मानवीय संवेदनाओं से भरा है प्रेमचंद का रचना संसार

प्रेमचंद का रचना संसार इतना व्यापक और विविध है कि उनकी लगभग सभी कृतियां मानवीय संवेदनाओं को छू जाती हैं। कुछ लोगों को उनके ‘आदर्शवादी यथार्थवाद’ से परहेज हो सकता है, लेकिन ऐसे लोग भी उनके लेखन की सरलता और गहनता के प्रशंसक हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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प्रगति सक्सेना

प्रेमचंद हमारे देश की मिट्टी में इतने रचे-बसे हैं कि देश के किसी भी कोने में किसी भी थोड़े-बहुत पढ़े-लिखे व्यक्ति से चाहे वो किसी भी उम्र का हो, पूछ सकते हैं और वो आपको जरूर बताएगा कि प्रेमचंद की लिखी कौन सी कहानी उसकी पसंदीदा कहानी है। ज्यादातर बच्चे ‘ईदगाह’ को अपनी प्रिय कहानी बताते हैं तो कुछ ‘दो बैलों की कथा’ को।

वयस्कों की पसंद जरा अलग हो सकती है। हो सकता है कि वो ‘गोदान’ का नाम लें, या ‘कफन’ का या ‘बड़े घर की बेटी’ का। उनका रचना जगत इतना व्यापक और विविध है कि लगभग सभी रचनाए मानवीय संवेदनाओं को छू जाती हैं। कुछ लोगों को उनके ‘आदर्शवादी यथार्थवाद’ से परहेज हो सकता है, लेकिन ऐसे लोग भी उनके लेखन की सरलता और गहनता के प्रशंसक हैं।

तो आपकी सबसे पसंदीदा प्रेमचंद की कहानी कौन सी है और क्यों?

प्रसिद्ध कवि, लेखक और पत्रकार प्रियदर्शन ने बताया कि उनकी प्रिय कहानी है ‘पंचपरमेश्वर’। हालांकि वो भी इसी दुविधा में फंसे रहे कि कौन सी कहानी का नाम लें, क्योंकि ऐसी बहुत सी प्रेमचंद की कहानियां हैं जो उन्हें बहुत पसंद हैं। लेकिन उन्होंने इसी कहानी को क्यों चुना, पूछने पर वह कहते हैं, “मुझे पंच परमेश्वर बहुत अच्छी लगती है, शायद बूढ़ी खाला की वजह से, जिसका एक वाक्य हम सबका इम्तेहान लेता रहता है- “बिगाड़ के डर से ईमान की बात ना बोलोगे, बेटा?”

हिंदी के प्राध्यापक पल्लव कहते हैं, “प्रेमचंद की पहली याद स्कूल की ही है, जब कहानी ईदगाह पढ़ी थी। आज भी वह कहानी अद्भुत लगती है। पहली बात तो ये कि प्रेमचंद ने भारतीय कथा परंपरा को जबरदस्त बदल दिया। हमारे यहां शास्त्रीय आख्यानों में कथा नायक राजा या तथाकथित उच्च वर्ण के लोग होते थे। प्रेमचंद ने उस आसन पर गरीब,अनाथ, और पिछड़े हामिद को बैठा दिया। यह बड़ा काम था। दूसरी बात है कहानी कहने की कला। पात्रों को चरित्र की ऊंचाई देना और अभावों के बावजूद जीवन की मस्ती ना खोने देना प्रेमचंद की कला है। ईदगाह बच्चों के मानवीय अधिकारों के प्रति हमें संवेदनशील बनाती है और गरीबी जैसे शाश्वत सवाल को फिर खड़ा करती है।”

पत्रकार इमरान खान की सबसे प्रिय कहानी है ‘मंत्र’। एक गरीब आदमी का बीमार बेटा इसलिए मर जाता है, क्योंकि डॉक्टर गोल्फ खेलने में व्यस्त है। लेकिन जब डॉक्टर के बेटे को सांप काट लेता है और उस गरीब आदमी को पता है कि वो उसका इलाज कर सकता है, तो वो अपने बेटे का बदला लेने और अपना फर्ज निभाने के बीच के द्वन्द में फंस जाता है और अंततः भलाई की जीत होती है।

कवि और पत्रकार विमल कुमार को प्रेमचंद की दो कहानियां बहुत पसंद हैं, ‘नशा’ और बड़े भाईसाहब’। वह कहते हैं, “बड़े भाईसाहब तो मुझे विश्वस्तर की कहानी लगती है। क्या जबरदस्त कथात्मकता है, क्या शानदार रवानगी। एक छोटा भाई परिवार के भीतर की शक्ति संरचना को पकड़ता है। छोटे भाई का मनोविज्ञान इसी शक्ति संरचना में जन्म लेता है। प्रेमचंद हर तरह के सत्ता विमर्श को स्थानीय और जमीनी स्तर पर देखते हैं और परिवार उसकी इकाई है। नशा भी उसी सत्ता विमर्श के मनोविज्ञान की कहानी है। यह भारतीय मनोविज्ञान नहीं अंतर्राष्ट्रीय मनोविज्ञान है। अपने दोस्त के बहाने सत्ता विमर्श की व्यर्थता का बोध भी कहानी के नायक को होता है।”

प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल प्रेमचंद की ‘पूस की रात’ और ‘बड़े भाईसाहब’ के बीच दुविधा में रहते हैं, लेकिन आखिरकार बड़े भाईसाहब को चुनते हैं। क्योंकि उनके अनुसार, “ ये कहानी दो भाईयों के रिश्ते की कहानी है, बचपन का दिलचस्प वर्णन है और शिक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर टिप्पणी।” इससे पहले शायद ही किसी कथाकार ने ऐसे जाती कथानक को चुना। बल्कि बाद के कहानीकारों ने शिक्षा पर या बचपन पर जो कहानियां बुनीं, उसमें ‘बड़े भाई साहब के प्रतिबिम्ब जरूर दिखाई दे जाते हैं।”

ये तो हुई बुद्धिजीवियों की बात। अब आप सोचिये, आपकी सबसे प्रिय प्रेमचंद की कहानी कौन सी है और क्यों? शायद ये चिंतन आपको प्रेमचंद की प्रासंगिकता का एहसास एक बार फिर करा जाए।

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