जयंती विशेष: किशोर कुमार बैठे-बैठे बना दिया करते थे गाना, काफी दिलचस्प है 'पांच रुपैया बारह आना' गाना बनने का किस्सा

किशोर कुमार को बचपन से ही गीत-संगीत में बहुत दिलचस्पी थी। वह बचपन से ही के.एल सहगल के गानों को ख़ूब सुना करते थे। वह बड़े होकर उनकी ही तरह एक सफल गायक बनना चाहते थे।

मशहूर गायक किशोर कुमार की आज 94वीं जयंती है।
मशहूर गायक किशोर कुमार की आज 94वीं जयंती है।
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अतहर मसूद

हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक किशोर कुमार की आज 94वीं जयंती है। वह एक सफल गायक होने के साथ-साथ एक अभिनेता और फ़िल्म निर्माता-निर्देशक भी थे। हिंदी सिनेमा में किशोर कुमार के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत गानों से वह आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। किशोर कुमार के गाने आज भी हमें झूमने के सिए मजबूर कर देते हैं। उनके गाने आज के युवा भी बड़े शौक़ से सुनते और गुनगुनाते हैं। किशोर कुमार ना सिर्फ़ अपनी प्रोफ़ेशनल ज़िंदगी में बल्कि अपनी निजी ज़िंदगी में भी बड़े चुलबुले इंसान थे।

किशोर कुमार का जन्म आज ही के दिन यानी 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था। उनके पिता कुंजलाल गांगुली खंडवा शहर के एक मशहूर वकील थे। किशोर कुमार का असल नाम आभास कुमार गांगुली था। वह अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। सबसे छोटा होने के नाते उन्हें सबका प्यार मिला। किशोर कुमार बचपन से ही बहुत नटखट और हंसमुख मिजाज़ के थे। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार बॉम्बे में हिंदी फ़िल्मों के क़ामयाब अभिनेता थे। उनके भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम किया।

किशोर कुमार ने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी। कॉलेज की कैंटीन में उधार लेकर ख़ुद खाना और अपने दोस्तों को खिलाना उनकी आदत थी। वह दौर ऐसा था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बड़े मायने रखती थी। एक बार किशोर कुमार पर कैंटीन वाले का पांच रुपये बारह आना उधार हो गय। जब कैंटीन वाला उनसे अपने पांच रुपये बारह आने मांगता तो वह कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजाकर पांच रुपये बारह आना को गाना बनाकर कई धुनों में गाने लगते। बाद में किशोर कुमार जब गायक और अभिनेता बने तो उन्होंने इस पर अपनी फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में एक गाना ही गा डाला, जिसके बोल थे दे दो मेरा पांच रुपया बारह आना, इस बात को शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे।

किशोर कुमार को बचपन से ही गीत-संगीत में बहुत दिलचस्पी थी। वह बचपन से ही के.एल सहगल के गानों को ख़ूब सुना करते थे। वह बड़े होकर उनकी ही तरह एक सफल गायक बनना चाहते थे। वहीं किशोर कुमार के बड़े भाई दादामुनि अशोक कुमार चाहते थे कि वह उनकी  तरह हिंदी फ़िल्मों में अभिनेता बने, लेकिन किशोर कुमार अभिनेता बनने के बजाय एक पा‌र्श्व गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने संगीत कभी कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी।


किशोर कुमार नें 1946 में रिलीज़ हुई फ़िल्म शिकारी से बतौर अभिनेता अपना फ़िल्मी करियर शुरू किया। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था। किशोर कुमार ने 1951 में फणी मज़ूमदार की फ़िल्म आंदोलन में लीड रोल निभाया, लेकिन यह फ़िल्म फ़्लॉप साबित हुई। 1954 में उन्होंने बिमल रॉय की फ़िल्म नौकरी में एक बेरोज़गार युवक के किरदार को इतनी ख़ूबसूरती और शिद्दत से निभाया कि फ़िल्म इंडस्ट्री में लोग उनकी अदाकारी के कायल हो गए। उसके बाद उन्होंने 1955 में बाप रे बाप, 1956 में नई दिल्ली, 1957 में आशा और 1958 में चलती का नाम गाड़ी जैसी फ़िल्मों में काम किया, फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में किशोर कुमार अपने दोनों भाई अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ नज़र आए थे। यह बात भी बड़ी मज़ेदार है कि किशोर कुमार की शुरुआत की कई फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज़ दी थी। मोहम्मद रफ़ी ने फ़िल्म रागिनी और शरारत में किशोर कुमार को अपनी आवाज दी थी।

किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौक़ा 1948 में आई फ़िल्म ज़िद्दी में मिला। इस फ़िल्म में उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया था। ज़िद्दी के गानों की सफलता के बावजूद उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में एक गायक के तौर पर ना तो पहचान मिली और ना ही कोई ख़ास काम मिला। फिर किशोर कुमार को मशहूर संगीतकार एस.डी. बर्मन ने काम दिया। उन्होंने किशोर कुमार को 1950 में बनी फ़िल्म प्यार में गाने का मौक़ा दिया। एस.डी. बर्मन नें ही उन्हें फ़िल्म बहार में एक गाना गवाया, जो की काफ़ी हिट हुआ।

