जयंती विशेष: श्रीदेवी...'रूप की रानी' के वो अंदाज, जिसके आज भी करोड़ों लोग हैं दीवाने

1979 में आई फ़िल्म सोलवां सावन से श्रीदेवी ने बतौर लीड एक्ट्रेस हिंदी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया, लेकिन उन्हें पहचान साल 1983 में रिलीज़ हुई फ़िल्म हिम्मतवाला से मिली, जिसमें उनके हीरो थे जीतेन्द्र।

अभिनेत्री श्रीदेवी की आज 60वीं जयंती है।
अभिनेत्री श्रीदेवी की आज 60वीं जयंती है।
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अतहर मसूद

हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की आज 60वीं जयंती है। बॉलीवुड में यूं तो बहुत सी ख़ूबसूरत और दमदार अभिनेत्रियां आईं, लेकिन किसी को सुपरस्टार नहीं कहा गया। फिर 80 और 90 के दशक में फ़िल्म इंडस्ट्री में एक अभिनेत्री ऐसी आई, जिसने अपनी दमदार एक्टिंग, डांस और ख़ूबसूरती से सब का दिल जीत लिया। उन्हें बॉलीवुड की पहली सुपरस्टार अभिनेत्री का दर्जा मिला। वह अभिनेत्री कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की मिस हवा हवाई यानी श्रीदेवी थीं। जिन्हें बाद में रूप की रानी भी कहा गया।

श्रीदेवी का जन्म आज ही के दिन यानी 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु के शिवाकाशी में हुआ था। बचपन में उनका नाम उनके माता-पिता नें श्रीअम्मा यंगोर अयप्पन रखा था। लेकिन हिंदी सिनेमा में वह श्रीदेवी के नाम से मशहूर हुईं। श्रीदेवी की मातृभाषा तमिल थी, इसीलिए जब उन्होंने हिंदी फ़िल्मों में क़दम रखा तो उन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती थी। उनके पिता पेशे से एक वकील थे। वहीं उनकी माता एक गृहिणी थीं। 1975 में रिलीज़ हुई फ़िल्म जूली में उन्होंने एक बाल किरदार निभाया था। यहीं से उनका हिंदी फ़िल्मों में काम करना शुरू हो गया।

1979 में आई फ़िल्म सोलवां सावन से श्रीदेवी ने बतौर लीड एक्ट्रेस हिंदी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया, लेकिन उन्हें पहचान साल 1983 में रिलीज़ हुई फ़िल्म हिम्मतवाला से मिली, जिसमें उनके हीरो थे जीतेन्द्र। श्रीदेवी हिंदी फ़िल्मों से पहले तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फ़िल्मों में काम कर चुकी थीं। जब उन्होंने हिंदी फ़िल्में करनी शुरू की तो शुरुआत में वह अपनें डॉयलॉग्स ख़ुद नही बोल पातीं थीं, क्योंकि उन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती थी, ऐसे में अभिनेत्री नाज़ उनके डॉयलॉग्स की रिकॉर्डिंग किया करतीं थीं। फ़िल्म आख़िरी रास्ता में श्रीदेवी के संवाद अभिनेत्री रेखा से रिकॉर्ड करवाए गए थे।

श्रीदेवी नें अपने बचपन में तेलुगु फ़िल्मों के सुपरस्टार एन.टी. रामाराव की फ़िल्म में एक बाल किरदार निभाया था। फिर कुछ सालों बाद वह उनके साथ बतौर उनकी हीरोइन भी फ़िल्मों में नज़र आईं। उन्होंने एन.टी. रामाराव के बेटे बलराज राव के साथ भी फ़िल्मों में काम किया।


