पुण्यतिथि विशेषः कर्मयोगी गांधी की कहानी चित्रों की ज़ुबानी

बापू अपने समय से आगे चलने वाले चिंतक ही नहीं, ठोस काम करने वाले कर्मयोगी और आजादी की लड़ाई के कुशल रणनीतिकार भी थे। युवा लेखिका जान्हवी प्रसाद ने बापू की आत्मकथा ‘माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ पढ़ी तो उसे एक चित्रात्मक पुस्तक के रूप में पेश करने की ठानी।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गांधी जी पर बड़ों के लिए तो अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं, लेकिन बच्चों के लिए बच्चा बनकर एक सहज और सरल चित्र कथा का विचार अनछुआ ही रहा। युवा लेखिका जान्हवी प्रसाद ने जब 1920 के आसपास लिखी गई और नवजीवन में धारावाहिक रूप से प्रकाशित बापू की आत्मकथा ‘माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ (सत्य के साथ मेरे प्रयोग) पढ़ी तो उन्होंने इस विषय पर कुछ अलग तरह से काम करने और उसे एक चित्रात्मक पुस्तक के रूप में बच्चों को बापू की जीवनकथा सुनाने की ठानी। बापू अपने समय से कहीं आगे चलने वाले चिंतक ही नहीं, ठोस काम करने वाले कर्मयोगी और आजादी की लड़ाई के कुशल रणनीतिकार भी थे। इन सबको पुस्तक में समेटने के लिए जान्हवी ने अगले 8 सालों तक बापू की जन्मस्थली पोरबंदर से शुरू कर परदेस में उनकी कर्मभूमि- द.अफ्रीका, लंदन की यात्राएं कीं। इस कथा को साकार करने में सहायक बने कलाकार उत्तम सिन्हा और मानसी शर्मा। पुस्तक खुद लेखिका के बचपन से शुरू होकर उनकी बापू की खोज तक बड़ी सहजता से चलती जाती है।

पुण्यतिथि विशेषः कर्मयोगी गांधी की कहानी चित्रों की ज़ुबानी
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