कर्नाटक में अंदरूनी कलह से जूझ रही BJP, भगवा पार्टी को जरा भी मौका नहीं दे रही कांग्रेस!

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अंदरूनी कलह से घिरी बीजेपी अब गति हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस उसे जरा भी मौका नहीं दे रही है।

कर्नाटक चुनावों से पता चला है कि केवल मोदी फैक्टर से चुनाव नहीं जीता जा सकता है और लोग भूख तथा बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं।
कर्नाटक चुनावों से पता चला है कि केवल मोदी फैक्टर से चुनाव नहीं जीता जा सकता है और लोग भूख तथा बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं।
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अंदरूनी कलह से घिरी बीजेपी अब गति हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस उसे जरा भी मौका नहीं दे रही है। कांग्रेस ने अपनी पांच गारंटियों में से कांग्रेस ने दो महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कर दी हैं - महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और बीपीएल परिवारों के लिए 10 किलोग्राम मुफ्त चावल। वहीं मुफ्त बिजली के लिए पंजीकरण का काम जोरों पर है। ऐसे में देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर गर्मा-गरम बहस से भगवा पार्टी खोई हुई साख दोबार हासिल करने की उम्‍मीद कर रही है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हर चुनाव से पहले बीजेपी ऐसे कदम उठाती है। “लोगों ने देखा है कि पिछले विधानसभा चुनावों में सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने पुलवामा हमले का कैसे इस्तेमाल किया था। कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिमों का आरक्षण कोटा रद्द कर दिया गया, हालांकि यह उनके काम नहीं आया।


उन्‍होंने कहा, "यूसीसी बीमारू राज्यों में बीजेपी के लिए काम कर सकता है। कर्नाटक में यूसीसी का विरोध होने जा रहा है। यह गलत धारणा है कि यूसीसी केवल मुसलमानों को प्रभावित करता है। यह हिंदू विवाह, रखरखाव और संपत्ति के विभाजन से संबंधित मामलों को भी प्रभावित करता है। यह देखना होगा कि इसे संवैधानिक रूप से कैसे लागू किया जाएगा।''

कर्नाटक चुनावों से पता चला है कि केवल मोदी फैक्टर से चुनाव नहीं जीता जा सकता है और लोग भूख तथा बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने यह भी सीखा कि नफरत की राजनीति उन पर किस तरह असर डालती है। कांग्रेस नेता ने कहा, ''हमने आगामी लोकसभा चुनाव में 20 से अधिक सीटें जीतने को एक चुनौती के रूप में लिया है। जिला प्रभारी मंत्रियों को लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए पहले से ही कार्य और लक्ष्य दिए जा रहे हैं।''


पूर्व आईपीएस अधिकारी औरबीजेपी नेता भास्कर राव ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि यूसीसी अनुच्छेद 44 के तहत है। अभी यूसीसी लाने से यह पूरे देश के लिए एक आपराधिक कानून की तरह एक देश, एक नागरिक कानून का संदेश देगा। पूरे देश के लिए एक नागरिक कानून होगा। लेकिन, मेरा तर्क यह है कि लोगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। यदि यूसीसी को लोगों को विश्वास में लिए बिना लागू किया जाता है तो यह प्रतिकूल हो सकता है।

राव ने कहा कि आपराधिक कानून में आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि अपराधी के पास कोई बहाना नहीं होता है। नागरिक कानून का दायरा बड़ा है। अधिक लोगों को विश्वास में लेना पड़ता है। लोगों को विश्वास में लेकर देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए नागरिक कानून जरूरी है।

राव ने कहा कि यूसीसी को लागू करने का हमारा इरादा एकरूपता लाना है ताकि सामाजिक और आर्थिक न्याय हो। यह जरूरी है और इसे लागू किया जाना चाहिए। कर्नाटक में चुनाव ख़त्म हो चुके हैं, इसे चुनाव के नज़रिए से नहीं देखा जा रहा है। ये बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। एक न एक दिन तो इसे आना ही है, जितनी जल्दी हो उतना बेहतर होगा। इसका शुरुआती विरोध होगा लेकिन यूसीसी की जरूरत है।

2019 के चुनाव में कुल 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीतने वाली पार्टी पूरी तरह से अराजकता में है। पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष, राज्य बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कतील और पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई सहित शीर्ष नेताओं पर लगे आरोपों के बीच ऐसा लगता है कि भगवा पार्टी को कर्नाटक में कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना होगा।

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