हेमलता पटेल: गुलाबी गैंग की वो लीडर जो हजारों महिलाओं की बनीं आवाज, अब चुनावी मैदान में कर रहीं जोर-आजमाइश

हेमलता पटेल कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी की तारीफ करती हुई कहती हैं कि प्रियंका गांधी जी के उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनने पर उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया, वो मेरी महिलाओं के मुद्दों पर सक्रियता सहित समाजसेवा से बहुत प्रभावित हुईं और मुझे उन्होंने लखनऊ बुलवाया।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

हेमलता पटेल की शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी। शादी के बाद पढ़ाई की। पहले वो गांव की प्रधान बनीं। किसान संगठन में रहकर किसानों के हित मे लड़ाई लड़ीं। उसके बाद चित्रकूट की सम्पत पाल के साथ मिलकर गुलाबी गैंग बनाया। जिसने बुंदेलखंड की महिलाओं में इंक़लाब ला दिया। अब वो कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर की अयाह शाह सीट से दिग्गजों के बीच विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। बांदा के चिल्लापार की रहने वाली हेमलता पटेल की कहानी 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' मुहिम का साक्षात उदाहरण है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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क्रांतिकारी महिलाओं की भूमि बुंदेलखंड की हेमलता पटेल दुनियाभर में चर्चित गुलाबी गैंग की संस्थापक सदस्य हैं। वो इस समय गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक नाम से संगठन चला रही हैं। इससे पहले हेमलता पटेल ने ही संपत पाल के साथ मिलकर बुंदेलखंड की महिलाओं के सबसे दमदार समूह गुलाबी गैंग की स्थापना की थी। गुलाबी गैंग में हजारों महिला स्वयंसेविकाएं हैं। ये महिलाएं लाठी चलाने में पारंगत है। वो स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के महिला उत्पीड़न के विरुद्ध शशक्त आवाज उठाती हैं। गुलाबी गैंग की लोकप्रियता का आलम यह है कि देश-विदेश में कई जगह इस पर फिल्में बन चुकी है। हेमलता पटेल बताती हैं, जब कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने उनसे बुलाकर मुलाकात की और कहा कि एक गुलाबी साड़ी उन्हें भी दिलवा दो, तो यह उनकी जिंदगी का बेहतरीन पल था। दरअसल इस संगठन की सभी महिलाएं गुलाबी साड़ी ही पहनती हैं और लाठी लेकर चलती हैं।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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मजबूत जिजीविषा और अन्याय के प्रति लड़ाकू स्वभाव की हेमलता पटेल राजनीति में सक्रिय कांग्रेस के माध्यम से ही हुई हैं। वो फतेहपुर महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष भी हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें अयाहशाह विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। हेमलता पटेल बताती हैं कि उन्हें काम कराने के लिए अक्सर नेतागणों और जनप्रतिनिधियों के पास जाना पड़ता है। जहां से उन्हें टाल-मटोल और नकारात्मक प्रतिक्रिया मिल जाती है। इस संभावना को कमजोर करने के लिए और महिलाओं को सीधी शक्ति देने के लिए वो चुनाव लड़ रही हैं। वो जीतीं तो अन्याय के विरुद्ध और जोरदार प्रतिकार करेंगी। वो कहती हैं कि, पुरुषों के विरुद्ध नहीं हैं मगर हमारी प्राथमिकता महिला हितों की रक्षा रहना है। हेमलता पटेल कांग्रेस के 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान की प्रतीक है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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हेमलता पटेल जिस अयाह शाह विधानसभा में चुनाव लड़ रही हैं। वहां से समाजवादी पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विशंभर प्रसाद निषाद को मैदान में उतारा है। सपा ने निषाद चेहरा उतारकर बीजेपी के ओबीसी वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। विशंभर निषाद के आने से इस सीट के समीकरण बदल गए हैं। भाजपा यहां पूर्व मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल को लड़ा रही है। हेमलता पटेल ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। महिला हितों के लिए संघर्ष करने वाले हेमलता पटेल 2010 में अपने गांव से प्रधान चुनी गईं थी। हेमलता बताती हैं उन्होंने लोगों के अनुरोध पर चुनाव लड़ा और गांव के लोगों ने उन्हें जिताया भी। हेमलता ने अपने कार्यकाल में ऐतिहासिक कार्य करवाए, जिसमें मुख्य काम गांव में बालिका इंटर कॉलेज बनवाना और साथ ही एक माडल स्कूल भी तैयार करवाना है। हेमलता बताती हैं कि गांव में लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई स्कूल नहीं था और लड़कियों के परिजन दूसरे गांवों के स्कूल में भेजने से डरते थे। हेमलता कहती हैं एक इंटर कालेज बनवाना एक प्रधान के कार्यक्षेत्र से बाहर होता है फिर भी उन्होंने यह किया।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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हेमलता पटेल को बहुत अधिक लोकप्रियता बांदा के चर्चित शीलू हत्याकांड से मिली, इस बलात्कार कांड के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया। बाद में यह घटना भी 2012 में बसपा की हार की एक वजह बनी। हेमलता पटेल बताती हैं उनके संगठन में आस पास जिलों की मिलाकर लगभग 5000 औरतें जुड़ी हुई हैं।‌ हेमलता फतेहपुर समेत अन्य आसपास के जिलों में महिला हिंसा, महिला प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष के लिए जानी जाती है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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हेमलता बताती हैं कि उनके संगठन में महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के साथ साथ आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए जाते हैं जिसको गुलाबी आत्म सुरक्षा पहल कहा जाता है । महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को देखते हुए उन्हें लट्ठ चलाना सिखाया जाता था, ताकि ज़रुरत पड़ने पर वो अपनी आत्म रक्षा में प्रयोग कर सके। गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक के अंतर्गत गुलाबी पंचायत बुलाई जाती रही है जिसमें महिलाएं अपनी अपनी व्यथा को लेकर आती थी और उस व्यथा का हल भी निकाला जाता था, इसके अलावा महिलाओं की सभी समस्यायों का निदान होता है। हेमलता पटेल गुलाबी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भी बना रही हैं। हेमलता बताती हैं 2017 उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 50% पंचायती चुनावों में महिला आरक्षण का मुद्दा भी उठाया था, कांग्रेस का टिकट वितरण में 40 फ़ीसद आरक्षण एक शानदार पहल है।