श्रीदेवी को बॉलीवुड में एक कुशल नृत्यांगना के तौर भी जाना जाता है। उन्हें एक अच्छा डांसर बनाने में मशहूर कोरिग्राफ़र सरोज ख़ान का बहुत बड़ा योगदान था। सरोज ख़ान नें उन्हें बॉलीवुड में एक अच्छी डांसर अभिनेत्री बनाया। ऐसा कहा जाता है की दर्शक सिनेमाघरों में श्रीदेवी की फ़िल्में ख़ास तौर पर उनके डांस को देखने के लिए जाया करते थे। श्रीदेवी नें क़रीब दो दशकों के टॉप एक्टर्स के साथ पर्दे पर रोमांस किया। 80 के दशक में उन्होंने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, जीतेन्द्र, ऋषि कपूर और 90 के दशक में सनी देओल, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, संजय दत्त, शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान और अक्षय कुमार जैसे दिग्गज एक्टर्स के साथ फ़िल्में की।

90 के दशक में श्रीदेवी मात्र अकेली ऐसी अभिनेत्री थीं, जो उस समय अपनी एक फ़िल्म की फ़ीस एक करोड़ लिया करतीं थीं। उनकी बहुत सी ऐसी फ़िल्में हैं, जिसमें उन्हें दूसरे ऑप्शन के तौर पर साइन किया गया था। श्रीदेवी की तीन फ़िल्में ऐसी थीं, जिसमें पहले दूसरी अभिनेत्री को लिया जाना था। जैसे नगीना में जया प्रदा, चांदनी में रेखा और सदमा में डिंपल कपाड़िया को लिया जाना था, लेकिन इन अभिनेत्रियों के मना करने के बाद यह फ़िल्में श्रीदेवी को मिली। यह सभी फ़िल्में सुपरहिट साबित हुईं।

मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने बॉलीवुड की लगभग सभी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों के साथ काम किया था। उनका कहना था कि 90 के दशक की अभिनेत्रियों में जूही चावला और माधुरी दीक्षित अच्छी हैं, लेकिन श्रीदेवी बेहतरीन हैं। श्रीदेवी नें यश चोपड़ा की फ़िल्म चांदनी और लम्हे में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया था। फ़िल्म चांदनी में ही उन्होंने पहली बार अपने डॉयलॉग्स ख़ुद बोले थे। यही नहीं उन्होंने इस फ़िल्म में गायक जॉली मुख़र्जी के साथ फ़िल्म का टाइटल सॉन्ग भी गाया था।

फ़िल्म चालबाज़ के गाने किसी के हाथ ना आएगी ये लड़की की शूटिंग के वक़्त श्रीदेवी को 103 डिग्री बुख़ार था। उस गाने की शूटिंग भी बारिश में होनी थी, लेकिन उन्होंने उसी हालत में अपने उस गाने की शूटिंग को पूरा किया। फ़िल्म मिस्टर इंडिया में बोनी कपूर श्रीदेवी को ही लेना चाहते थे, क्योंकि वह उनके डांस और एक्टिंग के बहुत बड़े दीवाने थे। जब बोनी कपूर फ़िल्म का ऑफ़र लेकर उनके घर पहुंचे, तो श्रीदेवी की मां उनसे 10 लाख रुपये की फ़ीस की डिमांड की, लेकिन बोनी कपूर नें उस फ़िल्म के लिए श्रीदेवी को 11 लाख रुपए की फ़ीस दी। फ़िल्म का गाना कहतें हैं मुझको हवा हवाई उस वक़्त इतना ज़्यादा पॉपुलर हुआ कि उसके बाद से श्रीदेवी को बॉलीवुड में मिस हवा हवाई कहा जाने लगा था। साल 1996 में श्रीदेवी ने बोनी कपूर से शादी कर ली। कहा जाता है की श्रीदेवी की मां को यह रिश्ता नही मंज़ूर था, क्योंकि बोनी कपूर पहले से शादी-शुदा थे। श्रीदेवी की मां उन्हें पसंद भी नही करतीं थीं।


