उस बुलंदी पर थीं श्रीदेवी, जहां आगे की कोई सीढ़ी थी ही नहीं

श्री देवी इतनी बुलंदी पर पहुंच चुकी थीं कि आगे और कोई सीढ़ी ही नहीं थी। जब श्रीदेवी अपने शिखर पर थीं, तब पर्दे के पीछे उनकी असल ज़िंदगी में एक और प्रेम कहानी लिखी जा रही थी।

फोटो सोशल मीडिया
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इकबाल रिजवी

श्रीदेवी के नाम से वे सिनेमा के इतिहास में अमर हो चुकी हैं। उनका हिंदी उच्चारण दोषपूर्ण था लेकिन आंखों की शोखी, चेहरे पर बच्चों की सी चंचलता और मादक देह ने उन्हें सुपर स्टार बना दिया। और, श्री देवी के रूप में हिंदी फिल्मों को एक ऐसी अभिनेत्री मिली, जिसने अपने दौर के अभिनेताओं को भी लोकप्रियता के मामले में पीछे छोड़ दिया।

पांच साल की उम्र में तमिल भाषी फिल्म “ तुनेवन ” में बाल कलाकार के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाली श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को हुआ था। कई दक्षिण भारतीय फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में पर्दे पर नजर आने वाली श्रीदेवी ने हिंदी फिल्म जैसे को तैसा (1973) और जूली (1975) में भी बाल कलाकार की भूमिका निभायी। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली हिंदी फिल्म थी सोलहवां सावन (1979)। लेकिन श्रीदेवी को लोकप्रियता मिली जितेंद्र के साथ फिल्म हिम्मतवाला (1983) से। इन दोनो की जोड़ी कितनी लोक प्रिय हुई इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1983 से 1987 के बीच इन दोनों ने 16 फिल्मों मे काम किया जिनमें हिम्मतवाला के अलावा तोहफा भी शामिल थी। इन दोनो फिल्मों ने अपने दौर में लोकप्रियता और कमाई के नए मानक स्थापित किये।

श्रीदेवी बचपन से जीतेंद्र की फैन थीं और उनके साथ जब उनकी जोड़ी हिट हुई तो दोनों के बीच खास संबंधों की चर्चा भी आम होने लगी। जीतेंद्र ने बड़ी मेहनत और समझदारी से इन चर्चाओं पर विराम लगाया। श्रीदेवी की ग्लैमरस छवि ने उन्हें स्टार तो बनाया, लेकिन उनके अभिनय के बारे में चर्चा नहीं होती थी। साल 1983 में श्रीदेवी ने कमल हासन के साथ फिल्म सदमा की। इस फिल्म में उनके अभिनय को देख लोग दंग रह गए। सदमा श्रीदेवी के कैरियर में मील का पत्थर बन गयी। हिंदी फिल्मों के साथ साथ वे तमिल, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम करती रहीं।

श्रीदेवी जब हिंदी सिनेमा में स्थापित हो रहीं थीं तब तक वहीदा रहमान, शर्मीला टैगोर और आशा पारेख के दौर की अभिनेत्रियां ठंडी पड़ चुकी थीं, हेमा मालिनी, रीना राय, रेखा के करियर में भी ठहराव आने लगा था। जीनत अमान की लोकप्रियता खत्म होती जा रही थी, नीतू सिंह घर बसा कर और परवीन बॉवी अपने जुनून में फिल्में छोड़ गयीं। राखी, विद्या सिन्हा, दीप्ति नवल, शबाना और डिंपल कपाडिया श्री देवी के मुकाबले में पर्दे पर गंभीर और उम्र दराज दिखाई दे रही थीं। माधुरी दीक्षित का सिक्का तब तक चल नही पाया था। ऐसे समय में सारिका, रामेश्वरी, रंजीता, जया प्रदा, पद्मिनी कोल्हापुरे के मुकाबले श्रीदेवी के मादक सौंदर्य और मर्दों को पागल बना देने वाली अदाओं ने उन्हें नंबर वन के मकाम पर पहुंचा दिया।

चांदनी, लम्हे, नगीना, चालबाज, खुदा गवाह, जुदाई, मिस्टर इंडिया और रूप की रानी चोरों का राजा जैसी फिल्मों के जरिये श्री देवी अपने दौर में सबसे अधिक रकम लेने वाली अभिनेत्री बन गयीं। कुछ पुरूष अभिनेताओं को छोड़ उस दौर में किसी की हैसियत नहीं थीं जो श्रीदेवी के मुकाबले मेहनताना मांग सके। शोहरत और दौलत की बारिश में श्रीदेवी तन्हा महसूस कर रही थीं और इस तन्हाई को दूर किया मिथुन चक्रवर्ती ने। लेकिन मिथुन शादीशुदा थे, और इन दोनो के रिश्तों ने इसमें भूचाल ला दिया। श्री देवी चाहती थीं कि मिथुन चक्रवर्ती अपनी पत्नी योगिता बाली को तलाक दें, जबकि योगिता बाली ने मिथुन को आत्महत्या कर लेने की चेतावनी दे डाली। सही समय पर मिथुन ने अपने आपको श्रीदेवी से अलग कर लिया। तब तक श्री देवी इतनी बुलंदी पर पहुंच चुकी थीं कि आगे और कोई सीढ़ी ही नहीं थी।

जब श्रीदेवी अपने शिखर पर थीं, तब पर्दे के पीछे उनकी असल ज़िंदगी में एक और प्रेम कहानी लिखी जा रही थी। दो बच्चों के पिता बोनी कपूर उन पर बुरी तरह फिदा थे। हर समय काम में व्यस्त रहते रहते बुरी तरह थक चुकीं श्री देवी को अपना परिवार चाहिये था। टेनिस खिलाड़ी विजय अमृतराज के छोटे भाई अशोक अमृतराज से श्री देवी की शादी की बात अंतिम चरणों में पहुंच गयी थी, लेकिन फिर श्रीदेवी ने शादी से इनकार कर दिया।

बहरहाल दिल से मजबूर बोनी कपूर ने हर तरह के विरोध को दरकिनार करते हुए 1996 में श्री देवी से शादी कर ली। शादी के बाद श्रीदेवी ने खुद को पूरी तरह फिल्मों से अलग कर लिया। 2004 में अक्षय कुमार की फिल्म मेरी बीवी का जवाब नहीं में श्री देवी फिर पर्दे पर दिखीं, लेकिन सही मायने में उन्होंने 2012 में फिल्म इंगलिश विंगलिश से वापसी की और अपने अभिनय से दर्शकों और आलोचकों दोनों को चमकृत कर दिया। फिर 2017 में उनकी फिल्म मॉम ने भी आलोचकों का ध्यान खींचा। हांलाकि कमर्शियली यह फिल्म खास कारनामा नहीं कर सकी।

अपने करियर में पांच फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाली श्रीदेवी ने अब सारी ताकत अपनी बेटी जहान्वी का फिल्म कैरियर संवारने में लगा दी थी। वे अपने भांजे की शादी में अपनी छोटी बेटी खुशी और बोनी कपूर के साथ दुबई गयी थीं, जबकि उनकी बड़ी बेटी जहान्वी अपनी डेब्यू फिल्म की शूटिंग में व्यस्त होने की वजह से उनके साथ नहीं जा पायीं. शादी के समारोह के बाद रात में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और फिल्मों का एक चमकदार सितारा समय की गोद में खो गया।

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