World Cup 2023: विश्व कप के आयोजन स्थलों को लेकर भी राजनीति, इन बड़े स्टेडियम में मैच नहीं कराने पर उठ रहे सवाल

क्रिकेट और राजनीति का हमेशा से साथ रहा है। लेकिन अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम का नाम जबसे नरेन्द्र मोदी स्टेडियम रखा गया, तबसे इसके पक्ष में डंडेमारी बढ़ गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अप्रैल, 2021 में द टेलीग्राफ में अनुभवी खेल लेखिका शारदा उग्रा ने लिखा था, ‘यह देखते हुए कि भारत 2023 में आईसीसी विश्व कप की मेजबानी करेगा, तो इसका फाइनल अहमदाबाद के अलावा भला और कहां हो सकता है? शायद सेमीफाइनल भी वहीं हों। यह कोई व्यंग्यात्मक टिप्पणी नहीं है बल्कि सूचना ऐसी ही मिल रही है।’

दो साल बाद बीसीसीआई ने जब आईसीसी विश्व कप 2023 के कार्यक्रम की घोषणा की तो शारदा का सूचित ‘दांव’ बिल्कुल सही साबित हुआ। अहमदाबाद न केवल 5 अक्तूबर को गत चैंपियन इंग्लैंड और उपविजेता न्यूजीलैंड के बीच टूर्नामेंट के उद्घाटन मैच की मेजबानी करेगा बल्कि 19 नवंबर को फाइनल भी वहीं होगा। इसके अलावा, अहमदाबाद 15 अक्टूबर को होने वाले भारत-पाकिस्तान, 4 नवंबर को इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया और 10 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका बनाम अफगानिस्तान मैच की भी मेजबानी करेगा।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया, ‘अहमदाबाद देश की नई क्रिकेट राजधानी बन रहा है लेकिन क्या एक या दो मैच केरल को नहीं मिल सकते थे? …इसे नदारद देख निराशा हुई।’ 

केरल ही नहीं बल्कि नागपुर और मोहाली जैसे टेस्ट सेंटर भी नहीं चुने गए जबकि धर्मशाला और लखनऊ को पहली बार विश्व कप आयोजन स्थलों के रूप में शामिल किया गया। विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन शरद पवार के विश्वासपात्र शशांक मनोहर द्वारा नियंत्रित है जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी का शासन है। पंजाब के खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर भी इससे सहमत दिखे कि मोहाली को मैच आवंटित न करने का निर्णय ‘राजनीति से प्रेरित’ है। दूसरी ओर, केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के भाई, आईपीएल अध्यक्ष अरुण धूमल हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े हैं जिसका मुख्यालय धर्मशाला में है जबकि बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से हैं। बेशक शुक्ला कांग्रेस से हैं, लखनऊ को मैच आवंटित करने का निर्णय अन्य राजनीतिक विचारों से प्रभावित हो सकता है।

यहां तक कि 2021 में इंग्लैंड के भारत दौरे में जिसमें कुल 12 मैच होने थे, सात को अहमदाबाद में तत्कालीन नवनिर्मित सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम को आवंटित किया गया था। इसके तुरंत बाद मोटेरा का नाम बदलकर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया जो 1.32 लाख लोगों के बैठने की क्षमता वाला दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है। इससे बड़ा दुनिया में अकेला स्टेडियम उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में है।


फरवरी, 2021 में जब मोटेरा का नाम बदलकर प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर रखा गया, उसके बाद मार्च में आईपीएल मैच का जो कार्यक्रम घोषित किया गया, उसमें नरेन्द्र मोदी स्टेडियम को 12 मैच दिए गए जिनमें आठ लीग मैच, तीन प्लेऑफ और फाइनल मैच थे। इतने मैच किसी और स्टेडियम को नहीं मिले। शायद यह इसलिए था कि अगर किसी को भारतीय क्रिकेट के नए उभरते हुए ‘मुख्यालय’ को लेकर संशय हो तो, इनसे वह खत्म हो जाए। 

नाम परिवर्तन के इस असामान्य मामले पर राहुल गांधी ने ‘हमदोहमारेदो’ हैशटैग के साथ ट्वीट किया- ‘बहुत अच्छी बात है कि सच अपने आप सामने आ जाता है। नरेन्द्र मोदी स्टेडियम-अडानी छोर-रिलायंस छोर और अध्यक्षता जय शाह की।’ शशि थरूर ने कहा, ‘शायद उन्हें एहसास हुआ कि स्टेडियम का नाम एक गृह मंत्री (सरदार पटेल) के नाम पर था जिन्होंने उनके मूल संगठन पर कभी प्रतिबंध लगाया था! या शायद यह अग्रिम बुकिंग है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रंप की तरह अगले दौरे पर आने वाले राष्ट्राध्यक्ष की मेजबानी यहीं हो?’

