जन्मदिन विशेष: रांची के शायर अनवर अली के तौर पर हुआ था अमिताभ बच्चन का सबसे पहला फिल्मी अवतार

अमिताभ बच्चन सेल्यूलॉयड के स्क्रीन पर जिस किरदार के तौर पर सबसे अवतरित हुए थे, उसका नाम 'अनवर अली' है। 1969 में आई इस फिल्म का नाम था 'सात हिन्दुस्तानी'। मशहूर फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास की इस फिल्म में उन्होंने रांची के हिंदपीढ़ी निवासी शायर का रोल निभाया था।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

रांची के शायर 'अनवर अली' 11 अक्टूबर को 80 साल के हो जायेंगे। आप पूछ सकते हैं कि जनाब यह अनवर अली हैं कौन? ..तो चलिए बता देते हैं कि यह 'अनवर अली' कोई और नहीं, हिंदी फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन हैं। दरअसल, अमिताभ बच्चन सेल्यूलॉयड के स्क्रीन पर जिस किरदार के तौर पर सबसे अवतरित हुए थे, उसका नाम 'अनवर अली' है। 1969 में आई इस फिल्म का नाम था 'सात हिन्दुस्तानी'। मशहूर फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास की इस फिल्म में उन्होंने रांची के हिंदपीढ़ी निवासी शायर का रोल निभाया था। यह और बात है कि यह किरदार काल्पनिक है यानी इस नाम का कोई नामचीन शायर रांची में नहीं हुआ।

इस फिल्म की पटकथा गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से आजाद कराने की लड़ाई पर आधारित है। देश के अलग-अलग राज्यों के सात लोग इस मिशन पर गोवा रवाना होते हैं। इन्हीं में से एक हैं अनवर अली। फिल्म के एक डायलॉग में अमिताभ खुद अपनी तारीफ बताते हुए कहते हैं- मैं हूं अनवर अली। बिहार के रांची का रहनेवाला हूं और शायरी करता हूं। बताते चलें कि अनवर अली के इस किरदार को अमिताभ बच्चन ने बड़ी संजीदगी से जीया था और यही वजह थी कि उन्हें इस रोल के लिए बेस्ट न्यूकमर के पुरस्कार से नवाजा गया था। दिलचस्प बात यह कि इस रोल के लिए ख्वाजा अहमद अब्बास ने अमिताभ को बतौर मेहनताना पांच हजार रुपये दिये थे। अमिताभ ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उस दौर में यह रकम बहुत ज्यादा नहीं, तो एक न्यूकमर आर्टिस्ट के लिए बहुत कम भी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा था, अगर अनवर अली के किरदार के तौर पर मुझे ब्रेक न मिला होता, तो पता नहीं मैं आज किस मुकाम पर होता।


सात हिन्दुस्तानी सबसे पहले दिल्ली के 'शीला सिनेमा' में रिलीज हुई थी। इसका फर्स्ट शो अमिताभ ने अपने मां-बाबूजी के साथ देखा था। इसके पहले फिल्म का ट्रायल शो भी हुआ था, जिसमें अब्बास साहब ने मीना कुमारी को खास तौर पर इन्वाइट किया था। मीना कुमारी ने ट्रायल शो देखने के बाद अनवर अली के किरदार की जमकर तारीफ की थी। अमिताभ अपनी तारीफ सुनकर शरमा गये थे।

दरअसल, ख्वाजा अहमद अब्बास का रांची से खास रिश्ता था और शायद यही वजह रही कि 'सात हिन्दुस्तानी' की पटकथा में उन्होंने रांची को शामिल किया था। उनकी रांची के मशहूर राइटर ग्यास अहमद सिद्दीकी से गहरी दोस्ती थी। ग्यास अहमद सिद्दीकी के भाई और रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ सिद्दीकी मुजीबी के बकौल जब भी उनके भाईजान मुंबई जाते, तो ख्वाजा साहब उन्हें खुद रिसीव करने स्टेशन आ जाते थे। फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' में रांची का जिक्र करीब आधा दर्जन बार आया है। अमिताभ अनवर अली का रोल निभाते हुए एक बार यह भी बताते हैं कि वह रांची के हिंदपीढ़ी के रहने वाले हैं।

11 अक्टूबर संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है और इसी दिन अमिताभ भी अपना जन्मदिन मनाते हैं। इसे महज संयोग कहा जाये या कुछ और, लेकिन 'सात हिन्दुस्तानी' में अनवर अली के रोल में अमिताभ एक डायलॉग बोलते हुए लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नाम लेते हैं। इस डायलॉग में अमिताभ बोलते हैं। मैं उस बिहार राज्य का रहनेवाला हूं, जहां लोकनायक जयप्रकाश नारायण और मौलाना मजहरुल हक की पैदाइश हुई है।

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