखबार इंडिपेंडेंट में प्रकाशित एक खबर के अनुसार भारत की सेना जर्जर अवस्था में है और अगर पूरी तरह से युद्ध का सामना करना पड़े तो केवल 10 दिनों के युद्ध का हथियार और उपकरण हमारे पास है। इसमें से भी 68 प्रतिशत हथियार बहुत पुराने हैं। यह सभी आंकड़े अखबार के अनुसार सरकारी सूत्रों से लिए गए हैं।

रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सदस्य और सांसद गौरव गोगोई के अनुसार हमारी सेना का बजट बहुत कम है और इस कारण आधुनिक हथियारों की बहुत कमी है। बजट की कमी के कारण थल, जल और वायु सेना एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं और एक दूसरे का साथ नहीं देती हैं। गोगोई के अनुसार, आज के दौर में जब आधुनिक सेनाएं आधुनिक हथियारों से लैस हो रहीं हैं, हमें भी ऐसा ही करना होगा।

इन सबके बीच एक अजीब तथ्य यह भी है कि भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये हथियार जा कहां रहे हैं? पिछले एक दशक के दौरान ही अमेरिका से हथियार खरीद का बजट लगभग शून्य से 15 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

इंडिपेंडेंट के अनुसार साल 2018 के लिए भारत का रक्षा बजट 45 अरब डॉलर है, जबकि चीन अपनी रक्षा के लिए 175 अरब डॉलर खर्च कर रहा है। इस 45 अरब डॉलर में से एक बड़ा भाग 12 लाख सेना जवानों के तनख्वाह और पेंशन पर खर्च हो जाता है। इसके बाद महज 14 अरब डॉलर ही हथियारों और उपकरणों के लिए बचता है।

स्पष्ट है कि भाषणों में जो कुछ हम सुनते हैं और नेता जो जनता को विश्वास दिलाते हैं, वास्तविक परिस्थितियां शायद इसके ठीक विपरीत हैं।

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