मनरेगा की जगह लेने वाले 'जी राम जी' बिल पर BJP की सहयोगी TDP ने उठाए सवाल, कहा- समर्थन तो करेंगे लेकिन...

आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि निस्संदेह, इसमें फंड का बंटवारा चिंताजनक है। अगर हमें योजना के वित्तपोषण के लिए अपने हिस्से की एक बड़ी राशि देनी पड़ी तो इससे राज्य पर बहुत बोझ पड़ेगा।

मनरेगा की जगह लेने वाले 'जी राम जी' बिल पर BJP की सहयोगी TDP ने उठाए सवाल, कहा- समर्थन तो करेंगे लेकिन...
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नवजीवन डेस्क

मनरेगा के स्थान पर मोदी सरकार द्वारा नया कानून लाने की तैयारियों के बीच बीजेपी के प्रमुख सहयोगी दल ने इस पर चिंता जताते हुए सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने मनरेगा की जगह लाए जा रहे 'जी राम जी' बिल पर कहा कि इसका समर्थन तो करेंगे, लेकिन वित्तपोषण में हिस्सेदारी चिंताजनक है और इससे राज्य पर बोझ पड़ेगा। टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने मनरेगा को निरस्त करने और उसकी जगह एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक लाने की चर्चाओं के बीच ये बात कही है।

दरअसल, केंद्र सरकार मनरेगा की जगह लाए जा रहे नए विधेयक का नाम ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025’ रखा है। विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को बांट दी गई हैं। इस बीच, आंध्र प्रदेश के वित्त, योजना एवं विधायी कार्यमंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि राज्य सरकार विधेयक के प्रावधानों का अध्ययन करेगी और इसका समर्थन एवं कार्यान्वयन करेगी।

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “निस्संदेह, इसमें फंड का बंटवारा चिंताजनक है। अगर हमें योजना के वित्तपोषण के लिए अपने हिस्से की एक बड़ी राशि देनी पड़ी तो इससे राज्य पर बहुत बोझ पड़ेगा। हालांकि, हमने अभी तक योजना के पूरे विवरण का अध्ययन नहीं किया है।” वित्त विभाग के अधिकारियों ने भी कहा है कि यह आंध्र प्रदेश जैसे नकदी की कमी से जूझ रहे राज्य के लिए चिंता का विषय है, लेकिन वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के रोजगार की गारंटी, साप्ताहिक मजदूरी भुगतान और कृषि के चरम मौसम के दौरान अवकाश जैसे अन्य प्रावधान उत्साहजनक हैं, जिससे कृषि क्षेत्र के लिए अधिक श्रमिक उपलब्ध होंगे।


मनरेगा के तहत जहां केंद्र सरकार पूरी मजदूरी राशि का भुगतान करती थी, वहीं नए वीबी-जी राम जी विधेयक के तहत अब राज्यों को मजदूरी भुगतान का भार साझा करना होगा। विधेयक की धारा 22 (2) में कहा गया है, “इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच निधि साझाकरण का अनुपात पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर) के लिए 90:10 और विधायिका वाले अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 60:40 होगा।” यानी मजदूरों के कुल पारिश्रमिक का 40 फीसदी बोझ अब राज्यों को उठाना होगा।

उधर, विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मनरेगा के स्थान पर केंद्र सरकार द्वारा नया कानून बनाने की तैयारियों के बीच सोमवार को दावा किया कि इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना यह दिखाता है कि बापू के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रेम दिखावटी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि यह मनरेगा को खत्म करने की साजिश है और सरकार का यह कदम महात्मा गांधी का अपमान है।

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो बहुत सारे बदलाव करने पड़ते हैं, जिसके लिए पैसा खर्च किया जाता है। तो, क्या फायदा है? ऐसा क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। महात्मा गांधी न केवल देश में, बल्कि दुनिया में सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। इसलिए उनका नाम हटाना, मुझे वास्तव में समझ में नहीं आता कि उद्देश्य क्या है। उनका इरादा क्या है?’’

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