आपदा में अवसर: अपने करीबियों को नौकरी बांट रही योगी सरकार? दबाव बढ़ने के बाद मंत्री के भाई को देना पड़ा इस्तीफा

नौकरियों और रोजगार के रास्ते बंद करने में भले ही योगी सरकार का रिकॉर्ड हो, लेकिन कोरोना काल में करीबियों को रेवड़ी बांटने में सरकार ने नियमों को ताक पर रख दिया।

फोटो: सोशल मीडिया
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के संतोष

नौकरियों और रोजगार के रास्ते बंद करने में भले ही योगी सरकार का रिकॉर्ड हो, लेकिन कोरोना काल में करीबियों को रेवड़ी बांटने में सरकार ने नियमों को ताक पर रख दिया। तभी तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबियों के लिए कोरोना महामारी में ‘आपदा में अवसर’ बन कर आया है। जहां सूबे के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ से इस्तीफा देकर अपने ही जिले में नौकरी हासिल कर ले रहे हैं तो वहीं योगी के चुनावी रणनीतिकार की बहन को गोरखपुर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल जाती है।

उत्तर प्रदेश में फिलहाल हंगामा बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई डॉ.अरूण द्विवेदी की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान विभाग में नियुक्ति को लेकर मचा है। 150 आवेदकों में मंत्री के गरीब भाई ही कुलपति को काबिल मिले। ये वहीं मंत्री हैं जिन्होंने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर मरे 1621 शिक्षकों को लेकर गलतबयानी की थी। मंत्री के मुताबिक, सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है। जबकि मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में 53 शिक्षकों की मौत, तो मंत्री सतीश द्विवेदी के गृहजनपद सिद्धार्थनगर में 18 शिक्षकों की मौत पंचायत चुनाव में ड्यूटी के बाद कोरोना सक्रंमित होने के बाद हुई है। खैर, बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की नौकरी को लेकर भले ही सारे बंद दरवाजे खोल दिये गए हों, लेकिन प्रदेश में लोक सेवा आयोग से लेकर बोर्ड परीक्षाएं टाली जा रही हैं। तमाम परीक्षा को लेकर संशय बना हुआ है। जून में होने वाली यूपी पीसीएस प्रीलिम्स 2021, सहायक वन संरक्षक/ क्षेत्रीय वन अधिकारी और राजकीय इंटर कॉलेज प्रवक्ता प्रारंभिक परीक्षा टाल दी गई है। सरकार ने यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा-2021 को भी स्थगित कर दिया हैं। कोरोना संक्रमण के चलते सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं।


कुलपति पर मेहरबानी, नियमों को ताक पर रख दी नियुक्ति

मंत्री के भाई को नौकरी देने वाले कुलपति प्रो.सुरेन्द्र दूबे भी काफी चर्चित रहे हैं। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2019 में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में हुई नियुक्तियों को लेकर खूब हंगामा हुआ था। नियुक्तियां महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति प्रो.यूपी सिंह के कुलपति बेटे प्रो.वीके सिंह ने की थीं। हिन्दी विभाग में प्रो.सुरेन्द्र दूबे के बेटे की भी नियुक्ति हुई। वहीं मंदिर के करीबी और योगी का चुनाव प्रबंधन देखने वाले डा.प्रदीप राव की बहन की नियुक्ति भी प्राचीन इतिहास विभाग में हो गई। इन नियुक्तियों को लेकर खुद भाजपा विधायक डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने आवाज उठाई थी। लेकिन इसके बाद मुख्यमंत्री से उनकी तल्खी बढ़ गई थी। अब आपदा में अवसर मिला तो प्रो.सुरेन्द्र दूबे ने मंत्री के भाई को नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति पत्र थमा दिया।

हालांकि विवाद बढ़ने के बाद बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक, अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है। जिसे कुलपति सुरेंद्र दुबे ने मंजूर भी कर लिया है।

दिलचस्प यह है कि 20 मई को प्रो.सुरेन्द्र दूबे के कार्यकाल के विस्तार का पत्र राज्यपाल ने जारी किया। दूसरे ही दिन मंत्री के भाई को नियुक्ति पत्र थमा दिया गया। प्रो.सुरेन्द्र दूबे के मुताबिक, ‘यूनिवर्सिटी में सात पदों पर नियुक्ति हुई है। मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्रवक्ता के लिए 150 आवेदन आए थे, जिसमें से मेरिट के आधार पर दस अभ्यर्थी शॉर्टलिस्ट किए गए। इनमें कोई मंत्री का भाई भी है, मुझे मालूम नहीं। नियुक्ति मेरिट के आधार पर हुई है।’ यूपी में उच्च शिक्षा में नियुक्तियों में लिफाफा तंत्र हावी है। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से लेकर मेरठ यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों को लेकर विवाद है।

प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद मुश्किल में योगी सरकार

मत्री के गरीब भाई की नियुक्ति के बाद कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट के बाद सियासी हंगामा मचा हुआ है। जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘संकटकाल में यूपी सरकार के मंत्रीगण आम लोगों की मदद करने से तो नदारद दिख रहे हैं लेकिन आपदा में अवसर हड़पने में पीछे नहीं हैं। यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई गरीब बनकर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पा गए। लाखों युवा यूपी में रोजगार की बाट जोह रहे हैं, लेकिन नौकरी ‘आपदा में अवसर’ वालों की लग रही है। ये गरीबों और आरक्षण दोनों का मजाक बना रहे हैं। ये वही मंत्री महोदय हैं जिन्होंने चुनाव ड्यूटी में कोरोना से मारे गए शिक्षकों की संख्या को नकार दिया और इसे विपक्ष की साज़िश बताया। क्या मुख्यमंत्री जी इस साज़िश पर कोई ऐक्शन लेंगे?’


इसके बाद मंत्री से लेकर कुलपति व जिलाधिकारी तक सफाई देने में जुट गए। मंत्री सतीश द्विवेदी कहते हैं कि ‘यह दुर्भाग्य है कि डॉ.अरूण मेरे भाई हैं। नियुक्ति को लेकर जांच को तैयार हूं।’ वहीं 2019 के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पर 2021 में नियुक्त पर सवाल है। जब जिलाधिकारी दीपक मीणा से प्रमाण पत्र की वैद्यता को लेकर सवाल हुआ तो वह जांच की बात कहते हुए कन्नी काटते दिखे। डीएम का कहना है कि ‘ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र दस्तावेजों के आधार पर बना होगा। शिकायत होती है तो जांच होगी। संयुक्त परिवार में मंत्री की आय भाई में नहीं जोड़ी जाएगी।’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि ‘राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ में नौकरी करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर की गरीबी असिस्टेंट प्रोफेसर महिला से शादी के बाद भी दूर नहीं हुई। मंत्री के भाई को बर्खास्त कर खेल में शामिल सभी मोहरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।’ सियासी हंगामे के बाद राजभवन को पूरे प्रकरण में कुलपति से स्पष्टीकरण मांगना पड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री के बरदहस्त मंत्री के भाई के नियुक्ति पर आंच आएगी मुश्किल ही दिख रहा है।

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