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हेमलता पटेल कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी की तारीफ करती हुई कहती हैं कि प्रियंका गांधी जी के उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनने पर उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया, वो मेरी महिलाओं के मुद्दों पर सक्रियता सहित समाजसेवा से बहुत प्रभावित हुईं और मुझे उन्होंने लखनऊ बुलवाया। यहां प्रियंका गांधी जी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए कहा जो उनके लिए एक सम्मानित लम्हा था। हेमलता बताती हैं कि प्रियंका गांधी ने एक रैली के दौरान भी कहा था कि ‘हेमलता एक गुलाबी साड़ी मुझे भी चाहिए।’

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गुलाबी गैंग की सदस्य सुनीता वर्मा कहती हैं कि “दीदी ने उन्हें अपने अधिकार लेने के लिए लड़ना सिखाया हैं, दीदी से हमे बहुत हिम्मत और ऊर्जा मिलती है”। हेमलता के संगठन की एक महिला सुधा पटेल बताती हैं कि “आज जो गांव में स्कूल है सब दीदी की मेहनत की देन है, हमारे बच्चे आज गांव के ही स्कूल जाते हैं। पहले दूसरे गांव में बने स्कूल जाना पड़ता था”। हेमलता के गांव की एक अन्य महिला शहनाज़ बताती हैं ” हमारे हर छोटे बड़े सरकारी काम दीदी ही करवाती हैं हम इतने पढ़े लिखे नहीं हैं, हेमलता दीदी ने हमारा पेंशन से लेकर राशन कार्ड बनवाने तक का काम करवाया है”। हेमलता पटेल कहती हैं, ”हमेशा से उनकी कोशिश रही है कि महिलाएं पुरुष प्रधान समाज में आत्म सम्मान से जिए और आत्मनिर्भर बनें, बुंदेलखंड में बहुत अधिक पिछड़ापन है। खासकर महिलाओं की हालात काफी खराब है। वो चाहती हैं महिला शशक्त हो तभी एक परिवार मजबूत होगा।"

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