100 रुपए के नए नोट में होगा गुजरात के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ‘रानी की वाव’ का चित्र  

‘रानी की वाव’ गुजरात में स्थित एक बावड़ी है और ये बावड़ी पाटण जिले में है। गुजराती में बावड़ी को वाव कहते हैं इसलिए इसको ‘रानी की वाव’ कहते हैं। इस बावड़ी का निर्माण सोलंकी वंश की रानी उदयामति ने अपने पति भीमदेव प्रथम की याद में कराया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

रिजर्व बैंक जल्द ही 100 रुपए का नया नोट जारी करने वाला है। इस नोट में ‘रानी की वाव’ का पीछे की तरफ फोटो होगा। ये देश की सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के लिए किया गया है। ये नोट हल्का बैंगनी कलर का होगा।

‘रानी की वाव’ गुजरात में स्थित एक बावड़ी है और ये बावड़ी पाटण जिले में है। भारत की इस ऐतिहासिक विरासत को यूनस्को ने 22 जून 2014 को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया था। इसे भारत में मौजूद सभी बावड़ियों की रानी से नवाजा गया है। इस बावड़ी में सोलंकी वंश से जुड़ी जानकारी को दिखाया गया है। गुजराती में बावड़ी को वाव कहते हैं इसलिए इसको ‘रानी की वाव’ कहते हैं। इस बावड़ी का निर्माण सोलंकी वंश की रानी उदयामति ने अपने पति भीमदेव प्रथम की याद में कराया था।

100 रुपए के नए नोट में होगा गुजरात के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ‘रानी की वाव’ का चित्र  

यह बावडी़ करीब 64 मीटर लंबी, 7 मीटर गहरी और 20 मीटर चौड़ी है। वाव के खंभे सोलंकी वंश और उनके वास्तुकला के चमत्कार के समय में ले जाते हैं।

100 रुपए के नए नोट में होगा गुजरात के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ‘रानी की वाव’ का चित्र  

वाव की दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि जैसे अवतारों के कई रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं। बावड़ी के निचे एक छोटा द्वार है, जिसके अंदर 30 किलोमीटर की एक सुरंग भी है, लेकिन फिलहाल इस सुरंग को मिटटी और पत्थरो से ढक दिया गया है। पहले यह सुरंग बावड़ी से निकलकर सीधी सिधपुर गांव को जाकर मिलती थी। कहा जाता है की राजा इसका उपयोग गुप्त निकास द्वार के रूप में करते थे।

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