अशोक के बाद भारत में सर्वश्रेष्ठ थे नेहरू, बौने कद के हैं आलोचना करने वालेः नटवर सिंह

देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू पर आपत्तिजनक मिथ्यारोपों पर हैरानी जताते हुए नटवर सिंह ने कहा, “इस बात को दोहराना ही अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि बौने लोग आज उनकी आलोचना कर रहे हैं। वह अशोक के बाद भारत में सर्वश्रेष्ठ थे।

फोटोः आईएएनएस
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कहते हैं कि शेर बूढ़ा हो जाता है, मगर अपनी दहाड़ नहीं छोड़ता है। राजनयिक, राजनेता, साहित्यकार नटवर सिंह की शख्सियत कुछ ऐसी ही है। दुनिया भर की सैर कर चुके नटवर सिंह के पास हमेशा कहने के लिए बहुत कुछ रहता है, इसीलिए वह हमेशा प्रासंगिक हैं। जिंदगी के 90 वसंत देख चुके जाट नेता नटवर सिंह भरतपुर में पैदा हुए थे। लंबी बातचीत में उन्होंने अपने आक्रामक अंदाज में कई मसलों पर बेबाक तरीके से अपनी बात रखी।

सफेद कुर्ता-पाजामा और नीली बंडी के अपने ट्रेडमार्क वेशभूषा में सिंह ने बातचीत में अत्यंत व्यवहार-कुशलता का परिचय दिया। देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू पर आपत्तिजनक मिथ्यारोपों पर हैरानी जताते हुए नटवर सिंह ने कहा, “इस बात को दोहराना ही अपमानजनक है।” नटवर सिंह नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और यहां तक कि मनमोहन सिंह की सरकार में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं।

नटवर सिंह ने कहा, "फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट, स्टालिन, चर्चिल, माओ जैसे विश्व नेताओं के आप नाम गिनिए, सबसे कुछ गलतियां हुई थीं। लेकिन नेहरू भारत के निर्माता थे। एक सुई नहीं बनती थी इस देश में, लेकिन उस आदमी ने इस्पात संयंत्र, चिकित्सा संस्थान, अंतरिक्ष संगठन, आईआईटी सब कुछ खड़ा कर दिया। उन्होंने इस देश के लिए जो किया, उसे देखिए। वह विश्वस्तरीय नेता और बौद्धिक महामानव थे। उनकी किताबों में अनोखी विषय-वस्तु पढ़ने को मिलती है। जिंदगी के 10 साल अंग्रेजों की जेल में बिताए। यह हास्यास्पद है कि बौने लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। वह अशोक के बाद भारत में सर्वश्रेष्ठ थे।"

जाट नेता ने आगे कहा, "बीजेपी और मोदी ने सरदार पटेल को अपना बना लिया। वह नेहरू की सरकार में उपप्रधानमंत्री थे। हां, उन दोनों में कुछ मुद्दों पर मतभेद था, लेकिन उन दोनों के लिए अखंड भारत की भलाई उन मतभेदों से काफी बड़ी थी। वे मानते थे कि भारत उन दोनों से बड़ा है।"


नटवर सिंह ने कहा, "गांधीजी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में सरदार ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर यह कहते हुए प्रतिबंध इसलिए लगाया कि उनके सारे बयान पूरी तरह सांप्रदायिक जहर से भरे थे, जिसके परिणामस्वरूप देश को गांधीजी की अनमोल जिंदगी का बलिदान करना पड़ा।"

उन्होंने कहा, "नेहरू की निंदा करके आप स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी केंद्रीय भूमिका को नहीं झुठला सकते हैं। क्या आडवाणी, वाजपेयी, हेडगेवार या गोलवलकर ने ब्रितानी जेलों में 10 साल की जिंदगी बिताई थी। लेकिन नेहरू और सरदार ने बिताई थी।" उन्होंने कहा कि वाजपेयी 1957 में सांसद बने। वह बहुत अच्छे वक्ता थे और नेहरू की काफी आलोचना करते थे, लेकिन वह व्यक्ति भी नेहरू के निधन पर अपने भाषण में विलख पड़ा था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, " मैं यह बताना चाहूंगा कि 30 जनवरी, 1948 को प्रार्थना के लिए जाने से पहले बिड़ला भवन में गांधी जी ने सरदार को बुलाकर लंबी बातचीत की थी। प्रार्थना के समय गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी, जिससे दुनिया में एक युग का अंत हो गया। इस घटना से पहले सरदार वहां से प्रस्थान कर चुके थे। जब खबर आई कि गांधीजी की हत्या कर दी गई है तो सरदार और नेहरू दोनों बिड़ला भवन पहुंचे और इस वेदना में एक-दूसरे के गले से लिपट गए।"

नटवर सिंह कहते हैं कि दोनों दूसरे दर्जे के नहीं, बल्कि असाधारण व्यक्ति थे और राष्ट्र की भलाई उनका मुख्य मकसद था। उन्होंने कहा, "मुझे बताइए कि ये वैभवशाली लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के कड़ाह में क्यों पैर फंसाते? गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना सभी अंग्रेजीदां थे, इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई कर चुके वकील थे।"


उन्होंने कहा कि आखिर नेहरू और पटेल गांधी के शिष्य क्यों बन गए? कौन-सा चुंबकीय गुण था, जिससे वे आकर्षित हुए? उन्होंने कहा, “गांधी जी पाइड पाइपर की तरह थे। उनकी टीम के बारे में सोचिए, जिसमें मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, राजेंद्र प्रसाद, खान अब्दुल गफ्फार खान, सरदार, नेहरू, सी. राजगोपालाचारी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे वक्ता और बुद्धिमान व्यक्ति शामिल थे। वे सभी महान नेता थे।”

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