श्रीदेवी की फ़िल्म लाडला में पहले दिव्या भारती काम कर रही थीं। फ़िल्म आधी शूट भी की जा चुकी थी, लेकिन दिव्या भारती की एक हादसे में मौत हो जाने के बाद यह फ़िल्म श्रीदेवी को मिली और फ़िल्म लाडला उनकी एक हिट फ़िल्म साबित हुई। इसी तरह फ़िल्म बाज़ीगर में पहले श्रीदेवी को डबल रोल के लिए लिया जाना था, लेकिन उनके मना करने के बाद फ़िल्म में काजोल और शिल्पा शेट्टी को साइन किया गया। फ़िल्म रूप की रानी चोरों का राजा में दुश्मन है जो मेरे दिल का गाने की शूटिंग के दौरान श्रीदेवी नें 25 किलो के सोने का ड्रेस पहना था, जिसकी शूटिंग 15 दिनों तक चली थी।

श्रीदेवी जब अपने करियर के शिखर पर थीं तो उन्होंने ख़ुदगर्ज़, विजय, अजूबा, लेकिन, डर, बेटा, बाज़ीगर, मोहरा, अंजाम, दिल तो पागल है, यादें, युगपुरुष, कारोबर, शक्ति द पॉवर और बाग़बान जैसी फ़िल्मों को करने से मना कर दिया था। इनमें से कुछ फ़िल्में सुपर हिट भी साबित हुईं थीं। 1997 में रिलीज़ हुई उनकी फ़िल्म जुदाई के बाद से उन्होंने फ़िल्में करनी छोड़ दीं थी। अब वह अपना पूरा समय अपनी बच्चियों की परवरिश में लगा रहीं थीं। फिर काफ़ी लम्बे अरसे के बाद श्रीदेवी नें 2012 में रिलीज़ हुई फ़िल्म इंग्लिश विंगलिश से एक बार फिर बड़े पर्दे पर अपनी वापसी की। फ़िल्म काफ़ी चली, एक लम्बे अरसे के बाद श्रीदेवी के चाहने वालों ने उन्हें किसी फ़िल्म में देखा था। फ़िल्म की कहानी भी बड़ी ज़बरदस्त थी।

साल 2017 में रिलीज़ हुई फ़िल्म मॉम उनकी 300वीं फ़िल्म थी। जो की उनके बॉलीवुड करियर के 50 साल पूरे होने पर रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म में उनके को-एक्टर रहे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी नें फ़िल्म की स्टोरी को बिना सुने ही हां बोल दिया था, क्योंकि फ़िल्म में श्रीदेवी काम कर रहीं थीं। इत्तेफ़ाक़ से यही फ़िल्म उनकी आख़िरी फ़िल्म साबित हुई, क्योंकि इसी फ़िल्म के बाद 24 फ़रवरी 2018 को दुबई में उनका निधन हो गया। जहां वह एक शादी समारोह में शिरकत करने गईं थीं। उनके पार्थिव शरीर को अम्बानी के प्राइवेट जेट से मुंबई लाया गया था।

श्रीदेवी के लिए ज़्यादातर गाने आशा भोसले और कविता कृष्णमूर्ती नें गाए, लेकिन लता मंगेशकर उनकी पसंदीदा गायिका थीं। उन्होंने ही श्रीदेवी के ज़्यादातर हिट गाने गाए थे। श्रीदेवी को सफ़ेद रंग से बहुत प्यार था। उन्होंने अपनी फ़िल्म लम्हे की शूटिंग के दौरान अपनी यह इच्छा जताई थी कि वह जब दुनिया से जाएं तो उन्हें सफ़ेद फूलों के साथ सफ़ेद कपड़ों में बिदा किया जाया। उनकी इसी इच्छा के अनुरूप ही उनकी अंतिम यात्रा में उन्हें सफ़ेद रंग के कपड़ों और फूलों के साथ बिदा किया गया।

श्रीदेवी नें 5 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड अपने नाम किया था। इसके अलावा साल 2013 में भारत सरकार नें उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा था। उनके मरणोपरांत फ़िल्म मॉम के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी दिया गया। श्रीदेवी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी एक से बढ़कर एक शानदार फ़िल्मो में निभाए गए अपने किरदारों से वह आज भी लाखों लोगों के दिलों में ज़िन्दा हैं।

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