जयंती विशेष: अपराजेय एथलीट थे मेजर ध्यानचंद, उनके करोड़ों चाहने वालों और परिजनों की ये मांग आजतक नहीं हुई पूरी

मेजर ध्यानचंद के बेटे और विश्व कप विजेता टीम के सदस्य अशोक ध्यानचंद ने कहा कि चार्ली चैपलिन ओलंपिक विलेज आए थे और ध्यानचंद तथा उनके टीम साथियों के साथ मुलाकात की थी। अमेरिकी मीडिया ने इसे काफी हाईलाइट किया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

साल 1931 में हॉलीवुड स्टार चार्ली चैपलिन ने लंदन में ईस्ट इंडिया डॉक रोड स्थित एक छोटे से घर में महात्मा गांधी के साथ एक छोटी सी मुलाकात की थी। ठीक एक साल बाद, लॉस एंजेलिस में चार्ली चैपलिन ने हॉकी के जादूगर और भारतीय आइकन मेजर ध्यानचंद के साथ मुलाकात की। यह भारत के दो आइकनों के साथ उनकी दूसरी यादगार मुलाकात थी। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद 1932 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीतने के बाद ही तुरंत स्टार बन गए थे।

मेजर ध्यानचंद के बेटे और विश्व कप विजेता टीम के सदस्य अशोक ध्यानचंद सहित कई ओलंपियन ध्यानचंद को भारत देने की मांग कर चुके हैं। अशोक ने खुलासा करते हुए कहा, "चार्ली चैपलिन ओलंपिक विलेज आए थे और ध्यानचंद तथा उनके टीम साथियों के साथ मुलाकात की थी। अमेरिकी मीडिया ने इसे काफी हाईलाइट किया था।"

अपने पिता को याद करते हुए अशोक ने कहा कि हर साल 29 अगस्त को जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाकर भारत अपने हॉकी के दिग्गज का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, "यह न केवल हमारे परिवार के लिए बल्कि देश के सभी खेल प्रेमियों के लिए एक सम्मान है। और यह सच है कि न केवल हमारी ओर से, बल्कि भारत के लोगों ने भी ध्यानचंद के लिए भारत रत्न की मांग की है। अब यह सरकार को तय करना है। जहां तक मुझे पता है कि खेल मंत्रालय (यूपीए-2 के दौरान) ने दादा के लिए भारत रत्न की सिफारिश की थी। लेकिन फाइल पर अंतिम मंजूरी सचिन (तेंदुलकर) के लिए थी।"

अशोक ने 1975 में कुआलालम्पुर में पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल करके भारत को पहला विश्व कप दिलाया था। अशोक ने तेंदुलकर को लेकर कहा, "सचिन के लिए मेरे मन में सम्मान और प्यार है। वह भारत के अब तक के सबसे महान क्रिकेटर हैं लेकिन शीर्ष खेल इतिहासकारों का मानना है कि ध्यानचंद भारतीय उपमहाद्वीप में पैदा हुए सबसे महान खिलाड़ी थे..क्योंकि वह अपराजेय थे। एक एथलीट के लिए किसी भी खेल अनुशासन में पूरे करियर के लिए अजेय रहना, अपने आप में एक रिकॉर्ड है।"


ध्यानचंद के लिए भारत रत्न देने की मांग पर अशोक ने कहा कि उनका बेटा होने के नाते, हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस की पूर्वसंध्या पर उनसे यह सवाल पूछा जाता है। अशोक ने कहा, " अक्सर मुझे लगता है कि मुझसे भारत रत्न के बारे में क्यों पूछा जा रहा है? सरकार से सवाल पूछा जाना चाहिए। यूपीए-2 शासन के लिए यह अधिक सटीक है, जिसने दादा के लिए भारत रत्न की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन खेल मंत्री की सिफारिश का सम्मान नहीं किया गया। हालांकि, सरकार ने उनकी याद में कई पुरस्कारों की घोषणा की है। उनके नाम पर कई स्टेडियम बनाए गए हैं। दादा के खेल में योगदान के लिए सरकार की मान्यता से मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर सरकार राष्ट्रपति भवन में अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ कोच के लिए) देकर उत्कृष्ट खिलाड़ियों का सम्मान करती है।

खेलों में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए भारत का सर्वोच्च पुरस्कार-ध्यानचंद पुरस्कार है जिसे 2002 से हर साल के खेल के आंकड़ों के आधार पर सम्मानित किया जाता है जो न केवल अपने प्रदर्शन के माध्यम से योगदान करते हैं, बल्कि संन्यास के बाद भी खेल में योगदान करते हैं।

सरकार ने ध्यानचंद की याद में दिल्ली में मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम का नाम भी रखा है। भारत और विदेशों दोनों में कई सड़कों, पार्कों और खेल के मैदानों का नाम हॉकी जादूगर की याद में रखा गया है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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Published: 29 Aug 2021, 11:05 AM
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