यूपी निकाय चुनाव: जीती नहीं, बुरी तरह हारी है बीजेपी, यकीन न हो तो देख लें चुनाव आयोग के ये आंकड़े 

बीजेपी यूपी में स्थानीय निकाय चुनाव बुरी तरह हारी है। इसे बीजेपी तो छिपा ही रही है, सारा मीडिया भी इस पर पर्दा डाले हुए है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद नतीजों के विश्लेषण से सबकुछ साफ हो गया है

फोटो : IANS
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तसलीम खान

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। क्या सच है ये? नहीं...बिल्कुल नहीं...यह ऐसा झूठ है जिसे न सिर्फ बीजेपी बल्कि लगभग सारा मीडिया छिपाए हुए है। लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए चुनाव नतीजों के डाटा से इस झूठ की पोल खुल गई है।

दरअसल बीजेपी की जीत का प्रतिशत बेहद कम है। ईवीएम से हुई वोटिंग वाली सीटों को छोड़ दें तो उसकी जीत 12 से 17 फीसदी तक ही सीमित है, और विपक्षी दलों और निर्दलीयों ने उसे जबरदस्त पटखनी दी है। इन नतीजों को सीधे समझने के लिए सबसे पहले नीचे दी गयी तालिका को गौर से देखिए....

यूपी निकाय चुनाव:  जीती नहीं, बुरी तरह हारी है बीजेपी, यकीन न हो तो देख लें चुनाव आयोग के ये आंकड़े 

इस तालिका से तस्वीर एकदम साफ है। एक बात और जो जानना लाजिमी है है, वह यह कि मेयर और नगर निगम पार्षद के चुनाव ईवीएम से हुए थे और बाकी जगह मतपत्र यानी बैलट पेपर का इस्तेमाल हुआ था। यानी ईवीएम से हुए चुनाव में बीजेपी ने मेयर पद की 87 फीसदी सीटें जीती और नगर निगम पार्षद पद की 50 फीसदी के आसपास। लेकिन बैलट पेपर से हुए चुनाव में बीजेपी की जीत का प्रतिशत बेहद कम है।

नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी की जीत का प्रतिशत 35 फीसदी से कुछ ज्यादा है तो नगर पालिका सदस्यों के चुनाव में उसकी जीत का प्रतिशत 18 फीसदी से कम है। इसी तरह नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी की जीत सिर्फ 22.88 फीसदी सीटों पर हुई है और नगर पंचायत सदस्यों के चुनाव में उसके हिस्से में महज 12.22 प्रतिशत सीटें ही आई हैं।

अब एक तालिका और देखें, जिससे साफ होता है कि दरअसल बीजेपी जिस कथित शानदार जीत का ढिंढोरा पीट रही है, वह जीत नहीं बल्कि उसकी हार है।

यूपी निकाय चुनाव:  जीती नहीं, बुरी तरह हारी है बीजेपी, यकीन न हो तो देख लें चुनाव आयोग के ये आंकड़े 

इन आंकड़ों को देखें तो नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में उसे करीब 65 फीसदी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह नगर निगम पार्षद की भी 55 प्रतिशत सीटें उसके हाथ से निकल गई, नगर पालिका सदस्यों की कुल 5261 सीटों में से उसे 82.5 फीसदी सीटों पर हार मिली और नगर पंचायत सदस्यों के चुनाव में बीजेपी को करीब 88 फीसदी सीटें पर पराजित होना पड़ा।

लेकिन इन आंकड़ों को न तो बीजेपी सामने ला रही है और न ही तथाकथित मेनस्ट्रीम मीडिया। टीवी चैनल, अखबार, वेबसाइट, सोशल मीडिया...सब तरफ उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी की कथित शानदार जीत के चर्चे हैं। लेकिन हकीकत वह नहीं है जो बयां की जा रही है। हकीकत यह है कि जहां-जहां ईवीएम से चुनाव हुआ वहां बीजेपी जीती और जहां बैलट पेपर से चुनाव हुआ वहा वह बुरी तरह हार गई।

“सब तरफ से अच्छी खबरें आ रही हैं....” यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल गुजरात की महिला बीजेपी कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान कही थी। उनका इशारा जीडीपी के आंकड़ों और उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों की तरफ था। लेकिन इन कथित अच्छी खबरों की असलियत बताना प्रधानमंत्री भूल गए। उन्होंने यह नहीं बताया कि जीडीपी के आंकड़ों में असंगठित क्षेत्र की बुरी हालत को नापा ही नहीं गया था और यह भी नहीं बताया कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि में कमी हुई है।

इसी तरह प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के नतीजों के बारे में यह नहीं बताया कि जहां-जहां ईवीएम से चुनाव हुआ वहां तो बीजेपी जीत गई, लेकिन जहां मतपत्रों यानी बैलट पेपर से चुनाव हुआ, वहां उनकी पार्टी की बुरी तरह हार हुई है। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस वार्ड में वोट डाला था और जहां मशहूर गोरक्षनाथ पीठ है, इसी वार्ड से बीजेपी हारी है, और यह भी बताना भूल गए कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जिले कौशांबी में भी उनकी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है।

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Published: 02 Dec 2017, 5:20 PM