लेकिन बीसीसीआई नहीं बल्कि सरकार द्वारा नाम बदलने की कवायद के जोरदार बचाव के बावजूद यह स्टेडियम विवादों से घिरा रहा। तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड की नाटकीय 10 विकेट की हार ने पिच की गुणवत्ता पर तीखी बहस छेड़ दी। पांच दिवसीय टेस्ट मैच दो दिन भी नहीं चला और गिरे 30 विकेटों में से 28 स्पिनरों ने लिए। नवीनीकरण के बाद नरेन्द्र मोदी स्टेडियम अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी कर रहा था।

एंडी बून ने द मिरर के लिए अपने कॉलम में लिखा: ‘लगभग 90 वर्षों के सबसे छोटे टेस्ट मैच में इंग्लैंड की भारत के हाथों हार हुई । दरअसल, यह पिच पांच दिवसीय मैच के लिए उपयुक्त नहीं थी।’ क्रिकेट लेखक स्किल्ड बेरी ने घटिया पिच बनाने के लिए आयोजन स्थल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि प्रतिबंध की संभावना नहीं - ‘…नरेन्द्र मोदी स्टेडियम पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाएगा, इसका राज इसके नाम में छिपा है। इस मैदान का नाम भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री के नाम पर रखा गया है…।’

फरवरी, 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए ‘नमस्ते ट्रंप’ नाम से एक राजनीतिक रैली की मेजबानी करने वाला स्टेडियम इस साल मार्च में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथे टेस्ट के बाद पिच की प्रकृति को लेकर एक और विवाद में घिरा दिखा। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी स्टेडियम के क्यूरेटर ने मेहमानों के खिलाफ घरेलू टीम की मदद के लिए दो पिचें तैयार की थीं।


विश्व कप भारत में 5 अक्तूबर से 19 नवंबर तक 10 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा। 46 दिनों के टूर्नामेंट के दौरान इसके मैच अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, धर्मशाला, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, और पुणे में इसके मैच खेले जाएंगे।  इनके अलावा तीन प्लेऑफ मैच खेले जाएंगे। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम और कोलकाता के ईडन गार्डन में दो सेमीफाइनल मैच खेले जाएंगे। 

एक पूर्व क्रिकेट प्रशासक ने कहा, ‘पहले आयोजन स्थलों को अंतिम रूप देने की एक प्रक्रिया अपनाई जाती थी। अब न तो कोई सलाह-मशविरा होता है और न ही समिति बनाने जैसा कोई कदम उठाया जाता है। केवल ‘मन की बात’ होती है।’ बताते हैं कि बीसीसीआई बॉस जय शाह ने आयोजन स्थलों की घोषणा से पहले किसी भी राज्य संघ से राय नहीं ली। बीसीसीआई पहले अंतरराष्ट्रीय मैचों का आवंटन ‘रोटेशन’ से करती था। लेकिन अहमदाबाद को अनुपातहीन संख्या में मैच आवंटित करते समय इस सिस्टम को किनारे कर दिया गया। एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘वे (गुजरात के अधिकारी) कहते हैं कि तीन साल के नवीनीकरण और फिर कोविड के कारण, अहमदाबाद को कई मैचों का आयोजन गंवाना पड़ा इसलिए अब उसकी भरपाई की जा रही है।’ 

लेकिन क्या कभी इस तरह की कोई भरपाई हुई? 

जब एकदिवसीय विश्व कप मैच नहीं मिलने वाले प्रमुख क्रिकेट केन्द्रों ने निराशा जताई तो बीसीसीआई सचिव ने कहा कि ‘अन्य केन्द्रों को द्विपक्षीय श्रृंखला के मैच दिए जाएंगे’। एक दिक्कत यह भी है कि विश्व कप के हर मेजबान शहर को नवीकरण के लिए 50 करोड़ दिए जा रहे हैं। एक पूर्व क्रिकेट प्रशासक ने कहा, ‘इन चुने स्थानों को धन देकर बीसीसीआई सुनिश्चित कर रहा है कि देश के अन्य क्रिकेट केन्द्र बुनियादी ढांचे के मामले में इन चुने हुए स्थानों की कभी बराबरी नहीं कर सकें। बीसीसीआई ने बाकी जगहों के लिए डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।’

लखनऊ के इकाना स्टेडियम के मामले में और भी बड़ी समस्या हो सकती है जो निजी स्वामित्व में है और इसका उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) से कोई लेना-देना नहीं। 50 करोड़ रुपये की उक्त राशि (यदि दी गई) यूपीसीए के भीतर तापमान बढ़ा सकती है क्योंकि इकाना को बीसीसीआई के उपाध्यक्ष और विवादास्पद पूर्व यूपीसीए सचिव राजीव शुक्ला की व्यक्तिगत पसंद माना जाता है।


विश्व कप स्थल, विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के मैचों की मेजबानी के लिए चुने गए स्थान अन्य तरह से भी फायदे में हैं। उदाहरण के लिए, अहमदाबाद में होटल के कमरे 100 दिन पहले 8 से 15 गुना टैरिफ पर बुक किए गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 15 अक्तूबर के मुकाबले के लिए शहर के लगभग 70 प्रतिशत होटल कमरे बुक हो चुके हैं। एक 4-स्टार होटल में 4 जुलाई को स्टैंडर्ड सिंगल रूम का जो किराया 3,086 रुपये था, होटल के पोर्टल के अनुसार 15 अक्तूबर के लिए 59,219 रुपये हो गया है।

हैरानी नहीं कि नजरअंदाज किए गए मोहाली, इंदौर, राजकोट, रांची और नागपुर जैसे केन्द्र नाराज हैं। इसमें शिकस्त खाने वाला एक और अहम केन्द्र है चेन्नई। यह केवल संयोग नहीं कि इनमें से कई केन्द्र विपक्ष शासित राज्यों में हैं। बंगाल को विशेष सम्मान के लिए चुना गया है क्योंकि बीसीसीआई सचिव के पिता और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्य की राजनीति में ‘खास दिलचस्पी’ है।

मध्य प्रदेश के राज्य क्रिकेट निकाय की कमान उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ है। उसे भी सिंधिया और स्थानीय बीजेपी नेताओं के बीच खींच-तान के कारण नजरअंदाज कर दिया गया है।

इस लेख के लेखक चंद्रशेखर लूथरा हैं।

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