अगर त्रिशंकु हुई बिहार विधानसभा तो इन दलों के हाथ में होगी सत्ता की चाबी, जानें किसकी सरकार बनने के हैं ज्यादा आसार

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए वोटों की गिनती जारी है। अभी तक की काउंटिंग में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन और नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए के बीच कांटे की टक्कर है।

फोटो: सोशल मीडिया
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रवि प्रकाश @raviprakash24

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए वोटों की गिनती जारी है। अभी तक की काउंटिंग में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन और नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए के बीच कांटे की टक्कर है। हालांकि एनडीएन बढ़त बनाए है, लेकिन 100 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां 3000 से भी कम का फासला है। कहा जा रहा है कि इन सीटों पर जीत किसकी होगी यह कहना मुश्किल है। ऐसे में बिहार में त्रिशंकु विधानसभा होने के भी आसार हैं। ऐसा अगर होता है तो छोटे दलों के हाथ में सत्ता की चाबी रहने की संभावना है।

फिलहाल जो रुझान है उसके मुताबिक एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो छोटे दल और निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरेंगे। एलजेपी, आरएलएसपी, निर्दलिय

बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 144 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 74 उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. वहीं, महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. उसमें 26 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही . महागठबंधन में शामिल वामपंथी दल दोबारा से मजबूत होते नजर आ रहे हैं. बिहार में वामपंथी दलों ने 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 14 सीटों पर आगे चल रही है.

बिहार में बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इनमें से 65 सीटों पर आगे चल रही हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू ने बिहार में 115 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से उसे 40 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, वीआईपी पार्टी ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से उसे 4 सीटों पर आगे चल रही है. ऐसे ही जीतनराम मांझी की पार्टी HAM ने सात सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 1 सीटों पर बढ़त मिल रही है.

वहीं, एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली एलजेपी ने बिहार की 135 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से वो 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है इसके अलावा जीडीएसएफ को 5 सीटें मिल रही हैं. वहीं, अन्य को 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. इससे साफ जाहिर है कि सत्ता की चाबी अन्य और छोटे दलों के हाथ में जाती दिख रही है. ऐसे में छोटे दल जिसके साथ जाएंगे उसकी सरकार बननी तय है.

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