किशोर कुमार पर शुरू में एस.डी. बर्मन और अन्य संगीतकारों नें ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। वह सभी उनसे हल्के फुल्के गीत ही गवा रहे थे। फिर किशोर कुमार नें 1957 में रिलीज़ हुई देव आनंद की फ़िल्म फंटूश में दुखी मन मेरे गाने से अपनी ऐसी प्रतिभा दिखाई कि इंडस्ट्री के बड़े-बड़े संगीतकारों को उनकी गायकी का लोहा मानना पड़ा। उसके बाद एस.डी. बर्मन ने किशोर कुमार से अपने और भी कई सारे गाने गवाए। उनके संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाइड, ज्वेल थीफ़, प्रेम पुजारी, और तेरे मेरे सपनें जैसी फ़िल्मों में गाने गाए। किशोर कुमार ने अपनी जादुई आवाज़ से पूरी इंडस्ट्री को अपना दीवाना बना दिया। देखते ही देखते उनकी आवाज़ का जादू उस दौर के नौजवानों पर छा गया।

1969 में रिलीज़ हुई राजेश खन्ना की फ़िल्म आराधना के गानों ने जहां राजेश खन्ना के करियर को उठाया, वहीं इस फ़िल्म के गाने मेरे सपनो की रानी और रूप तेरा मस्ताना नें किशोर कुमार को भी ख़ासी शोहरत दिलाई। इसी फ़िल्म के गाने, रूप तेरा मस्ताना के लिए किशोर कुमार को उनके करियर का पहला फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिला था। संगीतकार आर.डी. बर्मन के साथ भी मिलकर किशोर कुमार नें बहुत से हिट गाने हिंदी सिनेमा को दिए।


किशोर कुमार नें इंडस्ट्री में बतौर गायक उस दौर में अपनी पहचान बनाई, जब फ़िल्म इंडस्ट्री में मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे और तलत महमूद जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था। किशोर कुमार ने देव आनंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन से लेकर अनिल कपूर तक हिंदी फ़िल्मों के अभिनेताओं के लिए गाने गाए। उन्होंने एस.डी. बर्मन से लेकर अनु मलिक तक के संगीतकारों के गाने गाए। वहीं, अगर गायिकाओं की बात की जाए तो उन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोसले से लेकर कविता कृष्णमूर्ती और अलीशा चेनॉय जैसी गायिकाओं के साथ युगल गीत गाए। गायकों में उन्होंने मोहम्मद रफ़ी से लेकर उदित नारायण के साथ डुएट गाए।

किशोर कुमार ने गानों को बंधे-बधाए क्लास से बाहर निकालकर ख़ुद की अपनी बनाई ख़ास लय में गाना शुरू किया, जिसे अंग्रेजी में यूडलिंग कहते हैं, यानि गाने के हाई और लो पिच के बीच में तेज़ी से बदलने वाला अंदाज़ पैदा करना। इसे यूडल सिंगिंग भी कहते हैं। उनके इस वेस्टर्न स्टाइल को संगीतकार आर.डी. बर्मन नें भारतीय संगीत में ढाला। उनके बाद इंडस्ट्री में आए गायक कुमार सानू ने उनके इस स्टाइल को गाने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरह गा नहीं पाए।

किशोर कुमार की निजी ज़िंदगी की बात की जाए तो उन्होंने पहली शादी रूमा देवी से की थी, जिससे उनको एक बेटा अमित कुमार हुआ, लेकिन यह शादी ज़्यादा लम्बी नहीं चल पाई। उसके बाद उन्होंने अभिनेत्री मधुबाला से शादी की। वह उनकी दूसरी पत्नी बनीं। मधुबाला और किशोर कुमार नें 1961 की फ़िल्म झुमरू में साथ में काम किया था। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी। इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया था। 1962 में वह मधुबाला के साथ फ़िल्म हाफ़ टिकट में नज़र आए। मधुबाला के गुज़र जाने के बाद किशोर कुमार ने 1976 में अभिनेत्री योगिता बाली से तीसरी शादी की, लेकिन यह शादी भी ज़्यादा दिनों तक नहीं चल पाई। फिर उन्होंने 1980 में अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर से चौथी शादी की, इस शादी से उनको एक बेटा सुमित कुमार हुआ।

किशोर कुमार 40 के दशक से लेकर 80 के दशक तक हिंदी फ़िल्मों के संगीत पर छाए रहे। उन्होंने हिंदी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, भोजपुरी और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गाने गाए। किशोर कुमार को 8 बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिला। किशोर कुमार नें लगभग 80 फ़िल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। इसके साथ ही उन्होंने 10 से ज़्यादा फ़िल्मों का निर्देशन भी किया था। फ़िल्म पड़ोसन में उन्होंने जिस मस्त मौला इंसान का किरदार निभाया वही किरदार वह अपनी असल ज़िन्दगी में भी निभाते रहे। 13 अक्टूबर 1987 को हार्ट अटैक की वजह से किशोर कुमार ने इस फ़ानी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

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Published: 04 Aug 2023, 3:20 PM