पंजाब में AAP को बड़ा झटका, संगरूर उपचुनाव में खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत मान ने दर्ज की बड़ी जीत
पंजाब विदानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी को सीएम भगवंत मान की छोड़ी संगरुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में बड़ा झटका लगा है। यहां से खालिस्तान समर्थक माने जाने वाले पूर्व आईपीएस और दो बार के सांसद सिमरनजीत मान ने जीत हासिल की है।
![फोटोः ANI](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-06%2Fa205b8f2-d025-4cfd-8172-da32f3dce5e0%2FSimranjit_S_Mann.jpg?rect=0%2C0%2C820%2C461&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। रविवार को आए नतीजों में सीएम भगवंत मान द्वारा छोड़ी गई इस सीट से दो बार सांसद रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी और खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत मान ने आप प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल कर ली है।
शिरोमणि अकाली दल-अमृतसर के 77 वर्षीय प्रत्याशी सिमरनजीत मान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आप के गुरमैल सिंह को छह हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया। मान ने संगरूर सीट पर 1999 में भी जीत हासिल की थी। यह सीट मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी।
मान कारोबारियों के लिए पाकिस्तान की सीमा खोलने की मांग करते रहे हैं और वह जरनैल सिंह भिंडरावाला की विचारधारा को मानते हैं। चुनाव जीतने के बाद मान ने सिखों के लिए भिंडरावाला के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि उनकी जीत का श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने सिखों के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। उन्होंने दीप सिंधु और सिद्धु मूसेवाला को भी याद किया।
संगरूर में तीन दिन पहले 23 जून को हुए मतदान में 45.3 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। इस सीट पर 16 प्रत्याशी अपनी चुनावी किस्मत आजमाने उतरे थे। भगवंत मान 2014 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी सुखदेव सिंह ढींढसा को 2.10 लाख से अधिक वोटों से हराकर सांसद बने थे। इसके बाद 2019 के चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी केवल सिंह ढिल्लों को 1.1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया था।
इस साल हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की 117 सीटों पर से 92 सीटें आप ने झटक ली थी जबकि कांग्रेस के खाते में 18 सीटें ही आ पाईं थीं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में 77 सीटें थीं। संगरूर की सभी नौ विधानसभा सीटों पर आप के प्रत्याशियों ने ही जीत हासिल की थी लेकिन लोकसभा सीट पर वह अपना कब्जा बरकरार रखने में असफल साबित हुई।
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